राजनीति बतर्ज मुख्तार अन्सारी
क़मर वहीद नक़वी, पत्रकार :
पार्टियाँ न दाग देखती हैं, न धब्बा, बस बाहुबल, धनबल, धर्म, जाति के समीकरणों की गोटियाँ बिठाती हैं। आपको हैरानी होगी जान कर कि अभी उत्तराखंड में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पूरा जोर लगा कर बीजेपी के जिस नेता को काँग्रेस का टिकट दिलवाया है, उसके खिलाफ काँग्रेस की ही सरकार ने 2012 में साम्प्रदायिक उन्माद भड़काने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया था! बीजेपी भी पीछे नहीं है।
समाजवादी गठबंधन को धूल चटाने को बीजेपी-बीएसपी बना सकती है हिडेन एलायंस!
अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
समाजवादी+कांग्रेस गठबंधन से यह तय हो गया है कि उत्तर प्रदेश में इस बार मतदाताओं के पास जाति और धर्म से अलग जा कर मतदान करने का विकल्प सीमित या समाप्त हो गया है। विकास का नारा सिर्फ नारा रहेगा, लेकिन मतदान करने के लिये जाति और धर्म ही सबसे बड़ा इशारा रहेगा।
राजनीतिक दलों को पुरानी छूट पर नया बवाल
राजीव रंजन झा :
अचानक एक खबर आयी और नोटबंदी का विरोध करने वाले चेहरे मानो जीत के एहसास से खिल उठे - देखो, हम कहते थे ना कि काला धन रखने वाले नेताओं का कुछ नहीं बिगड़ेगा।
तेरा धन, न मेरा धन!
कमर वहीद नकवी, पत्रकार :
सरकार को उम्मीद है कि अगले डेढ़-दो वर्षों में वह बिना नकदी की अर्थव्यवस्था के अपने अभियान को एक ऐसे मुकाम तक पहुँचा देगी, जहाँ से वोटरों को, खास कर युवाओं को देश के 'आर्थिक कायाकल्प' की एक लुभावनी तस्वीर दिखायी जा सके।
आतंकवाद की आड़ लेकर नोटबंदी का विरोध
अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
जिस देश ने 70 साल धैर्य रखा, उसी देश में कुछ लोग 17 दिन में ही अधीर हुए जा रहे हैं। नोटबंदी के आलोचक तरह-तरह की दलीलों के साथ सरकार पर हमले कर रहे हैं। एक दलील यह भी है कि इससे आतंकवाद पर लगाम नहीं लगेगी, बल्कि उल्टे आतंकवाद और बढ़ेगा।
‘सिविल कोड नहीं, तो वोट नहीं!’
क़मर वहीद नक़वी, पत्रकार :
संघ के एक बहुत पुराने और खाँटी विचारक हैं, एम.जी. वैद्य। उनका सुझाव है कि जो लोग यूनिफार्म सिविल कोड को न मानें, उन्हें मताधिकार से वंचित कर देना चाहिए। खास तौर से उनके निशाने पर हैं मुसलमान और आदिवासी। उन्होंने अपने एक लेख में साफ-साफ लिखा है कि 'जो लोग अपने धर्म या तथाकथित आदिवासी समाज की प्रथाओं के कारण यूनिफार्म सिविल कोड को न मानना चाहें, उनके लिए विकल्प हो कि वह उसे न मानें। लेकिन ऐसे में उन्हें संसद और विधानसभाओं में वोट देने का अधिकार छोड़ना पड़ेगा।'
शहीद नहीं, बलि के बकरे थे रोहित वेमुला और रामकिशन ग्रेवाल!
अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
रोहित वेमुला और अब रामकिशन ग्रेवाल - इन दोनों ने कथित रूप से खुदकुशी की। एक आतंकवादी याकूब मेमन का समर्थक था, लेकिन तथाकथित खुदकुशी के बाद उसे दलित चेतना का प्रतीक घोषित कर दिया गया। दूसरा एक पूर्व फौजी था, जिसने कांग्रेस के 10 साल के शासन में orop लागू नहीं होने पर खुदकुशी नहीं की, लेकिन जब यह काफी हद तक लागू हो गया है, तब खुदकुशी कर ली।
जो आतंकी मारे गये, उन्हें जान तो लें
आवेश तिवारी, पत्रकार :
अगर भोपाल में मुठभेड़ में मारे गए आतंकियों की करतूतों को लिखना शुरू करूँ तो एक पूरा उपन्यास बन जायेगा। कुछ मित्रों का कहना है कि किसी अंडरट्रायल को आतंकी घोषित कैसे किया जा सकता है? बिल्कुल किया जा सकता है।
तेरे ‘मासूम’ सवालों से हैरान हूँ मैं
राजीव रंजन झा :
मध्य प्रदेश की भोपाल जेल से भागे आठ आतंकवादियों की मुठभेड़ में हुई मौत के बाद तमाम राजनीतिक दल और कथित रूप से उदार विचारधारा वाले लोगों की तरफ से सवालों की बौछार शुरू हो गयी है। सवाल पूछने वालों की नीयत चाहे जो भी हो, मध्य प्रदेश सरकार को इन सवालों के जवाब जरूर देने चाहिए।
कैसे सुलझे गुत्थी पाकिस्तान की?
क़मर वहीद नक़वी, पत्रकार :
जो सबसे आसान काम था, वही हमने अब तक नहीं किया। हमने पाकिस्तान को व्यापार के लिए 'एमएफएन' यानी 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' का दर्जा दे रखा है। इसे हमारी सरकार आसानी से वापस ले सकती है। लेकिन फिलहाल सरकार ने ऐसा नहीं किया।
मुस्लिम आबादी मिथ, भाग-दो!
क़मर वहीद नक़वी, पत्रकार :
बिहार के हिन्दुओं की जनसंख्या वृद्धि दर तमिलनाडु के हिन्दुओं के मुकाबले दुगुनी क्यों है? और केरल के मुसलमानों की जनसंख्या वृद्धि दर उत्तर प्रदेश के मुसलमानों के मुकाबले आधी क्यों है? केरल और लक्षद्वीप बड़ी मुस्लिम आबादीवाले राज्य हैं।
शहाबुद्दीनवादी सरकार क्या समझेगी शहादत का मोल…
अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
बिहार के अमर शहीद अशोक सिंह की पत्नी और हमारी बहन संगीता ने शहीदों को दिए जाने वाले मुआवजों को लेकर जो सवाल उठाए हैं, उसने हमारी कई सरकारों और राजनीतिक दलों की बेशर्मी और फूहड़पने की पोल खोल कर रख दी है।