राणा यशवंत, प्रबंध संपादक, इंडिया न्यूज :
फ्रांस के आतंकी हमले ने दुनिया को दहला कर रख दिया है। जो लोग दिन भर अपना काम निपटा कर दोस्त परिवार के साथ शाम गुजारने निकले वे घर नहीं लौटे। जिंदगी के तमाम सपनों और अपनी बची उम्र के साथ कत्ल कर दिये गये। बातक्लाँ कन्सर्ट हॉल की जो तस्वीर आयी है – खौफनाक है।
खून से सना फर्श ठीक वैसा ही है जैसे ताज के अंदर की तस्वीर मुंबई हमले के बाद दिखी थी। आईएसआईएस, तालिबान या फिर लश्करे तैय्यबा जैसे आतंकी संगठन उन देशों के लिये लगातार खतरनाक होते जा रहे हैं, जिनको वे निशाना बनाने की योजना बना रहे होते हैं। इसमें अब स्लीपर सेल ज्यादा कारगर साबित होने लगा है। बैठे बिठाए आतंकी सरगनाओं को खूनखराबे और दहशतगर्दी के लिये खुद को उड़ा लेने वाले सिरफिरे मिल जा रहे हैं।
पेरिस में इतनी बड़ी वारदात को अंजाम इसलिए दिया जा सका क्योंकि फ्रांस में 7.5% मुस्लिम आबादी है जो संख्या में 47 लाख के आसपास बैठती है। आबादी के लिहाज से समूचे यूरोप में जर्मनी के बाद अगर सबसे ज्यादा मुसलमान कहीं रहते हैं तो वो फ्रांस है। फ्रांस के अंदर से ही हमले के लिये आतंकी ढूंढे गये। इस लिहाज से यह मुंबई हमले से अलग था लेकिन तरीका बिल्कुल वही था। दो रेस्तराँ के बाहर ताबड़तोड़ फायरिंग, म्यूजिक कन्सर्ट हॉल में लोगों को बेरहमी से भूनना और नेशनल स्टेडियम के बाहर सुसाइड ब्लास्ट। फ्रांस क्या समूची दुनिया को दहला देने वाली बेहद खौफनाक वारदात।
इसी साल जनवरी में फ्रांस में ही शार्ली हेब्दो पत्रिका के दफ्तर पर हमला हुआ था और इसकी जिम्मेदारी अलकायदा के यमन विंग ने ली थी। इस हमले में 12 लोग मारे गये थे। फ्रांस में इस साल ये मेरी जानकारी के लिहाज से चौथा आतंकी हमला है। आज दुनिया के तमाम बड़े मुल्क आतंकियों और उनके समूचे संगठन को नेस्तनाबूद करने की कसमें खा रहे हैं। लेकिन इसमें ईमानदारी की कमी आज भी दिख रही है और पहले भी दिखती रही है।
मैं मिसाल के तौर पर पाकिस्तान को सामने रख रहा हूँ, अमेरिकी की खुफिया एजेंसी सीआईए को पता है कि पाकिस्तान में आतंकी संगठनों के कैंप चलते हैं, वहाँ सैयद सलाउद्दीन, हाफिज सईद और जकीउर्रहमान जैसे आतंकी सरगना सरकारी पनाह में रहते हैं। परवेज मुशर्रफ जैसा आदमी जो 9 साल तक पाकिस्तान का सदर रहा और ताल ठोक कर अब कहता है कि ओसामा, अल जवाहिरी और हक्कानी से लेकर हाफिज सईद तक पाकिस्तान के हीरो हैं। हाल ही मुशर्रफ ने पाकिस्तान के दुनिया टीवी को इंटरव्यू दिया था और उसमें माना था कि ओसामा को ट्रेनिंग हमने दी और पाकिस्तान में वो नायक का दर्जा रखता है। लेकिन इतना कुछ साफ होते हुए भी अमेरिका और फ्रांस के लिये पाकिस्तान कोई खतरा नहीं है। उनके लिये पाकिस्तान के आतंकी भारत की मुसीबत है। ऐसी मानसिकता के चलते आतंकवाद के खिलाफ लड़ने का साझा और मजबूत ढांचा तैयार नहीं हो पा रहा है।
भारत बार-बार इसी दोहरे पैमाने को खत्म करने और आतंकियों को पनाह कहीं भी मिल रही हो, वे कहीं भी हों – उनको मिल कर खत्म करने की बात कहता रहा है। संयुक्त राष्ट्र को इसी आशय का रिज्योल्यूशन पास करना है। आतंकी कहीं भी हैं, जिस रूप में है, जिस किसी की पनाह में है – उसका तबाह होना दुनिया की बेहतरी के लिये जरूरी है।
(देश मंथन, 17 नवंबर 2015)