सबके प्यारे हैं दगड़ुसेठ हलवाई के गणपति

0
162

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

पुणे के बुधवार पेठ में दगड़ुसेठ गणपति का मन्दिर है। ये पुणे शहर का सबसे लोकप्रिय मन्दिर है।

मन्दिर के गणपति का श्रृंगार इतना भव्य होता है कि आपको सड़क से चलते हुए भी दिखायी दे जाता है। यहाँ के गणपति प्रतिमा का एक करोड़ का बीमा कराया गया है। मूर्ति का श्रृंगार अदभुत है, जिसे श्रद्धालु देखते ही रह जाते हैं।  

दगड़ुसेठ गणपति मन्दिर को श्री दगड़ुसेठ हलवाई और उनकी पत्नी लक्ष्मी बाई ने बनवाया था। इस मन्दिर की स्थापना 1893 में हुई। दगड़ुसेठ गणेश के परम भक्त थे। ये मन्दिर उन्होंने तब बनवाया जब उनके प्रिय बेटे की 1892 में प्लेग से मौत हो गई। दगड़ुसेठ किशनसेठ श्रीवास्तव मूल रूप से कानपुर के रहने वाले कायस्थ जाति के थे, जिनका परिवार पुणे चला गया था। वे मूल रूप से श्रीवास्तव थे। लेकिन पुणे आकर हलवाई का काम करना शुरू किया। इस काम के साथ ही वे पुणे में हलवाई के नाम से प्रसिद्ध हो गये। वे बहुत अच्छे कुश्तीबाज होने के साथ ही आजादी के आन्दोलन के बड़े नेता लोकमान्य तिलक के दोस्त भी थे। तिलक ने जब सार्वजनिक रूप से गणपति पूजन की शुरुआत की तब इस मन्दिर का महत्व बढ़ गया। इस मन्दिर की व्यवस्था अब दगड़ुसेठ हलवाई सार्वजनकि गणपति ट्रस्ट देखता है।

दान और चन्दे के लिहाज से ये महाराष्ट्र के सबसे अमीर मन्दिरों में एक है। इस मन्दिर की खास बात ये है कि महीने के हर रोज गणेश जी का अलग तरीके से श्रृंगार किया जाता है। ये श्रृंगार काफी भव्य होता है जो दूर से ही जगमग करता रहता है। मन्दिर के वेबसाइट पर हर रोज नए श्रृंगार की तस्वीर अपलोड की जाती है। मन्दिर क ट्रस्ट कई तरह के समाज सेवा प्रकल्प चलाता है। मन्दिर की ओर से शहर में एक वृद्धाश्रम चलाया जा रहा है।

कैसे पहुँचे

गणपति का ये मन्दिर पुणे के भीड़भाड़ भरे बाजार में स्थित है। अगर आप अपने वाहन से जाते हैं तो पार्किंग में दिक्कतें आती हैं। मन्दिर के आसपास इलाके में घना बाजार है। आप स्वार गेट बस डिपो से महात्मा फूले मार्केट के लिए बस लें। फूले मार्केट से टहलते हुए मन्दिर दर्शन के लिए पहुँच सकते हैं।

गणपति उत्सव पर विशाल मेला

हर साल गणपति उत्सव और गुडी पडवा उत्सव के आसपास मन्दिर में भारी भीड़ उमड़ती है। इन दिनों गणेश जी की प्रतिमा का श्रृंगार और भी अदभुत होता है।

खड़की वार सिमेट्री 

पुणे शहर से मुंबई जाने के रास्ते में खड़की वार सिमेट्री दिखायी देती है। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान मारे गये 1668 सैनिकों की समाधि है खड़की वार मेमोरियल में। इसकी देखभाल काँमनवेल्थ वार मेमोरियल करता है। यहाँ पश्चिम और केंद्रीय भारत में मारे गए सैनिकों की समाधि है। इस तरह की समाधि कोहिमा, इंफाल, रांची जैसे शहरों में भी है। यहाँ 629 सैनिक पहले विश्वयुद्ध के फौजियों की भी कब्रें हैं। वार सिमेट्री का निर्माण सड़क से 4 मीटर गहराई में किया गया। पुणे से मुंबई जाते समय खड़की कैंटोनमेंट एरिया मे ये वार सिमेट्री स्थित है।

(देश मंथन, 12 मई 2015)

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें