Wednesday, August 27, 2025

देश मंथन डेस्क

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ध्रुवीकरण करने वाले नेताओं और एजेंट बुद्धिजीवियों से सावधान!

अभिरंजन कुमार :

मैं इस नतीजे पर पहुँचा हूँ कि इस देश के आम, गरीब, अनपढ़, कम पढ़े-लिखे, ग्रामीण लोग धर्मनिरपेक्ष हैं, लेकिन प्रायः सभी राजनीतिक दल, नेता, बुद्धिजीवी, पढ़े-लिखे और शहरी लोग सांप्रदायिक हैं।

ललितगेट : कैसी लकीर खीचेंगे नमो?

कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार:

सुना है लमो के बखेड़े से नमो बहुत परेशान हैं! सुनते हैं, अपने कुछ मंत्रियों से उन्होंने कहा कि लोग जो देखते हैं, उसी पर तो यकीन करते हैं! और यहाँ तो लोगों ने सिर्फ देखा ही नहीं, बल्कि लमो यानी ललित मोदी को सुना भी। यकीन न करते तो क्या करते? सच तो सामने है, बिना किसी खंडन-मंडन के! 

शांति

प्रेमचंद :   

स्वर्गीय देवनाथ मेरे अभिन्न मित्रों में थे। आज भी जब उनकी याद आती है, तो वह रंगरेलियाँ आँखों में फिर जाती हैं, और कहीं एकांत में जाकर जरा देर रो लेता हूँ।

अबूझ पहेली

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :

हमारे फेसबुक परिजनों में एक हैं Shaitan Singh Bishnoi। मैंने एक दो बार जब कभी ये लिखा कि कृष्ण और द्रौपदी के बीच का रिश्ता कभी सखा-सखी का था, कभी भाई-बहन का और कभी प्रेमी-प्रेमिका का, तो शैतान सिंह जी ने मुझसे कहा कि मैं कभी न कभी इस बात की खुल कर चर्चा करूँ कि आखिर ऐसा कैसे संभव है कि एक ही स्त्री में कोई हर रूप को तलाश ले। यकीनन उन्हें पता होगा कि कृष्ण की बहन सुभद्रा अर्जुन से ब्याही गयी थीं, इस तरह द्रौपदी भी कृष्ण की बहन लगीं।

राजा जनक जी के बाग में अलबेला रघुबर आयो रे…

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

जनकपुर शहर से भारत के हिन्दुओं का आत्मीय रिश्ता है। भला हो भी क्यों न राजा रामचन्द्र जी की ससुराल है। यहीं की बगिया में सीता माता ने पहली बार रामजी को देखा था और उनके रूप मोहित हो गई थीं। हमने देखा कि आज भी जनकपुर में शादियाँ बड़े संस्कारी तरीके से होती है।

बड़े भाई साहब

प्रेमचंद :   

मेरे भाई साहब मुझसे पाँच साल बड़े थे, लेकिन केवल तीन दरजे आगे। उन्होंने भी उसी उम्र में पढ़ना शुरू किया था जब मैंने शुरू किया था; लेकिन तालीम जैसे महत्व के मामले में वह जल्दबाजी से काम लेना पसंद न करते थे।

मन की कमजोरी

 

 

 

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :

“आओ संजू, मेरे पास बैठो।”

माँ मुझे पास बुला कर मेरा सिर सहला रही थी।

सीता माता का शहर – जनकपुर धाम

 

 

 

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

नेपाल में भारत की सीमा पर स्थित है सीता माता का शहर जनकपुर धाम। मैं पहली बार में 1999 में जनकपुर गया, दूसरी बार 2015 में। पर इन 16 सालों में एक चीज नहीं बदली।

बेटोंवाली विधवा

प्रेमचंद :   

पंडित अयोध्यानाथ का देहांत हुआ तो सबने कहा, ईश्वर आदमी की ऐसी ही मौत दे। चार जवान बेटे थे, एक लड़की। चारों लड़कों के विवाह हो चुके थे, केवल लड़की क्वाँ री थी। संपत्ति भी काफी छोड़ी थी। एक पक्का मकान, दो बगीचे, कई हजार के गहने और बीस हजार नकद।

औकात

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :

मैंने माँ से पूछा था, “माँ, औकात क्या होती है?”