छत्रपति शिवाजी टर्मिनस : विश्व विरासत का रेलवे स्टेशन

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

छत्रपति शिवाजी टर्मिनस नया नाम है। पुराना नाम था विक्टोरिया टर्मिनस। देश के अति व्यस्त रेलवे स्टेशनों में एक। आधा हिस्सा लंबी दूरी के ट्रेनों के लिए तो आधा हिस्सा लोकल ट्रेनों के लिए समर्पित है।

स्टेशन को यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा दे रखा है। देश का एकमात्र रेलवे स्टेशन है, जिसे ऐसा गौरव प्राप्त है। मुंबई के लोग इसे सीएसटी के नाम से पुकारते हैं। कई लोग इसे अभी भी वीटी कहते हैं। इस रेलवे स्टेशन के ऐतिहासिक इमारत में सेंट्रल रेलवे का मुख्यालय भी है। स्टेशन का निर्माण बोरी बन्दर इलाके में समन्दर के किनारे किया गया।

अत्यंत बारीक शिल्पकारी 

सीएसटी स्टेशन की इमारत 1887 में बनकर तैयार हुई। मई 1888 में इसे रेलगाड़ियों के संचालन के लिए खोला गया। फ्रेडरिक विलियम स्टीवेंस इसके वास्तुकार थे। स्टेशन भवन के वास्तुकला में विक्टोरियन इटालियन गोथिक वास्तुकला को महत्व दिया गया है। इसके अंदरूनी भाग में लकड़ी की नक्काशी, लोहे और पीतल की जालियाँ देखी जा सकती हैं। क्वीन विक्टोरिया के गोल्डन जुबली के उपलक्ष्य में स्टेशन का नाम विक्टोरिया टर्मिनस रखा गया। पर 1996 में इसका नाम बदल कर महाराष्ट्र के शूर वीर प्रतापी राजा के नाम पर छत्रपति शिवाजी टर्मिनस रखा गया स्टेशन में आर्च और मेहराबों पर अत्यंत बारीक शिल्पकारी उकेरी गई है। भवन को कैथेड्रल स्टाइल में बनाया गया है। वेस्ट्मिन्सटर एबै की तर्ज पर इसके गुम्बद और टॉवर हैं। मुख्य गुम्बद 16 फीट 6 इंच ऊँचा है। मुख्य पट्टिका पर इन्जीनियरिंग, कृषि, वाणिज्य, विज्ञान और व्यापार के प्रतीक चिन्ह हैं। निर्माण में इतालवी ग्रेनाइट का खूब इस्तेमाल किया गया है।

बोरी बन्दर, वीटी और अब सीएसटी 

ऐतिहासिक रूप से ये स्टेशन भारत से विदेश में समान भेजने और आयात करने का बड़ा केंद्र था। क्योंकि स्टेशन के बगल में विशाल बन्दरगाह है। 1850 में ग्रेट इंडियन पेनीसुला रेलवे ने यहाँ पर रेलवे स्टेशन का निर्माण किया। स्टेशन का नाम रखा गया बोरी बन्दर। बाद में इसका नाम विक्टोरिया टर्मिनस हुआ फिर शिवसेना की माँग पर छत्रपति शिवाजी टर्मिनस।

यहीं से चली थी देश की पहली रेलगाड़ी 

16 अप्रैल 1853 में यहीं से थाने के बीच देश की पहली रेल चली। यानी ये रेलवे स्टेशन भारत में रेलवे का जन्म स्थान है। पहली ट्रेन ने 57 मिनट में 35 किलोमीटर का सफर तय किया था। 1878 में वर्तमान शानदार स्टेशन इमारत का निर्माण कार्य आरंभ हुआ। नौ साल में ये भवन बनकर तैयार हुआ। बाहर से देखने में ये स्टेशन भवन किसी भी देश के दूसरे स्टेशन से भव्य दिखायी देता है। साथ ही अपने वैभव की दास्ताँ बयाँ करता हुआ प्रतीत होता है।

सीएसटी रेलवे स्टेशन 24 घंटे गुलजार नजर आता है। यहाँ कुल 18 प्लेटफार्म और 23 लाइनें हैं। इनमें से आधे प्लेटफार्म लोकल ट्रेनों के लिए हैं। स्टेशन के प्रवेश द्वार के पास टिकट काउन्टर और वाजिब दरों पर खाने-पीने के रेस्टोरेंट हैं। अब स्टेशन पर वातानूकित डारमेटरी आवास भी यात्रियों के लिए बनाये गये हैं। 2 जुलाई 2004 को यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्मारक की सूची में शामिल किया।

फिल्मों में वीटी स्टेशन 

1956 आई हिंदी फिल्म सीआईडी में गीत –  ये है मुंबई मेरी जान में इस स्टेशन की भव्यता को देखा जा सकता है। 2008 स्लमडॉग मिलियेनायर में एक बार फिर स्टेशन का भवन दिखायी देता है। ताजमहल के बाद ये देश का सबसे ज्यादा फोटोग्राफ लिया जाने वाला स्मारक माना जाता है।

आतंकी हमले का गवाह 

26 नवंबर 2011 को इस रेलवे स्टेशन ने आतंक का तांडव भी देखा जब पाकिस्तान से आए आतंकियों ने यहाँ खूनी खेल खेला। आतंकी हमले में सबसे ज्यादा 58 लोग यहीं मारे गये। पर जिन्दगी कभी नहीं रुकती और ये रेलवे स्टेशन 365 दिन 24 घंटे लाखों लोगों को अपनी मन्जिल तक पहुँचाने के लिए रास्ता देता रहता है।

(देश मंथन, 14 मई 2015)

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