कांगड़ा – चामुंडा नंदिकेश्वर धाम

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

चामुंडा देवी यानी दैत्य चंड और मुंड का संहार करने वाली शक्ति की प्रतीक माँ। चामुंडा देवी पहाड़ों में बसने वाली नौ देवियों में से एक हैं। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में पुराने कांगडा शहर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर मनोरम वातावरण में स्थित है माँ चामुंडा का धाम। 

माँ चामुंडा का ये मंदिर शहर के भीड़भाड़ से दूर हरियाली के बीच है। समुद्र तल से तीन हजार फीट से ज्यादा ऊँचाई पर स्थित इस मंदिर से धौलाधार की पहाड़ियों का बड़ा ही मनोरम दृश्य दिखायी देता है। मंदिर के बगल में कलकल बहती बाणगंगा नदी की धार मनमोह लेती है।

चामुंडा देवी का मंदिर चौदहवीं सदी का बना हुआ बताया जाता है। इसे चामुंडा नंदिकेश्वर धाम के नाम से भी जाना जाता है। चामुंडा देवी दो बड़े दैत्यों चंड और मुंड का संहार करने वाली देवी हैं। दोनों राक्षस इतने शक्तिशाली थे कि इन्होंने स्वर्ग पर कब्जा कर लिया था। इनके संहार के बाद उनका नाम चामुंडा या चंडी पड़ा। इसलिए देवी चामुंडा को शक्ति की देवी कहा जाता है। मंदिर परिसर में हनुमान और भैरो बाबा की विशाल प्रतिमाएँ भी बनी हैं। साथ ही मंदिर परिसर में रामायण और महाभारत का दृश्य भी देखा जा सकता है। मंदिर परिसर में एक कृत्रिम झील का निर्माण किया गया है, जिसमें बाणगंगा नदी का पानी आता है। श्रद्धालु मंदिर में दर्शन पूजन से पहले इस झील में स्नान करते हैं। वैसे आप बाणगंगा नदी में भी स्नान कर सकते हैं। धौलाधार की पहाड़ियों से आते निर्मल जल में स्नान के बाद अगर माता का दर्शन करें तो मन को अदभुत शांति मिलती है।

अब चामुंडा देवी मंदिर के पास रहने के लिए आवास गृह और होटल भी बन गये हैं। अगर आप प्राकृतिक वातावरण में कुछ वक्त गुजारना चाहते हैं तो यहाँ भी ठहर सकते हैं। वैसे आप कांगड़ा, धर्मशाला या मैक्लोडगंज, नडी, पालमपुर में ठहरकर भी चामुंडा घूमने आ सकते हैं। 

क्या खरीदें 

मंदिर में दर्शन के अलावा चामुंडा से आप कांगड़ा घाटी की चाय, शहद, अचार, यहाँ के बने हुए खिलौने और हस्तशिल्प के दूसरे सामान खरीद सकते हैं। कांगड़ा घाटी की चाय का अपना अलग स्वाद है। चामुंडा मंदिर से कांगड़ा का पालमपुर शहर और महान पेंटर सोभा सिंह का गाँव अंद्रेटा भी पास में हैं। अंद्रेटा में सोभा सिंह की पेंटिंग गैलरी है जिसे आप देखने जा सकते हैं। 

कैसे पहुँचे

कांगड़ा और धर्मशाला बस स्टैंड से चामुंडा मंदिर के लिए मिनी बसें मिल जाती हैं। वहीं मैक्लोडगंज से भी चामुंडा देवी के लिए बस ली जा सकती है। नजदीकी रेलवे स्टेशन कांगड़ा मंदिर है। कभी चामुंडा देवी का मंदिर धर्मशाला शहर से दूर जंगलों में हुआ करता था। बाद में यहाँ पहुँचने के लिए सुगम रास्ता बनाया गया। अगर आप कांगड़ा पहुँचे हैं तो माँ चामुंडा के दरबार में हाजिरी लगाने जरूर पहुँचें।

(देश मंथन  03 मई 2016)

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