पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की दु:साध्य ब्लड शुगर नें कहीं उनके दिमाग पर तो असर नहीं डाल दिया?
पिछले कुछ दिनों से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जिस असंयत भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं, वह वाकई चौंकाने वाली है। भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा कर सत्ता पाने वाला यह भूतपूर्व आईआरएस अपनी विनम्रता के लिए कभी अलग पहचान रखता था। मगर एक के बाद एक ऐसे वाकए हुए, जिसमें अरविंद बुरी तरह से आपा खोते नजर आये। कई मौकों पर उन्हें अपने शब्द भी निगलने पड़े थे। लेकिन सुधरना कौन कहे उनकी बदजुबानी दिनों दिन बढ़ती चली गयी और ताजी घटना में अपने मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के मद्देनजर जब सीबीआई ने दिल्ली सचिवालय में छापा मारा और राजेंद्र कुमार को पूछताछ के लिए ले गयी तब केजरीवाल इस कदर बिफरे और उन्होंने प्रधानमंत्री जी को भी लपेटते हुए जिस अभद्र भाषा का प्रयोग किया वह राजनेता या मुख्यमंत्री की तो बात छोड़िए, एक थोड़ा सा पढ़ा लिखा भी नहीं करेगा। मुझे लगता है कि अरविंद बीमार हो गये हैं। जो शख्स ब्लड शुगर का गंभीर रोगी हो और जिसे दिन में कई बार इनसुलिन का इंजेक्शन लेना पड़ता हो, कहीं उसकी इस मानसिकता का कारण यही मर्ज तो नहीं ?
इस संदर्भ में मैंने काशी के गणमान्य चिकित्सक-सामाजिक कार्यकर्ता व शहर दक्षिणी के पूर्व विधायक और हमारे अग्रज पारिवारिक मित्र डाक्टर रजनीकांत दत्ता से जब बात की तब उनका कहना था कि यदि केजरीवाल, जैसा आप बता रहे हैं, उसी तरह की लंबे समय से डायबिटीज के मरीज हैं तो शरीर की रक्त शिराओं में Atherosclerotic परिवर्तन से टारगेट आरगन जैसे मष्तिष्क, नेत्र, गुर्दा आदि कम होते रक्त प्रभाव के कारण प्रभावित हो जाते हैं और शनै: शनै: इसके लक्षण सामने आने लगते हैं। अगर उस शख्स का दिमाग प्रभावित हो जाता है तो उसकी बाडी लैंग्वेज और कोआगनेटिव परसेप्शन पर भी असर पड़ता है।
इससे होता यह है कि मरीज अक्सर पैरेनायेड सिजोफ्रेनिया के रोगी की तरह आचरण करने लगता है। यानी बेवजह किसी पर शक करते हुए आरोप लगाना, उसके प्रति हिंसक हो जाना, गाली गलौच पर उतर आना आदि लक्षण परिलक्षित होते हैं। ऐसे व्यक्ति खुद और समाज दोनों के लिए खतरा हैं। इसलिए उस व्यक्ति विशेष का फॉरसेनिक, मानसिक और मनोवैग्यानिक निदान यथा शीघ्र इसलिए आवश्यक है कि तात्कालिक समाधान किया जा सके और उसकी खतरनाक गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सके।
(देश मंथन, 18 दिसंबर 2015)