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जब गर्दिश में हों तारे

दुर्दिन जो ना कराये। अपने दौर के कामयाब अभिनेता और मशहूर फिल्मकार मनोज कुमार। देशभक्ति की भावना से भरी-पूरी फिल्मों के चलते जिन्हें भारत कुमार कहा जाता था।
दादा, दीदी या मोदी?

अखिलेश शर्मा, वरिष्ठ संपादक (राजनीतिक), एनडीटीवी :
भर दोपहर, सिर पर चढ़े सूरज का कहर। कोई छाता लिए, तो कोई सिर पर कपड़ा डाले हुए। उमस भरी गर्मी से निजात पाने के लिए हर कोई अपने हिसाब से तैयारी कर आया है।
आप बेटी के अलावा क्या हैं?

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :
प्रियंका वाड्रा ने यह ठीक ही कहा है कि ‘वे राजीव गांधी की बेटी हैं।' इसमें गलत कुछ नहीं है। उन्होंने यह बात इतने सलीके से कही है कि कोई भी इसे नरेंद्र मोदी पर प्रहार नहीं कह सकता।
बिस्मिल्लाह का बनारस

रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :
आदरणीय खां साहब,
सोचा आपको एक खत लिखूँ। मैं आपकी मजार पर गया था। सहयोगी अजय सिंह की वजह से। अजय ने कहा कि वो मुझे कुछ याद दिलाना चाहते हैं। थोड़ी देर के लिए बिस्मिल्लाह खान की मजार पर ले चलते हैं।
तीसरा मोर्चा : कुर्सी ही ब्रह्म है

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :
तीसरा मोर्चा एक मृग-मरीचिका बन गया है। कभी वह आँखों के आगे नाचने लगता है और कभी वह एकदम अदृश्य हो जाता है। अब फिर कांग्रेस के कुछ शीर्ष नेताओं ने उसे जिंदा किया है।
मोदी पर एफआईआर के मायने

अखिलेश शर्मा, वरिष्ठ संपादक (राजनीतिक), एनडीटीवी :
एनडीए के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव आयोग के आदेश के बाद गुजरात सरकार ने दो एफआईआर दर्ज कर ली हैं। चुनाव आयोग ने कहा है कि मोदी ने जनप्रतिनिधित्व कानून की दो धाराओं 126 (1)(a) और 126 (1)(b) के उल्लंघन किया है।
क्या सही में लालू की वापसी हो रही है

रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :
"लालू जिंदा हो गया है। सब बोलते थे कि लालू खत्म हो गया। देखो कहाँ ख़त्म हो गया है।" लालू यादव को जैसे ही मैंने कहा कि लोग बता रहे हैं कि आप बिहार में नंबर दो पर आ गये हैं।
मोदी, सेल्फी और सोशल मीडिया

अखिलेश शर्मा, वरिष्ठ संपादक (राजनीतिक), एनडीटीवी :
अहमदाबाद में वोट देने के बाद नरेंद्र मोदी ने लाखों युवाओं की ही तर्ज पर सेल्फी ली। सेल्फी यानी मोबाइल से अपनी ही फोटो खींचना और फिर इसे सोशल मीडिया जैसे ट्विटर या फेसबुक पर डालना। इस चुनाव में ये सबसे अधिक प्रचलन में आया है।
मनोरंजन या मनोभंजन?

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :
चुनाव के दौरान सभी दलों और सभी प्रमुख नेताओं के बयानों को पढ़-सुनकर आम आदमी मुँह में उंगली दबा रहा है।
कितने करोड़ का है बीजेपी का अभियान?

अखिलेश शर्मा, वरिष्ठ संपादक (राजनीतिक), एनडीटीवी :
बीजेपी का प्रचार अभियान इस बार जितना बड़ा है शायद उतना पहले कभी नहीं रहा है। इसका विस्तार टेलीविजन, अखबार, रेडियो और सड़कों पर लगे होर्डिंग में दिख रहा है।