योग साधना का केंद्र – श्री अरविंदो आश्रम पुडुचेरी

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

पुडुचेरी की पहचान अरविंदो आश्रम से भी है। यह आध्यात्मिक चेतना का बड़ा केंद्र है। श्री अरविंदो आश्रम 24 नवंबर 1926 को अरविंदो द्वारा स्थापित किया गया था। इस दिन को सिद्धि दिवस के तौर पर मनाया जाता है।

महर्षि अरविंद के जन्मदिन 15 अगस्त के दिन भी आश्रम में दुनिया भर से श्रद्धालु पहुँचते हैं। महान संत, कवि तथा भारतीय आध्यामत्मिकता के महान प्रवर्तक श्री अरविंद अपने जीवन के अंत तक अपनी दृष्टि और विचारों का प्रसार करते रहे। उनका आश्रम आज भी अपनी खास जीवन शैली के कारण विश्वा-भर से लोगों को आकर्षित करता है। वैसे तो अरविंद आरंभ में अंग्रेजों के उत्पीड़न से बचने के लिए यहाँ आये थे, लेकिन बाद में वे योग और आध्यात्म की ओर प्रवृत हो गये। पारसी मूल की चित्रकार और संगीतकार मीरा अलफस्सा इस कार्य में श्री अरविंद की सहयोगी बनीं। महर्षि अरविंद का निधन 5 दिसंबर 1950 में हुआ पर मीरा जिन्हें लोग श्रद्धा से माँ के नाम से पुकारते हैं, 93 साल की उम्र तक 1973 तक आश्रम का प्रबंधन देखती रहीं।

श्री अरविंद 15 अगस्त 1872 को कलकत्ता में जन्मे थे। इनके पिता एक डाक्टर थे। इन्होंने युवा अवस्था में भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में उनका योगदान महान क्रान्तिकारी के रूप में है। उनकी स्कूली पढ़ाई दार्जिलिंग के एक अंग्रेजी स्कूल में हुई। सात साल की अवस्था में उनके पिता उन्हें इंग्लैंड ले गये। पढाई पूरी करने के बाद उन्होंने बड़ौदा नरेश के निजी सचिव के तौर पर काम किया। बाद में वे बड़ौदा कालेज प्रोफेसर और वाइस प्रिंसिपल भी बने। साल 1902 से 1910 तक वे क्रांतिकारी की भूमिका में रहे। इस दौरान वे राजनीतिक बंदी भी रहे।

जब महर्षि अरविंद ने इस आश्रम की स्थापना की  उस समय आश्रम में कोई 20 से 25 साधक ही रहे होंगे। उसी वर्ष के दिसम्बर माह में श्री अरविन्द ने निश्चय किया कि वे जनता से दूर रहेंगे और उन्होने अपने सहकर्मी मीरा अलफसा को आश्रम की जिम्मेदारियां सौंप दी जिन्हे लोग माँ के नाम से बुलाते हैं।

आश्रम अपने यहाँ आने वालों के लिए सीमित संख्या में आवास की सुविधा भी उपलब्ध कराता है। इसके लिए पहले से टेलीफोन करके बुकिंग की जानकारी लेनी पड़ती है। पर ये अतिथि गृह उन लोगों के लिए बनाये गये हैं जो आश्रम में ध्यान या साधना के लिए आना चाहते हैं। आश्रम में रहने वालों के ध्यान के लिए पास जारी किए जाते हैं।  सोमवार, मंगलवार, बुधवार और शुक्रवार को समाधि के पास ध्यान किया जा सकता है। आश्रम आस्थावान लोगों के लिए आश्रम की सभी गतिविधियाँ दिखाने के लिए कंडक्टेड टूर का भी आयोजन करता है। यहाँ दुनिया के कई देशों से लोग शांति की तलाश में आते हैं।

कैसे पहुँचे 

अरविंदो आश्रम बंगाल की खाड़ी समुद्र तट पर स्थित है। बस स्टैंड से दूरी तीन किलोमीटर के करीब है। आश्रम में महर्षि अरविंद की समाधि है। आम दर्शकों के लिए आश्रम में सुबह 8 से 12 बजे के बीच और शाम को 2 से 6 बजे के बीच जाने की इजाजत है। आश्रम के स्वागत कक्ष के पास पुस्तक स्टोर है। जहाँ आप श्री अरविंद से जुड़े साहित्य खरीद सकते हैं। ये साहित्य कई भाषाओं में उपलब्ध है। आश्रम में प्रवेश करने के बाद मौन रहने को कहा जाता है। समाधि के आसपास बोलने की इजाजत नहीं है। मोबाइल कैमरे सब बंद। आश्रम के बाहर निःशुल्क जूता घर और पार्किंग उपलब्ध है।

(देश मंथन, 19 नवंबर 2015)

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