बड़ी-बड़ी उम्मीदें हैं मोदी की बड़ी चुनौती
क़मर वहीद नक़वी, संपादकीय निदेशक, इंडिया टीवी :
सरकार किस दल की नहीं, बल्कि कैसी बनती है, इस पर निर्भर करेगा कि वह क्या काम कर पाती है।
भाजपा के बड़े मुद्दे हैं सुशासन और विकास
नरेंद्र तनेजा, संयोजक (ऊर्जा प्रकोष्ठ), भाजपा :
यह चुनाव सिर्फ सुशासन और विकास के मुद्दों पर लड़ा जा रहा है, इसलिए सत्ता में आने पर भाजपा को बेहतर प्रदर्शन करके दिखाना होगा।
जनादेश के जश्न से पहले कद्दावर नेताओं की तिकड़म
पुण्य प्रसून बाजपेयी, कार्यकारी संपादक, आजतक :
1977 में देश की सबसे कद्दावर नेता इंदिरा गांधी को राजनारायण ने जब हराया तो देश में पहली बार मैसेज यही गया कि जनता ने इंदिरा को हरा दिया।
मुल्ला मुलायम और सलीम योगेंद्र यादव में फर्क क्या?
विकास मिश्रा, आजतक :
योगेंद्र यादव आम आदमी पार्टी के नेता हैं, बोलते हैं तो जुबां से मिसरी झरती है।
मोदी या फिर कोई नहीं
अखिलेश शर्मा, वरिष्ठ संपादक (राजनीतिक), एनडीटीवी :
लोक सभा चुनाव के लिए पहला वोट डलने में अभी ग्यारह दिन बाकी हैं और नतीजे 16 मई को आयेंगे।
क्यों बरसे मोदी केजरीवाल पर?
अखिलेश शर्मा, वरिष्ठ संपादक (राजनीतिक), एनडीटीवी :
दिल्ली विधानसभा चुनाव में मतदान से ठीक पहले चाँदनी चौक पर नरेंद्र मोदी ने की थी एक जनसभा।
जंग नहीं जनतंत्र है
अनिल सौमित्र, स्वतंत्र पत्रकार :
16वीं लोकसभा के गठन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। यह न युद्ध है और ना ही किसी पार्टी के लिए अंतिम है।
राजनाथ की तस्वीर से बढ़ी अटकलबाजी
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह के ट्विटर हैंडल से ट्वीट की गयी दो तस्वीरों ने आज राजनीतिक अटकलबाजियों को बढ़ा दिया।
अवसरवाद और परिवारवाद के बीच जनतंत्र
संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :
भारतीय समाज में हो रहे तमाम सकारात्मक बदलावों के बावजूद हमारी राजनीति और राजनीतिक दल इससे मुक्त दिखते हैं।
पपेटियर
अमिष श्रीवास्तव, वॉयस ऑफ अमेरिका :
श्रीमती सोनिया गाँधी कांग्रेस के सवा सौ साल के इतिहास मे सबसे लंबे समय तक रहने वाली अध्यक्ष हैं। बेकार की जानकारी है ये, लेकिन दे रहा हूँ क्योंकि एक बार पढ़ कर मैं चौंक गया था।
कहाँ गये हनुमान?
अखिलेश शर्मा, वरिष्ठ संपादक (राजनीतिक), एनडीटीवी :
जसवंत सिंह और हरिन पाठक दोनों में एक समानता है। दोनों हनुमान कहे जाते हैं। जसवंत सिंह अटल बिहारी वाजपेयी के हनुमान तो हरिन पाठक लाल कृष्ण आडवाणी के हनुमान।
भटकते राहुल गाँधी क्या खोज रहे हैं
पुण्य प्रसून बाजपेयी, कार्यकारी संपादक, आजतक :
देश के हर रंग को साथ जोड़कर ही कांग्रेस बनी थी और आज कांग्रेस के नेता राहुल गाँधी को कांग्रेस को गढ़ने के लिये देश के हर रंग के पास जाना पड़ रहा है।