विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
भरतपुर किले के अंदर भरतपुर स्टेट म्यूजियम स्थित है जिसको देखे बिना आपकी भरतपुर यात्रा अधूरी है। ऑटो रिक्शा वाला मुझे भरतपुर किले के मुख्य द्वार पर छोड़ देता है। पुल पारकर अष्टधातु गेट से मैं अंदर प्रवेश करता हूँ। कई घोड़ा गाड़ी दिखायी देते हैं। यानी भरतपुर शहर में अभी भी घोड़ा गाड़ी चलते हैं। मैं देखता हूँ कि किले के मुख्य द्वार के अंदर भी आबादी बसी है। दुकाने हैं लोगों के घर हैं। थोड़ी दूर आगे चलने पर टाउन हाल आता है। यहाँ से बाईं तरफ चलने पर स्टेट म्यूजियम का पता पा लेता हूँ। गरमी है इसलिए रूक कर जूस पीता हूँ। संग्राहलय के प्रवेश द्वार पर टिकट घर है। प्रवेश टिकट 10 रुपये का है।
लोहागढ़ किले के अंदर स्थित भरतपुर संग्रहालय में अद्वितीय और पुरातन कलाकृतियाँ और पुरातात्विक संसाधन हैं। यहाँ आने वाले सैलानी इसके पुरातन सौंदर्य को देख कर चकाचौंध हो जाते हैं। यहाँ खास तौर पर अस्त्र-शस्त्र और मूर्तियों का विशाल संग्रह है।
पहले राजा की कचहरी थी
इस तीन मंजिला इमारत का निर्माण महाराजा बलवंत सिंह ने 19 वीं शताब्दी के दौरान किया था। यह संग्रहालय पहले भरतपुर के शासकों का प्रशासनिक कार्यालय था और इसे कचहरी कलां के नाम से जाना जाता था। भरतपुर के शासकों का प्रशासनिक खंड हुआ करता था। बाद में 1 नवंबर 1944 में इसे संग्रहालय का रूप दिया गया। यह संग्रहालय भरतपुर की ऐतिहासिक संपत्ति के शानदार संचयन का प्रदर्शन करता है। यहाँ रियासतकालीन 500 से अधिक कलाकृतियाँ हैं।
इस संग्रहालय को देखकर दर्शक भरतपुर के राजाओं के वैभव और भव्यता का अंदाज लगा सकते हैं। यहाँ की कलाकृतियाँ और स्मृति चिन्ह भरतपुर के स्थानीय निकाय ने बहुत ही सावधानी से सहेजे हैं। भरतपुर राजकीय संग्रहालय में बेहद बेशकीमती मूर्तियाँ भी रखी हैं। ये कीमती सामान मैलाह, नोह, बयाना और बारेह नाम के पुराने गाँवों की पुरातात्विक खुदाई के दौरान मिले थे। यह संग्रहालय प्राचीन मूर्तियों,चित्रों, सिक्कों, शिलालेखों, सिक्कों, प्राणी नमूनों, सजावटी कला वस्तुओं और जाट शासकों द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले हथियारों का दुर्लभ संचयन प्रस्तुत करता है। इस संग्रहालय की आर्ट गैलरी में लिथो पेपर, अबरख और पीपल के पत्तों पर बने लघु चित्र दिखाए गये हैं।
अदभुत् स्नानागार (हमाम)
मुख्य द्वार से दाहिनी तरफ जाने पर इस भवन में महाराजा का बनवाया हुआ स्नानागार है। इस तरह का विशाल स्नानागार देश में आपको शायद ही कहीं और देखने को मिले। इस स्नानागार में कई हाल बने हुए हैं। इनमें प्राकृतिक तौर पर रोशनी आने का इंतजाम है। इनमें पानी लाने के लिए पाइप से अंडरग्राउंड इंतजाम किया गया था। स्नानागर के अंदर कुछ हाल ऐसे हैं, जिसमें पानी गरम करने का भी इंतजाम किया गया था। हौद के नीचे भट्टियाँ लगाई गयी थीं, जिससे पानी गरम हो जाता है। स्नानागार की दीवारों पर शानदार नक्कासी की गयी है। कपड़े बदलने के लिए भी कमरे बनाए गये हैं। इन्हें देखकर राजा रानियों के शाही अंदाज और शौक का एहसास होता है।
संग्रहालय की पहली मंजिल पर बने हाल में कई तरह के अस्त्र-शस्त्र का संग्रह देखा जा सकता है। इसमें बहुत ही छोटे का आकार की पिस्तौल भी देखी जा सकती है तो बड़े हथियार भी देखे जा सकते हैं। घड़ियाँ, राजाओ द्वारा इस्तेमाल की गयी कटलरी का विशाल संग्रह भी यहाँ है। संग्रहालय के द्वार के पास एक विशाल कड़ाही रखी गयी है, जिसमें एक साथ कई हजार लोगों के भोजन तैयार किया जाता था। गरमी से बचने के लिए विशाल चंवर देखा जा सकता है। यहाँ बंदर समेत कई जानवरों को केमिकल ट्रिटमेंट से बचाकर शोकेस मे रखा गया है।
56 खंभे से देखें नजारा
पर जब आप तीसरी मंजिल पर पहुँचते हैं तो नजारा देख चौंक जाते हैं। 56 खंभों वाली बारादरी का नजारा अदभुत है। इस चौबारे में बैठकर आप आसपास के नजारे देख सकते हैं। चांदनी रात में इस छत पर आना और भी बेहतर लगता होगा। यहाँ से शहर का नजारा भी शानदार दिखायी देता है। बताया जाता है कि इस किले में ऐतिहासिक फिल्म नूरजहाँ की शूटिंग भी हुई थी।
कैसे पहुँचे
संग्रहालय सुबह 9.30 बजे से शाम 5.30 बजे तक खुला रहता है। टिकट 10 रुपये का है। भरतपुर का स्टेट संग्रहालय भरतपुर के मुख्य बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन से केवल 4 किलोमीटर की दूरी पर है। आप साइकिल रिक्शा या ऑटो रिक्शा लेकर जा सकते हैं। अब राजस्थान सरकार इस संग्रहालय कायाकल्प करा कर और भी बेहतर बनवा रही है।
(देश मंथन, 05 अक्तूबर 2015)