पुराना किला – कई अफसाने हैं दफन

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार  :

दिल्ली को जानना है तो पुराना किला गये बिना बात अधूरी रह जानी है। पुराना किला के साथ कई पुरानी यादें जुड़ी हैं। लोग तो कहते हैं कि यह पांडव कालीन है। पर किले के साथ मुगलकाल की कई स्मृतियां जुड़ी हैं।

कहते हैं कि ठीक इसी जगह पर पांडवों ने इंद्रप्रस्थ शहर बसाया था। पर वर्तमान पुराना किला की इमारत को अफगान शासक शेरशाह ने बनवाया था। वास्तव में इसका निर्माण कार्य हुमायूँ ने शुरू कराया था। पर बाद में शेरशाह ने इसका विस्तार कराया। उसने महज 5 साल दिल्ली पर शासन किया। पर शेरशाह को इतिहास में कई बड़े योगदान के लिए याद किया जाता है। पुराना किला तकरीबन एक मील के परिधि में फैला हुआ है। मजे की बात 1914 से पहले तक यहाँ एक गाँव का अस्तित्व हुआ करता था।

पुराना किला में कुल तीन प्रवेश द्वार हैं। एक का नाम हुमायूँ दरवाजा दूसरे का नाम तलाकी दरवाजा है तो तीसरे का नाम बड़ा दरवाजा है। किले के चारों तरफ काफी मोटी सुरक्षा दीवार है। इस दीवार के चारों तरफ गहरी खाई थी। इस मोटी दीवार के अवशेष को आज भी देखा जा सकता है।

हुमायूँ ने अपने 1531 से 1540 के शासन काल के दौरान पुराना किला का निर्माण शुरू कराया। उसने नाम दिया था दीनपनाह नगर। साल 1533 में किले का निर्माण शुरू हुआ। पांच साल में किला लगभग बन कर तैयार हो गया। 1540 में दिल्ली पर अधिकार के बाद यह किला शेरशाह के अधिकार में आ गया। पाँच साल शेरशाह ने इस किले से पूरे हिंदुस्तान पर हुकुमत चलाई। पर 13 मई 1545 को कालिंजर के युद्ध में शेरशाह की मृत्यु हो गई। अब किला शेरशाह के बेटे सलीम शाह के अधिकार में आ गया। पर 1555 में एक बार फिर हुमायूँ ने दिल्ली पर अधिकार कर लिया और किला एक बार फिर हुमायूँ के अधीन हो गया।

हुमायूं सीढ़ियों से फिसल गया

आखिरी हुमायूँ की मृत्यु कैसे हुई थी। सीढियों से फिसल कर न। वह अपने पुस्तकालय की सीढ़ियों से फिसल गया था। पढ़ने का बड़ा शौक था उसे। एक दिन पढ़ते हुए शेर मंडल (पुस्तकालय) की सीढ़ियों से फिसल गया। फिर नहीं उठ सका। शेर मंडल शेरशाह द्वारा निर्मित दो मंजिला अष्टकोणीय भवन है। इसे हुमायूँ ने अपना पुस्तकालय बनवा दिया था। हुमायूँ को पढ़ने का काफी शौक था। इन्ही किताबों के बीच 27 जनवरी 1556 की एक सुबह वह सीढ़ियों से फिसल गया फिर बच नहीं सका। किले के अंदर कौन्हा मसिजद भी है जो इंडो इस्लामिक वास्तु कला का सुंदर उदाहरण है।    

लाइट एंड साउंड शो

पुराना किला में रोज शाम को होने वाला लाइट एंड साउंड शो न सिर्फ पुराना किला बल्कि दिल्ली की कहानी सुनाता है। अतीत के हर मोड की दास्ताँ रोचक अंदाज में। शो हिंदी और अंग्रेजी में प्रस्तुत किया जाता है। अगर समय है तो इस शो को जरूर देखें। 

कई बार बना पनाहगार

दूसरे विश्व युद्ध के समय पुराना किला को जापान की फौज ने अपनी शरण स्थली बनाया। यहाँ 3000 फौज ने लंबे समय तक शरण ली। 1947 में देश आजाद होने पर पाकिस्तान से आए हिंदू परिवारों ने पुराने किले में शरण ली। हजारों परिवार यहाँ लंबे समय तक रहे।

भारतीय पुरात्तव विभाग द्वारा संरक्षित पुराना किला अब दिल्ली का प्रमुख पर्यटक स्थल है। किले में प्रवेश के लिए 15 रुपये का टिकट है। लाइट एंड साउंड शो का टिकट अलग से है। किले के बाहर सुंदर तालाब है, जिसमें पैडल बोटिंग का आनंद उठाया जा सकता है। किले के अंदर कई जगह सुंदर फूलों की क्यारियाँ हैं। दिन भर पुराना किला दिल्ली के प्रेमी युगलों से भी गुलजार रहता है। अगर आप पूरा किला घूमना चाहते हैं तो तीन चार घंटे का वक्त जरूर निकालिए। निकटतम मेट्रो या रेलवे स्टेशन प्रगति मैदान है।

(देश मंथन  18 जून 2016)

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