यह युद्ध पठानों और पंजाबियों का नहीं

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मियां नवाज शरीफ ने संसद में एक अत्यंत प्रभावशाली और ऐतिहासिक भाषण दिया। उन्होंने कहा कि अब आतंकवादियों का पूरा सफाया किए बिना हम चैन नहीं लेंगे। पाकिस्तान को अब हम आतंकवादियों की शरण-स्थली नहीं बनने देंगे।
नेता विपक्ष- परंपरा, धारा और भावना का इम्तहान

रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :
किसी भी लोकतंत्र की प्रतिनिधि संस्था में विपक्ष और उसके नेता की भूमिका भी साफ साफ होनी चाहिए। मौजूदा लोकसभा के संदर्भ में नेता विपक्ष को लेकर जो विवाद हो रहा है और उस पर जो लेख लिखे जा रहे हैं उन सभी को पढ़ते हुए यही लग रहा है कि नेता विपक्ष को लेकर स्पष्ट व्याख्या नहीं है।
तुम डाल-डालः हम पात-पात!

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रियों को जैसी हिदायतें दी है, वैसी किसी भी प्रधानमंत्री ने आज तक अपने मंत्रियों को नहीं दी हैं। मंत्री और सांसद, अपनी संपत्ति का ब्यौरा प्रधानमंत्री को दें, यह अब घिसी-पिटी बात हो गयी हैं।
हवाई किले और आम जनता

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के मुँह से यह सुनकर कितना अच्छा लग रहा था कि यह ‘मेरी सरकार’ है। प्रणब दा के अलावा कोई और व्यक्ति नरेंद्र मोदी की सरकार को ‘मेरी सरकार’ कह देता तो इतना अजूबा नहीं होता।
संस्कृत में सिर्फ शपथ काफी नहीं

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :
इस बार हमारी संसद में जितने मंत्रियों और सांसदों ने संस्कृत में शपथ ली, उतनों ने पहले कभी नहीं ली। यह महत्वपूर्ण बात हैं इसका मोटा कारण तो यही है कि भाजपा के सदस्यों की संख्या इस बार सबसे ज्यादा है।
मोदी की एतिहासिक भाषाई पहल

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :
नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनते ही वह चमत्कारी काम कर दिया, जो अब तक भारत का कोई प्रधानमंत्री नहीं कर सका। उन्होंने पड़ोसी देशों के नेताओं को भारत तो बुलाया ही, उनसे हिंदी में ही बात की। ये दोनों काम ऐसे हैं, जिनके लिए मैं पिछले कई वर्षों से लड़ रहा हूँ।
दूसरे मनमोहन की तलाश!

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :
यदि नवीन पटनायक और जयललिता पहली मुलाकात में ही नरेंद्र मोदी के साथ गठबंधन में बंध जाते तो उनके राज्यों में उनकी काफी हैठी होती।
बड़ी कुर्सी और बड़ा आदमी!

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :
प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी रोज ही एक-दो काम ऐसे कर रहे हैं कि जिनकी सराहना किए बिना नहीं रहा जा सकता। मोदी का निर्देश था कि मंत्री और सांसद अपने रिश्तेदारों को निजी सहायक बनाना बंद करें। इस निर्देश का तत्काल असर हुआ।
भ्रष्टाचार के विरुद्ध पहला कदम

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :
नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने काम-काज की शुरुआत में जिस मुस्तैदी और मौलिकता का परिचय दिया है, उससे बहुत आशाएँ बंध रही हैं। दक्षेस-राष्ट्रों का सम्मेलन, काले धन के लिए जाँच दल, रेल दुर्धटना पर रेल मंत्री को दौड़ाना, हेरात के हमले पर सीधी बात करना आदि वे कदम हैं, जिन्हें देखकर ऐसा लगता है कि मोदी सरकार कई बड़े चमत्कारी काम कर सकती हैं।
भारत-पाक जुगलबंदी

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :
नरेंद्र मोदी का शपथ-समारोह जितना सफल और सार्थक रहा, अब से पहले किसी भी प्रधानमंत्री का नहीं रहा। मंत्रिमंडल के निर्माण पर तो मैं कल लिख ही चुका हूँ लेकिन मुझे डर था कि दक्षेस राष्ट्रों के नेताओं के आगमन पर कोई अप्रिय घटना न हो जाये। इसीलिए जैसे ही मियां नवाज शरीफ दिल्ली पहुँचे, टीवी चैनलों ने कहना शुरू कर दिया कि वे शपथ-समारोह के पहले ही पत्रकार-परिषद करने की अनुमति चाहते हैं।
शपथः कुछ दूसरे पहलू

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :
भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का यह ऐतिहासिक दिन है, जब नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और उनके मंत्रिमंडल ने भी। इस मंत्रिमंडल में उनके संसदीय दल का लगभग सही प्रतिनिधित्व हुआ है लेकिन फिर भी मोटी-मोटी कुछ कमियाँ भी दिखायी पड़ती हैं।
मोदी से सहयोगी दलों की आस

अखिलेश शर्मा, वरिष्ठ संपादक (राजनीतिक), एनडीटीवी :
बीजेपी को लोक सभा में अपने बूते पर बहुमत है। जबकि सहयोगियों के साथ उसकी संख्या 336 है। बीजेपी के अलावा एनडीए की ऐसी ग्यारह पार्टियाँ और हैं जिन्होंने लोक सभा में सीटें जीती हैं। इनमें शिवसेना और तेलुगु देशम पार्टी की संख्या दहाई में है।