विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
दिल्ली का इंडिया गेट। इसे दिल्ली का दिल कहा जाए तो गलत नहीं होगा। पूरी दिल्ली के मानचित्र में दिल्ली के बीचों बीच स्थित है। न सिर्फ बाहर से आने वाले लोगों के बीच बल्कि दिल्ली के स्थानीय लोगों के भी घूमने की सबसे प्रिय जगह है। हालाँकि इंडिया गेट नाम के मुताबिक यह कोई भारत का प्रवेश द्वार नहीं है। बल्कि यह अमर जवानों की यादगारी है। यह 43 मीटर ऊंचा विशाल दरवाजा है। आजादी से पहले इसे किंग्सवे कहा जाता था। दिल्ली के वास्तुकार सर एडवर्ड लुटियन ने ही इसका भी डिजाइन तैयार किया था।
इंडिया गेट का निर्माण लाल और पीले बलुआ पत्थरों से किया गया है। इसकी नींव 1921 में ड्यूक ऑफ कनॉट ने रखी थी। इसका निर्माण 12 फरवरी 1931 को पूरा हुआ। तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड इरविन ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया। इंडिया गेट निर्माण के समय यहाँ सामने एक जार्ज पंचम की प्रतिमा भी थी। पर देश आजाद होने के बाद उसे हटा दिया गया। अब उस प्रतिमा की छतरी भर यहाँ है।
इसे 80,000 से अधिक उन भारतीय सैनिकों की याद में निर्मित किया गया था जिन्होंने पहले विश्व युद्ध में और अफगान युद्ध लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त किया। तब ये भारतीय फौजी ब्रिटिश सेना में ब्रिटेन की ओर से लड़ रहे थे। इंडिया गेट की दीवारों पर कुल 13,300 ब्रिटिश फौजी अधिकारियों के नाम अंकित हैं जो युद्ध में खेत रहे।
देश आजाद होने के बाद 1971 में हुए भारत पाक युद्ध के बाद शहीदों की याद में इंडिया गेट के नीचे अमर जवान ज्योति की स्थापना की गयी। ये ज्योति दिन रात लगातार जलती रहती है। देश की आजादी के जान गँवा देने वाले अनाम शहीदों की याद में एक राइफल और टोपी यहाँ लगा दी गयी है।
इंडिया गेट के चारों तरफ गोल सड़क है। यहाँ से दिल्ली के हर कोने के लिए सडके निकलती हैं। कस्तूरबा गाँधी मार्ग, तिलक मार्ग, पुराना किला मार्ग, शेरशाह सूरी मार्ग, पंडारा रोड, शाहजहाँ रोड जैसे प्रमुख रोड इंडिया गेट के गोलचक्कर पर आकर मिलते हैं। इसलिए यहाँ पहुँचने के लिए कहीं से भी बसें मिल जाती हैं। निकटम मेट्रो स्टेशन खान मार्केट, प्रगति मैदान या केंद्रीय सचिवालय है। सरदियों को दोपहर हो या फिर गर्मियों की रात इंडिया गेट गुलजार रहता है। यहाँ हजारों लोगों की भीड़ हमेशा रहती है। रात को इंडिया गेट को बिजली की बत्तियों से रोशन किया जाता है तब इसकी खूबसूरती बढ़ जाती है।
इंडिया गेट के चक्कर लगाना, हरी हरी घास पर तफरीह करना और आइसक्रीम खाना दिल्ली वालों का प्रिय शगल है। आजकल इंडिया गेट के बिल्कुल अंदर जाने की इजाजत नहीं है। अगर आप दिल्ली में नये हैं तो दिन भर दिल्ली घूमने के बाद रात को इंडिया गेट पहुँच जाएं। इंडिया गेट से आप बोट क्लब और राष्ट्रपति भवन का विहंगम नजारा भी कर सकते हैं। इंडिया गेट हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर भव्य परेड का साक्षी बनता है। इस दौरान कुछ दिनों के लिए यहाँ सुरक्षा को लेकर बैरिकेटिंग कर दी जाती है।
(देश मंथन 20 जून 2016)