बीसीसीआई के धतकरमों पर रोक, लोढ़ा की संस्तुति मान्य

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पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :

बात निकली है तो दूर तलक जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने आज ऐतिहासिक फैसला देते हुए बीसीसीआई में अपनी स्थापना की शुरुआत से ही की जा रही मनमानी और धतकरमों पर पूरी तरह से रोक लगाते हुए लोढ़ा समिति की संस्तुतियों को लगभग मान लिया।

बोर्ड को अनुपालन हेतु छह महीने का समय दिया गया है। ओवर समाप्त होने पर विज्ञापन दिये जा सकेंगे पर ओवरों के बीच नहीं।

अभी तक एक राज्य में तीन तीन संघ बना कर चुनावी गणित करने वाले बोर्ड की मुख्य न्यायाधीश ठाकुर और कैफुल्ला ने गर्दन पकड़ ली। अब एक राज्य का एक वोट होगा। हालाँकि महाराष्ट्र और गुजरात में तीन संघ काम करते रहेंगे पर वोट एक ही होगा, जिसमें चक्रीय पद्धति से तीनो में एक को बारी-बारी से वोट देने का अधिकार मिलेगा। पूर्वोत्तर के सभी राज्यों को बोर्ड में शामिल करने का भी आदेश दिया गया। मंत्री और सरकारी अधिकारी बोर्ड के पदाधिकारी नहीं हो सकेंगे। पदाधिकारी के लिए उम्र सीमा सत्तर साल कर दी गयी है। बोर्ड और आपीएल के कामकाज पर नजर रखने के लिए कैग के एक प्रतिनिधि को शामिल करना बाध्यकारी कर दिया गया है। 

लोढ़ा ने कहा कि क्रिकेट में अवैध सट्टेबाजी 25 लाख करोड़ तक पहुँच चुकी है। इस पर माननीय सर्वोच्च अदालत ने कहा कि सट्टेबाजी और बोर्ड में आरटीआई लागू करने के मामले में संसद फैसला करे। 

इस ऐतिहासिक फैसले की पूरी समीक्षा बाद में करूंगा। मगर यह वाकई देश के खेलों में सुधार की दिशा में मील का पत्थर है, इसमें संदेह नहीं। इसका पूरा श्रेय उस शख्स क्रूसेडर आदित्य वर्मा को जाता है जिसने घर फूंक तमाशा देखा। लाखों की जमीन बेच कर मुकदमा लड़ा। उनके बिहार क्रिकेट संघ को जिसके वर्मा सचिव हैं, बोर्ड ने मान्यता नहीं दी थी। अब उसे झक मार कर मान्यता देनी होगी। सलाम वर्मा तुमको। 

(देश मंथन 19 जुलाई 2016)

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