आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार
डाँटे या डाँट खायें- फंडामेंटल सवाल ये ही है, जिन घरों में बच्चे हैं, वहाँ पेरेंट्स क्या करें।
मेरे अपने जमाने का सीन साफ था। कक्षा दस समेत सारी परीक्षाओं में तिमाही, छमाही, सालाना इम्तहान होते थे।
हर इम्तहान में परसेंटेज देखकर मेरी माँ यथोचित पिटायी करती थी, भविष्य के लिए आवश्यक धमकियाँ जारी करती थी और फिर फाइनली माँ के इस वाक्य के साथ पढ़ाई संवाद खत्म होता था कि यही हाल रहा तो भविष्य में सड़क पर ही घूमोगे।
इसके बाद मैं भविष्य का इंतजार किये बगैर, फौरन सड़क पर घूमने चल देता था। दोनो पार्टियों का संवाद खत्म, लाइफ आगे बढ़ती थी। अब का सीन दूसरा है। मुझे खबर मिली कि मेरी बेटी के कक्षा दस के एक टेस्ट में गणित में 12 में 4 नंबर आये हैं, मैं डाँटोत्सुक हो उठा। इसके बाद का संवाद ये है-
बेटा, ये क्या है।
पापा यू डोंट नो एनीथिंग, ये नंबर फाइनल मार्क्स में एड नहीं होंगे। ये यूनिट टेस्ट नहीं है, ये क्लास टेस्ट है। क्लास टेस्ट का कोई मतलब नहीं होता। यू नो दूसरी एक्टिविटीज भी देखी जाती हैं, बेस्ट फोर लिये जाते हैं।
बेटा प्लीज मुझे अपना इवेल्यूएशन सिस्टम समझाओ।
पापा, फार्मेटिव एसेसमेंट होता है इसमें रिटेन टेस्ट, ओरल टेस्ट, होम एसाइनमेंट्स, क्लास एसाइनमेंट्स, ग्रुप एक्टिविटीज, ग्रुप डिस्कशन, सेमिनार, क्विजेज, वर्कशीट, प्रोजेक्ट वर्क्स वगैरह होता है।
बेटा, तुम एमबीए जैसी बातें बता रही हो। इवन आईएएस के एक्जाम्स में भी इतना ना होता, वहाँ सिंपल है प्रिलिम्स, मेन्स और इंटरव्यू।
पापा, यू डोंट नो एनीथिंग ना, क्लास टेन आईएएस जितना इजी नहीं है। क्लास टेन में समेटिव एसेसमेंट भी होता है। दो टर्म्स में चार फार्मेटिव एसेसमेंट, दो समेटिव एसेसमेंट होते हैं। हर फार्मेटिव एसेसमेंट का वेटेज 10% होता है, हर समेटिव एसेसमेंट का वेटेज 30% है।
बेटा, मुझे ऐसा लग रहा है, जैसे तुम प्रेसीडेंशियल इलेक्शन के काँपलेक्स प्रोसेस के बारे में बता रही हो।
पापा, यू डोंट ना एनीथिंग ना, वैसे अगर मैं आपको डाँटने की परमीशन दे भी दूँ, तो उसका कोई फायदा नहीं होगा।
क्योंकि आपकी डाँट फाइनल मार्क्स में एड नहीं होगी।
(देश मंथन, 24 जुलाई 2015)