शरद यादव का मोहभंग
डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :
जनता दल (यू) के अध्यक्ष शरद यादव के मोह-भंग से कई सबक मिलते हैं। शरद यादव ने एक बार नहीं, दो बार सार्वजनिक-तौर पर कहा है कि जातिवादी राजनीति ने बिहार का नाश कर दिया है।
अमेठी का बदला बनारस में?
अखिलेश शर्मा, वरिष्ठ संपादक (राजनीतिक), एनडीटीवी :
इसे अघोषित समझौता कहें। या एक राजनीतिक परिपाटी। पर कुछ अपवादों को छोड़ ऐसा होता आया है। बड़े नेता चाहे देश भर में घूम-घूम कर एक-दूसरे पर तीखे और करारे हमले करें, मगर एक-दूसरे के चुनाव क्षेत्रों में प्रचार करने नहीं जाते।
दादा, दीदी या मोदी?
अखिलेश शर्मा, वरिष्ठ संपादक (राजनीतिक), एनडीटीवी :
भर दोपहर, सिर पर चढ़े सूरज का कहर। कोई छाता लिए, तो कोई सिर पर कपड़ा डाले हुए। उमस भरी गर्मी से निजात पाने के लिए हर कोई अपने हिसाब से तैयारी कर आया है।
मोदी पर एफआईआर के मायने
अखिलेश शर्मा, वरिष्ठ संपादक (राजनीतिक), एनडीटीवी :
एनडीए के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव आयोग के आदेश के बाद गुजरात सरकार ने दो एफआईआर दर्ज कर ली हैं। चुनाव आयोग ने कहा है कि मोदी ने जनप्रतिनिधित्व कानून की दो धाराओं 126 (1)(a) और 126 (1)(b) के उल्लंघन किया है।
मोदी, सेल्फी और सोशल मीडिया
अखिलेश शर्मा, वरिष्ठ संपादक (राजनीतिक), एनडीटीवी :
अहमदाबाद में वोट देने के बाद नरेंद्र मोदी ने लाखों युवाओं की ही तर्ज पर सेल्फी ली। सेल्फी यानी मोबाइल से अपनी ही फोटो खींचना और फिर इसे सोशल मीडिया जैसे ट्विटर या फेसबुक पर डालना। इस चुनाव में ये सबसे अधिक प्रचलन में आया है।
मनोरंजन या मनोभंजन?
डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :
चुनाव के दौरान सभी दलों और सभी प्रमुख नेताओं के बयानों को पढ़-सुनकर आम आदमी मुँह में उंगली दबा रहा है।
बन जाने दीजिए ना मोदी को प्रधानमंत्री !
नदीम एस. अख्तर, शिक्षक, आईआईएमसी :
नरेंद्र मोदी के पीएम बनने पर इतनी हाय-तौबा क्यों??!! बन जाने दीजिए ना प्रधानमंत्री। ये जरूरी है।
बीजेपी-मुलायम ही सही मायने में मिले हुए
विकास मिश्रा, आजतक :
बात 1990 की है। इलाहाबाद के सलोरी मुहल्ले में सालाना उर्स था मजार पर। बहुत मजा आ रहा था। कव्वाल झूम झूमकर गा रहे थे।
तो अच्छे दिन ऐसे आयेंगे…
पुण्य प्रसून बाजपेयी, कार्यकारी संपादक, आजतक :
सोने का पिंजरा बनाने के विकास मॉडल को सलाम ..
एक ने देश को लूटा, दूसरा देश को लूटने नहीं देगा। एक ने विकास को जमीन पर पहुँचाया। दूसरा सिर्फ विकास की मार्केटिंग कर रहा है।
नरेंद्र मोदी की निर्भीकता
डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :
चुनाव-अभियान के दौरान नरेंद्र मोदी जितनी निर्भीकता दिखा रहे हैं, शायद आज तक किसी पार्टी अध्यक्ष या प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार ने नहीं दिखायी।
बिहटा 7.86
अखिलेश शर्मा, वरिष्ठ संपादक (राजनीतिक), एनडीटीवी :
पटना पीछे छूट गया है। गाड़ी तेज़ी से बनारस की ओर भाग रही है। सड़क के दोनों ओर खेतों की हरियाली अब सोने में बदल चुकी है। गेहूं कटने लगा है।
ओबामा के पद चिह्नों पर मोदी का प्रचार
रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :
अमरीका में 2008 में राष्ट्रपति का चुनाव हो रहा था। ओबामा अपने विज्ञापन की टीम के साथ बातचीत कर रहे थे। एक बड़े बैंकिंग फर्म के ध्वस्त होने की अफवाह जोरों पर थी।