अफ्रीका जा कर चीन को घेरने की रणनीति

संदीप त्रिपाठी :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अफ्रीकी महाद्वीप की यात्रा पर निकले हैं। इस यात्रा के कई मायने होंगे, अलग-अलग विशेषज्ञ अलग-अलग पहलुओं पर बतायेंगे। लेकिन इस यात्रा के तीन मुख्य मंतव्य दिख रहें हैं। यह है भारत के आर्थिक लाभ, चीन के आर्थिक लाभों को सीमित करना और तीसरा अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में चीन और पाकिस्तान को कमजोर करना। मोजाम्बिक, दक्षिण अफ्रीका, तंजानिया और केन्या की मोदी की यात्रा से यही तस्वीर निकल कर सामने आती है।
दऊआ पहलवान गली

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
भद्र नाम था उस सड़क का -विद्यानिधि सर्वनाथ चंद्रालंकार मार्ग। पर सब उसे दऊआ पहलवान गली के नाम से ही जानते थे। दऊआ पहलवान स्थानीय गुंडे थे एक जमाने में, उनका नाम लेकर उस गली के शरीफ बाशिंदे पुलिस को डराते थे और नवोदित गुंडे दूसरे मुहल्ले के गुंडों को डराते थे।
मुलायम मलमल बनाने वाले देश का दिल कठोर

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
आज ज्यादा नहीं लिखूँगा।
सच पूछिए तो आज बिल्कुल नहीं लिखूँगा। मेरा मन ही नहीं है आज कुछ भी लिखने का। कल से मन बहुत उदास है। कल ही बांग्लादेश से उस बच्ची का शव यहाँ लाया गया, जिसने अभी जिन्दगी की राह पर अपना पहला कदम ही आगे बढ़ाया था।
अब आइने में अपनी शक्ल देखे इस्लाम… डरावनी हो चली है!

अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
हमारे जम्मू-कश्मीर राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की इस बात के लिए तारीफ की जानी चाहिए कि उन्होंने उस सच्चाई को कबूल करने का साहस दिखाया है, जिसे तुष्टीकरण की राजनीति करने वाले हमारे सुपर-सेक्युलर लोग समझते हुए भी स्वीकार करने को तैयार नहीं होते।
गाड़ी सायरन बजाते गुजरे तो मानव धर्म का निर्वाह करें

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मैं अमेरिका के डेनवर शहर में था। वही डेनवर शहर, जहाँ शादी के बाद अपनी धक-धक गर्ल माधुरी दीक्षित भी रहती थीं।
माधुरी दीक्षित बेशक वहीं रहती थीं, पर आज मैं कहानी माधुरी दीक्षित की नहीं सुनाने जा रहा। आज मैं आपको जो कहानी सुनाने जा रहा हूँ, उसे सुन कर आप सोचने लगेंगे कि क्या सचमुच ऐसा होता है? पर क्योंकि मैं इस कहानी का चश्मदीद हूँ, इसलिए आप मेरी बात पर यकीन कीजिएगा कि मैं जो कुछ भी कह रहा हूँ, उसका एक-एक अक्षर सत्य है। क्योंकि यह कहानी आदमी की जिन्दगी से जुड़ी है, इसलिए आप इसे अधिक से अधिक लोगों तक साझा कीजिएगा। जितने लोगों को ये कहानी पता चलेगी, उतना फायदा हम सबका होगा।
पलायन सिर्फ कैराना में?

निभा सिन्हा :
हमारे गाँव-शहरों में भी तो पलायन हुआ, और होता रहा है और अब भी हो रहा है। गाँव के गाँव खाली हो गये, पूरा शहर वीरान हो गया, लोग उसके बारे में कभी बात नहीं करते। क्योंकि ये गाँव-शहर उजड़े अच्छे स्कूल-कॉलेज नहीं होने के कारण, नाम के स्कूलों और कॉलेज में अच्छे शिक्षक न होने के कारण और कुछ शिक्षक थे भी अच्छे तो बच्चों के भविष्य के बारे में कभी नहीं सोचे, उसके कारण।
होरी के वंशजों की त्रासदी

अजय अनुराग:
बेशक, ‘गोदान’ का नायक ‘होरी’ गोदान ही नहीं समूचे हिंदी कथा साहित्य का ‘हीरो’ है और उसकी त्रासदी हमें परेशान भी करती है, लेकिन क्या यह सच नहीं है कि उसकी त्रासदी में कुछ हिस्सेदारी उसकी भी है? होरी के चरित्र में जो एक अजीब किस्म का दब्बूपन है वही उसके शोषण का कारण है, जिससे वह कभी मुक्त नहीं हो पाता।
रक्त दान : लोगों में जागरूकता की कमी

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
बच्चे को बहुत चोट लगी थी। खून बहुत बह गया था। बच्चे को लेकर कर माँ-बाप सरकारी अस्पताल पहुँचे थे। माँ दोनों हाथ जोड़ कर डॉक्टर के आगे गुहार लगा रही थी कि डॉक्टर साहब आप भगवान हो, किसी तरह मेरे बच्चे को बचा लो।
रूबी के दोषियों को कब मिलेगी सजा?

निभा सिन्हा :
ऐसा लग रहा है कि बिहार के इंटरमीडिएट टॉपर स्कैंडल के दोषियों को सजा दे कर सरकार अपने सारे दोषों से मुक्त होना चाहती है। सिस्टम पर ही बात करनी है तो सिर्फ बिहार ही क्यूँ, समूचे देश की ही बात कर लेते हैं। कभी-कभी एकाध रूबी राय जाने किस मंशा से पकड़ ली जाती हैं तो थोड़े दिन शोर शराबा होता है और फिर सब शांत, जैसे कि समाधान कर दिया गया हो समस्या का।
गरीबी सचमुच अभिशाप है

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
"डाक्टर साहब मेरा बेटा ठीक होगा कि नहीं, सच-सच बताइए।"
श्री लगाने भर से कोई श्रीमान नहीं हो जाता सुव्रत राय

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
विद्यार्थी जीवन में जब मैं हरिश्चंद्र इंटर कालेज में कक्षा छह का विद्यार्थी था तब अंग्रेजी के अध्यापक महाशय ने बताया था प्रापर नाउन और कामन नाउन के बारे में। पता नहीं क्यों उन्होंने एक बात कही थी- " कामन नाउन से प्रापर नाउन बनाया जा सकता है"। हमने यह सुन कर सीखा।
खेल के आकलन का सही समय आ चुका है धोनी

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी निस्संदेह इतिहास पुरुष हैं। आंकड़े स्वयं ही इसकी गवाही देते हैं कि वह दुनिया के ऐसे पहले कप्तान हैं जिन्होंने आईसीसी के तीनो टूर्नामेंट देश के लिए अपनी कप्तानी में जीते ही नहीं, टेस्ट में भी टीम को नंबर एक पर पहुँचाया।