विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
बिहार के पश्चिम चंपारण जिले का भिखना ठोरी रेलवे स्टेशन। गवनहा ब्लाक में स्थित भिखना ठोरी के जंगलों में बिखरे हैं इतिहास के कई पन्ने। यह इलाका ब्रिटेन के राजा जार्ज पंचम के शिकारगाह के तौर पर प्रसिद्ध है। वे नेपाल के राजा के आमंत्रण पर इधर शिकार करने पहुँचे थे।
दिसंबर 1911 में ग्रेट ब्रिटेन के किंग जार्ज पंचम ने 21 दिन चंपारण के भिखना ठोरी में गुजारे। यहाँ उन्होंने शिकार के लिए शिविर लगाया था। इस तीन हफ्ते में उन्होंने 39 बाघों का शिकार किया। जार्ज पंचम का जत्था हाथियों पर सवार होकर नेपाल की तराई के जंगल-जंगल में घूमता था।
जार्ज पंचम की खातिरदारी इस दौरान बेतिया और रामनगर के राजा ने की थी। सहायता के लिए उनके साथ नेपाली सिपाहियों और शिकारियों की टीम भी थी। 18 दिसंबर को किंग जार्ज ने पहला बाघ मारा। जार्ज पंचम 12 दिसंबर 1911 के दिल्ली दरबार के बाद चंपारण पहुँचे थे। जार्ज पंचम को शिकार का शौक था। वह इससे पूर्व 1905-06 में प्रिंस ऑफ वेल्स के तौर पर भारत आ चुके थे। 1911 में जार्ज पंचम ट्रेन से भिखना ठोरी तक पहुँचे।
यहाँ से आगे का सफर उन्होंने मोटर और हाथी से किया। शिकार के लिए 600 हाथियों की मदद ली गयी जो एक रिंग बनाकर बाघों को घेरने का काम करते थे। जार्ज पंचम ने नेपाल के चितवन नेशनल पार्क में जाकर इन बाघों का शिकार किया। शिकार से पहले पूरी तैयारी की गयी थी। थल सेना के दल ने 40 ठिकानों की पहचान की थी, जहाँ राजा शिकार कर सकें। शिकार करने के नेपाली तरीके में बाघों को आकर्षित करने के लिए बकरियाँ बांध दी जाती थीं। पर जार्ज पंचम की टीम ने रिंग तकनीक अपनायी और सफलतापूर्वक कई बाघों का शिकार किया। भिखना ठोरी में जार्ज पंचम के अस्थायी निवास के लिए एक बंगला बनाया गया था, जिसके अवशेष आज भी मौजूद हैं। जार्ज पंचम के प्रवास के दौरान इस बंगले के बाहर चौकीदार तैनात रहते थे। भिखना ठोरी इलाके से हिमालय की सुन्दर चोटियाँ दिखायी देती हैं। ये इलाका बिल्कुल नेपाल की सीमा पर स्थित है।
जार्ज पंचम के आगमन के लिए बिछायी रेलवे लाइन
नरकटिया गंज तक रेल संपर्क तो पहले से मौजूद था। पर जब 1911 में जार्ज पंचम ने नेपाल की तराई में शिकार की योजना बनायी तो उनके पहुँचने के लिए नरकटिया गंज से भिखना ठोरी तक के लिए 35 किलोमीटर की मीटरगेज लाइन बिछायी गयी।
इसी रेल मार्ग से जार्ज पंचम भिखना ठोरी दल बल के साथ पहुँचे। इस मार्ग पर कुल तीन रेलवे स्टेशन थे। यह संयोग रहा है कि 1917 में महात्मा गाँधी ने जब इस क्षेत्र में निलहे किसानों को लेकर आंदोलन की शुरुआत की तो अपना आश्रम भितिहरवा में बनाया। भितिहरवा इसी रेल मार्ग पर 16 किलमीटर पर स्थित है। बाद में भितिहरवा आश्रम के नाम से इस रेल मार्ग पर एक हाल्ट बनाया गया। लंबे समय से लोग इस रेल मार्ग को बड़ी लाइन में तब्दील करने की लगातार माँग कर रहे थे। अब उनके ये माँग पूरी होती हुई नजर आ रही है। हालाँकि मुनाफे के लिहाज से ये रेलवे के लिए घाटे की लाइन है। पर इसका ऐतिहासिक महत्व ज्यादा है।
अंततः समस्तीपुर रेलमंडल अंतर्गत नरकटियागंज- भिखना ठोरी रेल ट्रैक पर 24 अप्रैल 2015 से रेल गाड़ियों का परिचालन बन्द कर दिया गया है। रेलवे अब इस मार्ग को ब्राडगेज में बदलने जा रहा है। वास्तव में रेलवे के इतिहास में ये एक हेरिटेज लाइन है। इस लाइन से ब्रिटेन के महाराजा जार्ज पंचम और महात्मा गाँधी की स्मृतियाँ जुड़ी हैं।
नरकटियागंज भिखना ठोरी रेल मार्ग
कुल लंबाई – 35.7 किलोमीटर
मार्ग के स्टेशन
1. नरकटियागंज ( NRKG) –
2. अमोलवा – (12 किमी पर)
3. भितिहरवा आश्रम हाल्ट (BHWR) – (16 किमी पर)
4. गवनहा ( 22 किमी पर)
5. भिखना ठोरी ( BKF) ( 35.7 किमी पर)
(देश मंथन, 10 जुलाई 2015)