पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
माँ गंगा की इस स्वच्छता को बरकरार रखने के लिए आईए हम संकल्प लें, सौगंध खाएँ। आज राह दिखी है। वाकई ये अद्भुत दृश्य इसलिए ही नहीं हैं कि काशी में दो प्रधान मंत्रियों ने एक साथ माँ गंगा का पूजन किया और अत्यंत मनोयोग से पौने घंटे तक चली महा आरती का आनंद उठाया, बल्कि इसलिए भी कि माँ गंगा दशकों बाद इतनी निर्मल और स्वच्छ नजर आयीं। कहीं एक तिनका तक भी नहीं दिखा।
यह भी याद नहीं कि किसी विदेशी प्रधान मंत्री को मस्तक पर काशीवासियों ने अक्खड़ी केसरयुक्त बनारसी चंदन का लेप लगाये देखा होगा। पूजन के दौरान नरेंद्र मोदी-शिंजो अबे को गंगा माँ को दूध चढ़ाने के अलावा माल्यार्पण करते देखना सचमुच रोमांचक अनुभव रहा। विघ्न संतोषी जरूर कटाक्ष करने से बाज नहीं आएँगे, कुछ तो इसे कोर्ट के आदेश की अवहेलना भी करार देंगे। कहेंगे कि माँ को प्रदूषित किया। उनको मैं बता दूँ कि फूल माला से कभी नदियाँ प्रदूषित नहीं होतीं बल्कि ये ही तो जलचरों का भोजन है, लेकिन हम नगरवासी आज की साफ सफाई और वैतरणी की स्वच्छता को बरकरार रखने के लिए संकल्प लें, सौगंध खाएँ कि हम आगे नदियों को न तो प्रदूषित करेंगे और न ही किसी को करने देंगे। गंगाजल कब पीने योग्य होगा, यह तो भविष्य के गर्भ में है परंतु जो गंगा ऊपरी सतह पर आज जितनी साफ नजर आयी, वैसे ही बनी रहे तो समझ लीजिए कि आपकी यह छोटी सी पहल बहुत दूर तलक जाएगी।
जापानी प्रधान मंत्री पूरे कार्यक्रम के दौरान जहाँ पूरी तन्मयता के साथ समस्त कर्मकांड देख रहे थे तो मोदीजी आरती के दौरान कानों में रस घोलती स्वर लहरियों में इस कदर डूबे कि कुर्सी के दोनो हत्थों पर उंगलियो से ठेका देने लगे। कुल मिला कर देश और नगर दोनों के लिए यह आयोजन अविस्मरणीय-ऐतिहासिक रहा।
(देश मंथन, 14 दिसंबर 2015)
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