नैतिकता की ढोल, मन की पोल
रत्नाकर त्रिपाठी :
"ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको हमने ठगा नहीं" के सिद्धांत को आदर्श बना के चलने वाले भी नैतिकता के ढोल बजाने लगे हैं।
डरा कौन, भाजपा या आप!
संदीप त्रिपाठी :
120 सांसद, कैबिनेट मंत्रियों की फौज, 280 मंडल प्रभारी, सवा लाख पन्ना प्रभारी। दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिशन 60+ को पूरा करने के क्रम में भाजपा और अमित शाह कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। लेकिन विरोधी इस कुमुक पर सवाल उठा रहे हैं कि एक अकेले आप संयोजक अरविंद केजरीवाल से भाजपा, संघ और मोदी सेना इतनी डर गयी कि उसे जीत के लिए पूरा लाव-लश्कर उतारना पड़ा।
मोदी मंत्रिमंडल और संघ के लिए भारी केजरीवाल!
राजेश रपरिया :
दिल्ली विधानसभा के चुनावी सर्वेक्षणों में खारिज अरविंद केजरीवाल ‘विजेता’ बन कर उभरे हैं। इन सर्वेक्षणों में केजरीवाल के पक्ष में मतदाताओं का रुझान बढ़ रहा है।
पंजाबी दुर्ग में सेंध की आप को चुनौती
संदीप त्रिपाठी :
दिल्ली विधानसभा चुनाव में पंजाबी खत्री मतदाता बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने जा रहे हैं। आमतौर पर यह मतदाता भाजपा के समर्थक वर्ग के रूप में माना जाता रहा है। भाजपा ने अपने शुरुआती दिनों से इसी वोटबैंक के बूते दिल्ली में अपना आधार मजबूत किया। लेकिन दिसंबर, 2013 में आप की लहर का असर इस वोट बैंक पर भी पड़ा।
दिल्ली में दलित वोटर होंगे निर्णायक
संदीप त्रिपाठी : दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार दलित वोट निर्णायक भूमिका में होंगे। पूरी दिल्ली में एक वर्ग के रूप में सबसे ज्यादा संख्या दलितों की ही है। दिल्ली के कुल 1,30,85,251 मतदाताओं में 17 फीसदी दलित हैं। कुल 70 विधानसभा क्षेत्रों में से 12 तो सुरक्षित हैं ही, आठ अन्य क्षेत्रों में भी दलित प्रभावी संख्या में हैं।
दिल्ली के दिल में क्या है?
क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :
दिल्ली जीते, फिर यहाँ जीते, फिर वहाँ जीते, इधर जीते, उधर जीते, पूरब जीते, पश्चिम जीते, उत्तर जीते, लेकिन अबकी बार दिल्ली का उत्तर क्या होगा?
वर्ष 2015 और देश की लकीरें!
क़मर वाहिद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :
तो आपका समय शुरू होता है अब! और ‘हॉट सीट’ पर हैं, नरेन्द्र मोदी, राहुल गाँधी, नीतीश कुमार और अरविन्द केजरीवाल! 2015 कोई मामूली साल नहीं है, जो हर साल की तरह बस आयेगा और चला जायेगा! यह लकीरों के बनने-बनाने और मिटने-मिटाने का साल है! इस साल को तय करना है कि देश किन लकीरों पर चलेगा?
शीला दीक्षित की ना से भंवर में दिल्ली कांग्रेस
शिव ओम गुप्ता :
राजधानी दिल्ली में कांग्रेस का स्यापा खतम होने का नाम नहीं ले रहा है। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और केरल की पूर्व राज्यपाल शीला दीक्षित ने झटका देते हुये कहा है कि वह आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार नहीं बनेंगी। यही नहीं, उन्होंने यहाँ तक कहा है कि उनके परिवार को कोई भी सदस्य नई दिल्ली सीट से विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेगा।
‘आप’ के रेडियो जिंगल पर दिल्ली पुलिस की रोक क्यों?
प्रियभांशु रंजन, पत्रकार :
खबर आयी है कि दिल्ली पुलिस ने आम आदमी पार्टी के एक रेडियो विज्ञापन पर पाबंदी लगा दी है। दिल्ली पुलिस की दलील है कि 'आप' के विज्ञापन से उसकी "छवि को नुकसान पहुँचा" है।
झारखंड : क्या है बढ़े मतदान प्रतिशत के मायने
संदीप त्रिपाठी, वरिष्ठ पत्रकार :
बिहार से अलग हुए राज्य झारखंड में नयी विधानसभा के लिए तीन चरण के मतदान हो चुके हैं। वर्ष 2009 के मुकाबले इस बार मतदान प्रतिशत 6-8% बढ़ा हुआ दिख रहा है। इसके मायने क्या हैं? इस बार पहले चरण में 61.92%, दूसरे चरण में 64.68% और तीसरे चरण में 60.89% मतदान हुआ। इसके मुकाबले पिछली बार औसतन 55% वोट पड़े थे।
महाराष्ट्र-हरियाणा : मतदान से मतगणना तक
दीपक शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार :
"मैंने सोचा था ये 'अमर प्रेम' जैसे संबंध हैं, लेकिन ये तो 'कटी पतंग' निकले।" मायानगरी से प्रभावित शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे यह कह कर भावुक से होने लगे।
उपचुनावों के नतीजों से गुमान टूटेगा भाजपा का
राजीव रंजन झा :
शायद ही किसी ने सोचा होगा कि लोकसभा चुनावों में तूफानी कामयाबी के बाद इन उपचुनावों में भाजपा इतना कमजोर प्रदर्शन करेगी।