अति सुंदर नक्काशियों वाला महल – सिटी पैलेस करौली

0
434

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार : 

करौली बस स्टैंड की तरफ से पैदल चलते हुए बाजार की ओर बढ़ रहा हूँ। थोड़ी देर में एक गेट आता है। इसका नाम है हिंडौन गेट। गेट के आसपास घना बाजार है। आसपास में पतंगों की दुकानें लगी हैं। पर पुराना गेट अभी भी अच्छी हालत में है। किसी समय में करौली शहर में ऐसे छह दरवाजे थे। इसके अलावा दुश्मन का मुकाबला करने के लिए 11 परकोटे भी थे। करौली शहर पंचना नदी के तट पर बसा है। नदी पर बने डैम से शहर को पानी मिलता है। नदी पर बना बाँध मिट्टी का है।

करौली सिटी पैलेस राजस्थान के बेहतरीन ऐतिहासिक महलों में से है। पर यहाँ कम ही सैलानी पहुँचते हैं। इसका निर्माण 14वीं सदी में हुआ है। ये महल अपने क्लासिक चित्रों, पत्थरों पर सुंदर नक्काशी, वास्तुकला और जाली के सुंदर काम के कारण बहुत प्रसिद्ध है। यहाँ के दरबार हॉल  में कई पुरानी तस्वीरें हैं जो यहाँ के 600 साल पहले के कला के इतिहास को दिखाती हैं। ये महल 1938 तक यहाँ के शाही परिवार का निवास स्थल था। पर शाही परिवार दूसरे महल भंवर विलास पैलेस  के निर्माण के बाद वहां चला गया। भंवर विलास पैलेस को भी अब हेरिटेज होटल में परिवर्तित कर दिया गया है। (http://bhanwarvilaspalace.com/)

करौली के पुराने महल का निर्माण राजा अर्जुन पाल ने 1348 में करवाया था। कहा जाता है कि कभी ये नगर कल्याणपुरी के नाम से जाना जाता था। यहाँ यदुवंशी राजाओं का शासन रहा। वे खुद को भगवान कृष्ण का वंशज मानते हैं। पुरा करौली शहर लाल पत्थर की दीवारों से सुरक्षित किया गया था, जिससे दुश्मनों के हमले से बचाव हो सके। सिटी पैलेस की छत और झरोखों से आसपास का सुंदर नजारा दिखाई देता है। भंवर विलास पैलेस में ठहरने वाले सैलानियों को सिटी पैलेस की सैर ऊँट गाड़ी से कराई जाती है।

बड़ी संख्या में विदेशी सैलानी करौली किले में मध्यकालीन भारत के संग्रह को देखने आते हैं। यह किला अभी भी राजपरिवार के संरक्षण में है। सिटी पैलेस के दरबार हाल का सौंदर्य देखते ही बनता है। यहाँ राजस्थान की कई लड़ाइयों और उसके इतिहास से रूबरू हुआ जा सकता है। 

ब्रिटिश राज में करौली 17 तोपों की सलामी वाली राजघराना हुआ करता था। देश आजाद होने के बाद करौली राजघराने से जुड़े कुँअर ब्रिजेंद्र पाल लगातार पाँच बार करौली से विधायक चुने जाते रहे। 2008 में एक बार फिर राजघराने के महाराजा कृष्ण चंद्र पाल देव बहादुर की पत्नी रोहिणी कुमारी भाजपा से विधायक चुनी गईं। पर 2013 में रोहिणी कुमारी को जनता ने वसुंधरा की लहर में भी नकार दिया।

प्रवेश टिकट महँगा 

करौली के किले को देखने का प्रवेश टिकट 110 रुपये का है। अगर आप अपने कैमरे से फोटोग्राफी करना चाहते हैं तो उसके लिए 225 रुपये अलग से चुकाने होंगे। हालाँकि किले के बाहरी दीवारों का नजारा आप बिना किसी शुल्क के कर सकते हैं। 

(देश मंथन, 22 सितंबर 2015)

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें