ओझर के विघ्नहर गणपति (अष्टविनायक)

0
447

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

महाराष्ट्र के अष्ट विनायक मन्दिर में सबसे लोकप्रिय मन्दिरों में है ओझर के गणपति।

इन्हें विघ्नहर के नाम से पुकारा जाता है। मन्दिर का सभागृह 10 फीट लंबा और 10 फीट चौड़ा है, जबकि सभागृह 20 फीट लंबा है। अन्य मन्दिरों की तरह यहाँ भी विघ्नेश्वर का मन्दिर भी पूर्वमुखी है। यहाँ एक दीपमाला भी है, जिसके पास द्वारपाल खड़े हैं। विघ्नेश्वर की मूर्ति पूर्वमुखी है और साथ ही साथ सिन्दूर औए तेल से संलेपित है। इनकी आँखों और नाभि में हीरा जड़ा है जो गणपति को और भी सुन्दर बनाता है। मूर्ति के पीछे रिद्धी और सिद्धी की मूर्तियाँ देखी जा सकती हैं। ये मन्दिर 1833 का बना हुआ है।

कथा 

मन्दिरों की तरह इस मन्दिर के पीछे भी एक मनोरंजक पौराणिक कथा है। कहा जाता है राजा अभिनन्दन ने त्रिलोक का राजा होने के लिए यज्ञ शुरू किया। इस दौरान विध्नासुर राक्षस काफी उत्पात मचा रहा था। ऋषि मुनियों ने विघ्नासुर के वध के लिए तब गणेश जी से विनती की। विध्नासुर डर कर गणपति के शरण में गया और उसने अपनी हार मानते हुए आग्रह किया कि यहाँ जब आपकी पूजा हो तो आपके साथ मेरा भी नाम लिया जाए। 1785 में इस मन्दिर में चिमाजी अप्पा ने सोने का कलश चढ़वाया।

मन्दिर परिसर में पूजा के लिए हाइटेक इन्तजाम है। पहली  बार मैंने यहाँ नारियल फोड़ने के लिए बिजली से चलने वाली मशीन देखी। ये मशीन मन्दिर के पीछे परिक्रमा मार्ग पर लगाई गई है। मन्दिर के आसपास छोटा सा सुन्दर बाजार भी है। यहाँ खाने-पीने की अच्छी  दुकाने हैं। आप महाराष्ट्रियन थाली के अलावा दक्षिण भारतीय व्यंजन का भी आनन्द ले सकते हैं।

रहने का सुन्दर इंतजाम 

ओझर में श्रद्धालुओं के रहने का सुन्दर इंतजाम है। यहाँ एक समय में 3,000 लोगों के रहने का इंतजाम किया गया है। सबसे कम महज 35 रुपये में श्रद्धालु डारमेटरी सिस्टम में ठहर सकते हैं। वहीं 250 से लेकर 350 रुपये में आप डबल बेड के बेहतर कमरों में ठहर सकते हैं।

महा प्रसाद योजना 

मन्दिर ट्रस्ट की ओर से रियायती दर पर प्रसाद (भोजन) का भी इंतजाम है। ये योजना 2004 से चल रही है। समय – 10  से 1 शाम 7.30 से 10.30 तक।  

अष्ट विनायक के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु के रात्रि ओझर में विश्राम जरूर करते हैं। मन्दिर आने वाले श्रद्धालु रंग-बिरंगे सजे हुए वाहन में यहाँ पहुँचते हैं। ऐसा ही बिजली से झालरों से सजा हुआ एक बस हमें यहाँ मन्दिर परिसर में दिखायी दिया। मन्दिर के बगल में बहने वाली नदी सुन्दर जलाशय का निर्माण करती है। इस जलाशय के निर्मल जल में बोटिन्ग का भी इंतजाम है। 

कैसे पहुँचे 

ये मन्दिर ककड़ी नदी के मनोरम तट के किनारे स्थित है। नासिक रोड पर जुन्नर से पहले नारायण गाँव से ओझर की दूरी 12 किलोमीटर है। नारायण गाँव या जुन्नर तक बस से पहुँचे। वहाँ से निजी ये शेयरिंग वाहनों से ओझर पहुँचा जा सकता है। 

(देश मंथन, 08 मई 2015)

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें