राजीव रंजन झा :
प्रियंका वाड्रा पाँच राज्यों के विधान सभा चुनावों में अब तक चुनाव प्रचार में नहीं उतरी हैं, जबकि पहले कहा जा रहा था कि वे इस बार काफी सक्रिय रहेंगी।
इस खबरों में बताया जा रहा था कि चुनावी रणनीति बनाने के लिए बैठकों में वे शामिल थीं और उत्तर प्रदेश में गठबंधन कराने में भी उनकी अच्छी भूमिका थी। फिर अब तक वे प्रचार से बाहर क्यों? आज मीडिया में खबरें आ रही हैं कि वे पहले से तय प्रचार कार्यक्रम टाल रही हैं और उनका प्रचार सीमित ही रह सकता है।
क्या उन्हें भरोसा हो गया है कि कांग्रेस बहुत अच्छा प्रदर्शन करने वाली है और उन्हें मैदान में उतरने की जरूरत नहीं है? क्या वे चाहती हैं कि ‘जीत’ का श्रेय वे न बाँटें और भाई राहुल को ही पूरा श्रेय मिले? मुझे डर है कि कुछ लोग यहाँ ‘श्रेय’ के बदले ‘ठीकरा’ पढ़ रहे होंगे।
(देश मंथन, 13 फरवरी 2017)