विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
रामेश्वरम चार धामों में से एक तो है ही, पर अब रामेश्वरम में एक और नया तीर्थ बन चुका है। वह पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम का घर। डॉ. कलाम का जन्म 1931 में रामेश्वरम से आगे धनुषकोडी में मछुआरों की बस्ती में हुआ था।
एक अत्यंत गरीब परिवार में पैदा हुए अब्दुल कलाम विषम परिस्थितियों में पढ़ाई कर बहुत बड़े वैज्ञानिक बने। बाद में देश के सर्वोच्च पद पर पहुँचे यानी राष्ट्रपति बने।
रामेश्वरम आने वाले तमाम श्रद्धालु अब डॉ. कलाम का घर देखने भी जाते हैं। कलाम हाउस अब टूरिस्ट डेस्टिनेशन बन चुका है। हालाँकि कलाम साहब अब यहाँ कम ही आते हैं। कलाम साहब का पैतृक घर मूल अवस्था में नहीं है। उसे बाहर से आधुनिक रूप दे दिया गया है। घर आसपास कलाम साहब के परिवार के लोग रहते हैं, जिनकी आर्थिक हालात अब भी पहले जैसी ही है। हाँ! कलाम साहब के घर के आसपास कुछ दुकानें खुल गयी हैं। ये दुकानें गिफ्ट शॉप्स की हैं। सभी सैलानियों को ऑटो रिक्शा वाले इन गिफ्ट शॉप्स में लाकर छोड़ देते हैं।
मजे की बात ये दुकानें कलाम साहब के नाम पर चल रही हैं। दुकानों के साइन बोर्ड देखकर ये अंदाजा बखूबी लगाया जा सकता है कि दुकानदार किस तरह कलाम साहब के नाम का इस्तेमाल अपनी दुकानदारी में कर रहे हैं। यहाँ तक कि कुछ दुकानदारों ने दुकान का नाम प्रेसिडेंट के नाम पर रख दिया है।
कोई संग्रहालय नहीं
अगर आप ये सोचकर यहाँ पहुँचे हों कि कलाम साहब के नाम पर यहाँ कोई म्यूजियम होगा तो ऐसा नहीं है। जिला प्रशासन को यहाँ एक म्यूजिम बनवाना चाहिए, जिसमें कलाम साहब की जीवन यात्रा की तस्वीरों में प्रदर्शनी हो। ऐसा होने से सैलानियों को सही जानकारी मिल सकेगी। साथ ही कलाम हाउस आने वाले लोगों को इस पवित्र जगह से कुछ प्रेरणा भी मिल सकेगी।
बह गया था पुस्तैनी घर
कलाम का पुस्तैनी घर जो धनुष्कोडी में था वह 1964 में आए भीषण तूफान में बह गया। कलाम ने अपने युवावस्था में वह भीषण त्रासदी देखी थी। इस त्रासदी में एक पूरी रेलगाड़ी समंदर में समा गई थी। इस प्रलयंकारी घटना के बाद कलाम के परिवार के लोग वर्तमान स्थान पर आकर रहने लगे, जो रामेश्वर के रामनाथ स्वामी मन्दिर से दो किलोमीटर की दूरी पर है। आज कलाम के पैतृक आवास के आसपास उनके भाइयों की कलाकृतियों की दुकानें हैं। ( OCT 2012)
(27 जुलाई 2015 को कलाम साहब का 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया। मैं 2012 के अक्तूबर महीने में रामेश्वरम यात्रा के दौरान उनका घर देखने गया था।)
(देश मंथन, 30 जुलाई 2015)