पंजाब के आनंदपुर साहिब की ओर

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

सिख धर्म के पाँच पवित्र तख्त में से एक है श्री केशगढ़ साहिब यानी आनंदपुर साहिब। अंबाला कैंट रेलवे स्टेशन से सुबह छह बजकर 10 मिनट पर नंगलडैम के लिए मेमू ट्रेन खुलती है। यह ट्रेन आनंदपुर साहिब या नैना देवी जाने के लिए आदर्श तरीका है। हालाँकि टिकट खिड़की से आधा किलोमीटर दूर 1ए प्लेटफार्म से ये ट्रेन हर रोज रवाना होती है। 

मैं टिकट लेकर मेमू में सवार हो जाता हूँ। जगह आसानी से मिल जाती है। ट्रेन चल पड़ती है। अंबाला सिटी के बाद शंभू, राजपुरा जंक्शन सराय बंजारा, साधूगढ के बाद सरहिंद जंक्शन आता है। लुधियाना जालंधर जाते समय सैकड़ों बार इस मार्ग से गुजरा हूँ। पर सरहिंद जंक्शन क्यो हैं। इतिहास में हम सरहिंद के युद्ध और संधि के बारे में पढ़ते हैं। पर अब सरहिंद से एक लाइन जाती है नंगल की तरफ इसलिए सरहिंद जंक्शन है। सुबह अच्छी ठंड है। पर ट्रेन में टीटीई साहब नजर आते हैं जो बिना किसी मुरौव्वत के बेटिकट यात्रियों पर फाइन करते रसीद थमाते जाते हैं।

हमारी ट्रेन सरहिंद से निकलते ही फतेहगढ़ साहिब में रुकती है। स्टेशन के पास ही विशाल गुरुद्वारा है। दरअसल पंजाबी में जिन शहरों के नाम के आगे साहिब लगा है, वहाँ विशाल गुरुद्वारे होते हैं और उनका संबंध सिख विरासत से होता है। फतेहगढ़ साहिब पंजाब का एक जिला है। ट्रेन आगे बढ़ती है। न्यू मोरिंडा जंक्शन आता है। लुधियाना से चंडीगढ़ के बीच बनी नयी रेलवे लाइन लुधियाना की तरफ से यहाँ आकर मिलती है। इसके बाद मोरिंडा आता है। यहाँ से चमकौर साहिब जाने का रास्ता है। ऐतिहासिक गुरुद्वारा चमकौर साहिब यहाँ से 14 किलोमीटर की दूरी पर है। इसके बाद हम पहुँच जाते हैं पंजाब के एक और जिले रुपनगर में। रूप नगर शहर चंडीगढ़ से नजदीक है। मेमू सिटी बजाती आगे बढती है। किरतपुर साहिब स्टेशन आता है। यहाँ भी ऐतिहासिक गुरुद्वारा है। 

किरतपुर साहिब से मंडी के लिए हाईवे का रास्ता बदलता है। इसके बाद का स्टेशन है आनंदपुर साहिब। यह नंगल से पहले का स्टेशन है। हालाँकि ट्रेन अब इंदौरा तक जाती है। ट्रेन में बीएसएफ के आरके शर्मा मिलते हैं। गुजरात के कच्छ से अपने घर मंडी जा रहे हैं। बातों बातों में सफर कट जाता है। आनंदपुर साहिब रेलवे स्टेशन की इमारत भी किसी गुरुद्वारा यानी धार्मिक प्रतीक जैसी ही बनी हुई है। स्टेशन बिल्कुल साफ-सुथरा चमचमाता हुआ है। स्टेशन पर ही टूथ ब्रश करने के बाद मैं निकल पड़ता हूँ सिख गुरुओं के इस ऐतिहासिक शहर को और करीब से देखने के लिए। सुबह सुहानी है। सरदी की धूप दवा सरीखी लग रही है। और मैं आगे कदम बढ़ाता जाता हूँ।

(देश मंथन 10 फरवरी 2016)

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