विद्युत प्रकाश :
तारीख बदल गयी है। 10 अक्तूबर 1993 रात के 12 से कुछ ज्यादा बजे हैं। ट्रेन अंबाला से चलकर कब चंडीगढ़ पहुँच गयी पता ही नहीं चला। अंबाला चंडीगढ़ के बीच 50 किलोमीटर से भी कम की दूरी है। ट्रेन प्लेटफार्म नंबर एक पर रूकी।
हमारी ट्रेन के साथ अंबाला से ही वायरलेस सिस्टम लग गया है। पुलिस के जवान की टुकड़ी ट्रेन में तैनात कर दी गयी है। ये सब सुरक्षा इंतजाम लौटते समय अंबाला तक रहेंगे।
चंडीगढ़ स्टेशन पर पंजाब सरकार के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री सरदार लाल सिंह जी पंजाब सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर रेल यात्रा के स्वागत के लिए पहुँचे। हमने भाई जी को सोते हुए जगाया। कुछ यात्री भाई और जगकर बाहर आ गये। पर औपचारिक स्वागत के बाद सबको सुबह तक अपने अपने डिब्बों में सो जाने के लिए कहा गया।
चंडीगढ़ स्टेशन शहर के कोलाहल से दूर बना है। प्लेटफार्म साफ सुथरा है। आसपास में पहाड़ियाँ नजर आ रही हैं। चटख धूप खिल रही है। रंग बिरंगे यात्री नास्ता के बाद अपनी साइकिलों को ठीककर सदभावना रैली के लिए निकल रहे हैं। स्टेशन से 5 किलोमीटर चलकर हमारी रैली सेक्टर 8सी के गुरुद्वारा के पास के स्कूल में पहुँची। यहाँ की स्थानीय स्वागत व्यवस्था श्री गुरुदेव सिंह सिद्दू, स्टेट लायसन आफिसर एनएसएस देख रहे हैं। वे बड़े ही सुलझे हुए और मितभाषी व्यक्ति हैं। उनके साथ निदेशक, यूथ सर्विसेज चंडीगढ़ श्री एसएम कांत साहब हैं। विद्यालय में ही नास्ता और आमसभा हुई।
चंडीगढ़ शहर काफी खूबसूरत है। 1949 में इस शहर का डिजाइन फ्रेंच आर्किटेक्ट ला कारबुजिए ने किया था। शहर की सभी सड़कें समकोण पर एक दूसरे को काटती हैं। सारे सेक्टर देखने में एक ही जैसे लगते हैं। शहर कुल 47 सेक्टरों में बटा है। आजकल आबादी 6.5 लाख है। मुख्य बाजार और सरकारी दफ्तर सेक्टर 17, 19 और 22 में है। सेक्टर 17 को पंजाबी दां लोग सतारा कहते हैं। दोपहर का भोजन सेक्टर 34 के गुरुद्वारे में हुआ। वहाँ मैंने इंडियन एक्सप्रेस के स्थानीय संवाददाता को रेल यात्रा के बारे में जानकारी दी। मेरी भूमिका थोड़ी थोड़ी जन संपर्क अधिकारी जैसी भी है। हालाँकि ये काम हमारी वरिष्ठ और आदरणीय कार्यकर्ता सुश्री लिसी भरूचा देखती हैं।
खाने के बाद हमलोगों ने थोड़ी देर गुरूद्वारे के बेसमेंट में आराम फरमाया। रणसिंह भाई बोले चलो पास के पीसीओ से कुछ जरूरी फोन करने चलते हैं। रविवार होने के कारण चंडीगढ़ का बाजार बंद है। यहाँ गुरूद्वारे में डाक्टर जगदीश जग्गी मिले, जिन्होंने हमें दैनिक जरूरत की कई दवाएँ मुफ्त में दीं। उन्होंने कहा कि मैंने एक ऐसी दवा इजाद की है जो हर बीमारी में काम करेगी। ऐसा हो सकता है भला। लेकिन डॉक्टर जग्गी तो चुनौती दे रहे हैं।
(देश मंथन, 07 अगस्त 2014)