चेन्नई का कपालेश्वर मंदिर – यहाँ पार्वती ने किया था तप

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

चेन्नई शहर में सबसे पुराना और प्रसिद्ध मंदिर है कपालेश्वर मंदिर। ये महादेव शिव का मंदिर है। साल का कोई भी दिन हो यहाँ हमेशा श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। कपालेश्वर मंदिर चेन्नई के मैलापुर इलाके में स्थित है। मंदिर के सामने एक विशाल सरोवर है। आसपास में घना बाजार है।

कपालेश्वर मंदिर द्रविड़ वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है। यह मंदिर सातवीं सदी में पल्लव राजाओं द्वारा बनवाया हुआ बताया जाता है। मंदिर की वर्तमान संरचना विजय नगर के राजाओं द्वारा सोलहवीं सदी में बनवायी गयी है। मंदिर का मुख्य भवन काले पत्थरों का बना है। मंदिर के दो मुख्य द्वार हैं, जहाँ विशाल गोपुरम बने हैं। मंदिर का मुख्य गोपुरम 120 फीट ऊंचा है तो 1906 में बनवाया गया।

मान्यता है कि इसी क्षेत्र में पार्वती ने शिव को पाने के लिए लंबे समय तक आराधना की थी। इसलिए इसे इच्छा पूरी करने वाला शिव का मंदिर माना जाता है। मंदिर के परिसर में पार्वती का भी मंदिर है। तमिल में पार्वती को कारपागांबल कहते हैं। मान्यता के मुताबिक शक्ति (पार्वती) ने शिव को को पाने के लिए उनकी आराधना मयूर के रूप में की। मयूर को तमिल में माइल कहते हैं। इसी नाम पर इस इलाके का नाम माइलापुर पड़ा। मंदिर परिसर में वह स्थल वृक्ष है जिसके नीचे बैठ कर पार्वती ने लंबी आराधना की थी। मंदिर में शिव की पूजा कपालेश्वर के तौर पर होती है। यहाँ शिव का लिंगम स्थापित है। तमिल के शैव काव्य परंपरा तेवरम में कपालेश्वर मंदिर की चर्चा आती है। तमिल के भक्ति कवि नयनार शिव का स्तुति गान करते हैं।

मंदिर के दोनों तरफ विशाल हाल बने हैं। इनमें 63 नयनारों की स्तुति रत मूर्तियाँ बनी हैं। मंदिर परिसर में गौशाला भी है। मंदिर परिसर में भगवान का भोग लगाने के लिए फलों की सुंदर रंगोली सजाई जाती है।

फागुन में विशाल मेला 

मंदिर परिसर में फागुन (तमिल में पांगुनी) महीने ब्रह्मोत्सव मनाया जाता है जो साल का सबसे बड़ा उत्सव होता है। तब यहाँ विशाल मेला लगता है। यह कुछ कुछ वसंतोत्सव जैसा होता है।

खुलने का समय 

मंदिर सुबह 6.00 बजे दर्शन के लिए खुलता है। दोपहर 12.30 से शाम 4.00 बजे तक मंदिर बंद रहता है। यहाँ रात्रि 9.30 बजे तक दर्शन किये जा सकते हैं। मंदिर की व्यवस्था ट्रस्ट देखता है। यहाँ भी स्पेशल दर्शन के लिए 20 रुपये के टिकट की व्यवस्था है। मंदिर की व्यवस्था तमिलनाडु सरकार के अधीन है।

कैसे पहुँचे

मंदिर वैसे तो ईस्टकोस्ट रोड पर आडयार और सैंथोम के पास स्थित है। किसी समय में जब आबादी नहीं थी मंदिर समंदर के किनारे हुआ करता था। अब आधा किलोमीटर घनी आबादी के बाद समंदर तट आता है। आप मैलापुर जाने के लिए चेन्नई प्रमुख बस टर्मिनल ब्राडवे से बस ले सकते हैं। चेन्नई सेंट्रल से मैलापुर की दूरी 8 किलोमीटर है। यह रोयापेट और आडयार के आसपास है।

(देश मंथन 28 नवंबर 2015)

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