जैसी सोच वैसा जीवन

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संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :

आपने दो बैलों की कथा पढ़ी होगी। आपने दो शहरों की कहानी भी पढ़ी होगी। 

आज मैं आपको दो चिट्ठियों की कहानी सुनाता हूँ। मैंने आपसे कहा था न कि पिछले दिनों घर से फालतू कागजों की सफाई में मेरी यादों का लंबा पुलिंदा खुल गया। उन्हीं यादों में से मैं आज आपके लिए ख़ास तौर पर लेकर आया हूँ, दो चिट्ठियों की कहानी। 

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करीब पंद्रह साल बीत चुके हैं। टीवी पर कौन बनेगा करोड़पति शो आने वाला था। मेरी पत्नी बचपन में डॉक्टर बनना चाहती थी, मुझे नहीं पता कि उसे किसने रोका। पर यह तय है कि वो पढ़ने में बहुत मेधावी थी। मैं तो पूरी जिन्दगी सेकेंड डिविजन वाला था, पर मेरी पत्नी पूरी जिन्दगी प्रथम में भी प्रथम आने वाली। जाहिर है, वो एक मेहनती छात्रा थी। 

ये उसकी मेहनत का ही फल था कि जैसे ही उसने टीवी पर कौन बनेगा करोड़पति शो का विज्ञापन देखा, वो उसके लिए तैयारी करने लगी। न सिर्फ उसने तैयारी की, बल्कि वो रोज फोन करके उसमें हिस्सा लेने के लिए आवेदन भी करने लगी। एक दिन फोन लग गया। नाम रजिस्टर हो गया। उसे अपनी कोशिशों पर पूरा भरोसा था। एक शाम फोन की घंटी बजी और उधर से पूछा गया कि हावड़ा ब्रिज की लंबाई कितनी है? 

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मेरी पत्नी का चयन इस शो के लिए हो गया। 

अब सुनिए आगे की कहानी। 

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तय समय पर हम मुंबई पहुँचे। अभी पहली बाधा उसने पार की थी। अब जो दस लोग वहाँ बुलाये गये थे, उनमें हॉट सीट के लिए चुना जाना बहुत महत्वपूर्ण था। किस्मत ने साथ दिया और वो उसमें भी चुन ली गयी। अब अमिताभ बच्चन के सामने हॉट सीट पर मेरी पत्नी थी। बच्चन साहब सवाल पूछ रहे थे, वो जवाब दे रही थी। किसी सवाल पर वो उलझ गयी। 

वो एक ऐसा सवाल था जिसके जवाब पर दुविधा थी। सवाल था जम्मू-कश्मीर में कौन सी पर्वत श्रृंखला है? 

एक विकल्प शिवालिक पहाड़ियों का था, दूसरा पीर पंजाल का। 

पत्नी ने शिवालिक कहा। सही जवाब पीर पंजाल था। 

पर मेरी पत्नी ने कहा कि शिवालिक भी है। खैर उसे वहीं से खेल छोड़ना पड़ा। 

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अमिताभ बच्चन उसके इस तरह बीच में खेल छूटने से बहुत दुखी हुए थे। चलते हुए उसे उन्होंने चेक दिया और साथ में एक चिट्ठी भी। 

पत्नी की दिलचस्पी पैसों में नहीं थी। पर अमिताभ बच्चन की चिट्ठी उसके चेहरे पर खुशी लाने के लिए काफी थी। 

घर आकर उसने एक बार फिर किताबों को खंगाला। उस सवाल के जवाब में उसे यही पता चला कि जम्मू-कश्मीर में पीर पंजाल के साथ शिवालिक रेंज भी है। 

उसने अपनी दुविधा को बरकरार रखते हुए कौन बनेगा करोड़पति को पत्र लिखा कि आपके सवाल में दुविधा की गुंजाइश थी। दोनों पर्वत श्रृंखलाएँ जम्मू-कश्मीर में हैं। 

उसे उम्मीद थी कि आयोजक अपनी गलती मान लेंगे और उसे दुबारा मौका मिलेगा इस शो में शामिल होने का। 

पर ऐसा नहीं हुआ। कुछ दिनों बाद उधर से एक चिट्ठी आई जिसमें कहा गया था कि आप बेवजह खुद को सही साबित कर रही हैं। आपका जवाब गलत था। और अगर आपने ज्यादा सवाल जवाब किए तो हमें अपनी कानूनी टीम का सहारा लेना पड़ेगा। 

नीचे दस्तखत था- पीटर मुखर्जी।

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हमारे पास दो चिट्ठियाँ थीं। एक अमिताभ बच्चन की। दूसरी पीटर मुखर्जी की। 

एक को देख कर पत्नी के चेहरे पर मुस्कुराहट उभर जाती। दूसरी चिट्ठी को देख कर वो उदास हो जाती। 

पीटर मुखर्जी नाम से तो हम वाकिफ ही तब हुए, जब इंद्राणी मुखर्जी वाला कांड सामने आया। खैर…

काश, जिन्दगी की टाइम मशीन पर हम सवार हो पाते! 

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अमिताभ बच्चन ने पत्र में अच्छे और सुखद भविष्य की दुआ की थी। पीटर मुखर्जी ने लिखा था कि कोर्ट के चक्कर काटने पड़ेंगे।

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(टाइम मशीन में 15 साल बाद)

अमिताभ बच्चन का भविष्य और सुखद हुआ। पीटर साहब कोर्ट के चक्कर काट रहे हैं।

(देश मंथन, 03 फरवरी 2016)

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