अदभुत, अनूठा – ऑरोविल इंटनेशनल सिटी

0
190

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

ऑरोविल इंटरनेशनल सिटी को आमतौर पर लोग पुडुचेरी में कहते हैं पर यह पुडुचेरी के पास तमिलनाडु राज्य के विलुप्पुरम जिले में स्थित है। यह एक प्रायोगिक नगर है। इसकी स्थापना 1968 में मीरा रिचर्ड ने की थी। इसकी रूपरेखा वास्तुकार रोजर ऐंगर ने तैयार की थी। 

ऑरोविल की आबादी दो हजार से ज्यादा है। यहाँ से 40 से ज्यादा देशों के लोग रहते हैं। यह एक ऐसा शहर है जिसकी व्यवस्था राज्य सरकार से परे है। इस शहर के लिए केंद्र सरकार मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत ऑरविल फाउंडेशन नामक स्वायत्त शासी संगठन बनाया गया है। भारतीय संसद में इस शहर के लिए विशेष कानून पास किया गया है। भले ही ऑरविल पुडुचेरी के पास है पर यह तकनीकी रूप से तमिलनाडु के विलुपुरम जिले में पड़ता है।  

ऑरविल टाउनशिप वास्तव में किसी गाँव की तरह नजर आता है। चारों तरफ हरियाली और खेत। बीच में कहीं कहीं घर नजर आते हैं। मुख्य टाउनशिप में सड़कें भी पक्की नहीं हैं। वहाँ सिर्फ डामर बिछाया गया है। यहाँ प्रदूषण का कोई नामो निशान नजर नहीं आता। इस शहर में आपको साइकिल और बाइक पर अगल-अलग देशों के नागरिक मस्ती में घूमते नजर आ जाएँगे। स्वागत कक्ष के पास पार्किंग है। वहाँ पर तीन बड़े बुटिक हैं और एक छोटा सा संग्रहालय भी है। यहाँ एक कैंटीन भी है। ऑरविल टाउनशिप के आसपास आम के बड़े-बड़े बाग हैं। इसके आसपास हरित वातावरण में कई कालोनियाँ भी तैयार हो रही हैं। इसके रास्ते पर आपको पेड़ फ्रांसिसी झंडे में रंगे हुए दिखायी दे जाते हैं।

ऑरोविल के पास स्थित समुद्र तट को ऑरोविल बीच कहते हैं। पुदुचेरी से 12 किलोमीटर दूर इस तट का पानी अधिक गहरा नहीं है। इसलिए पानी में तैरने के शौकीनों के लिए यह बिल्कुल सही जगह है। सप्ताह के अंत में यहाँ समय बिताना लोगों को बहुत पसंद आता है। उस दौरान यहाँ बहुत भीड़ रहती है। बाकी दिन यहाँ भीड़भाड़ नहीं रहती।

मातृ मंदिर 

ऑरविल का मुख्य आकर्षण फरवरी 2008 में अदभुत मातृ मंदिर का निर्माण पूरा हुआ। हालाँकि इसके निर्माण की योजना 1971 में बनी थी। यह गोल सुनहला एक पार्थना कक्ष है। इस तरह इसके निर्माण में 37 साल का वक्त लगा। इसका वास्तु शिल्प शानदार है। इसमें चारों तरफ 12 पंखुड़ियाँ हैं। इसमें सुनहले गोल-गोल डिस्क बने हैं। इससे सूर्य की रोशनी परावर्तित होकर अंदर पहुँचती है जो अदभुत वातावरण का सृजन करती है। यह विशाल अनुकृति चार स्तंभों पर खड़ी है। जो क्रमशः माहेश्वरी,  महाकाली, महालक्ष्मी और महा सरस्वती का प्रतीत है। 

आम दर्शकों को मातृ मंदिर एक व्यू प्वाइंट से ही देखने की इजाजत है। मातृ मंदिर तक जाने के लिए पहले स्वागत कक्ष में इसके बारे में 15 मिनट की एक फिल्म दिखायी जाती है। इसके बाद विजिटर पास जारी किए जाते हैं। मंदिर तक पहुँचने के लिए एक किलोमीटर की मनोरम यात्रा पैदल करनी पड़ती है। रास्ते में एक विशाल बरगद का पेड़ आता है, जिसकी कई सहायक जड़े जमीन से आकर जुड़ गयी है। वापसी के लिए निःशुल्क शटल बस सेवा चलायी जाती है। आप चाहें तो इसका लाभ उठा सकते हैं। 

खुलने का समय  

मातृ मंदिर रविवार की शाम को आम दर्शकों के लिए बंद रहता है। बाकी दिन सुबह 9.00 से 1.00 बजे और 2.00 से 4.30 बजे तक खुला रहता है।

कैसे पहुँचे 

ऑरविल पुडुचेरी शहर से 15 किलोमीटर बाहर है। यहाँ पहुँचने के दो रास्ते हैं। पहला सुगम रास्ता टिंडिवनम हाईवे से होकर है। इस हाइवे पर टोल नाका पार करने के बाद दाहिनी तरफ जाने वाली सड़क ऑरविल की ओर जाती है। दूसरा रास्ता ईस्ट कोस्ट रोड से होकर है। यहाँ पांडिचेरी यूनीवर्सिटी से थोड़ा पहले बायीं तरफ मुड़ने पर कुछ किलोमीटर मनोरम रास्ते पर चलने के बाद ऑरविल में प्रवेश करते हैं। यहाँ आप अपने निजी वाहन बाइक कार आदि से जा सकते हैं। बड़ी बसें नहीं जातीं। अधिकतम 35 सीटों वाली मिनी बसें को ही इस सिटी में आने की अनुमति है।

(देश मंथन, 17 नवंबर 2015)

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें