माथेरन में कोई डीजल वाहन नहीं चलता

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 8 अप्रैल 2015 को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 10 साल से ज्यादा पुराने डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है।

ऐसा आदेश शहर के पर्यावरण को बचाने को ध्यान में रखते हुए दिया गया है। वाहनों की लॉबी हाय-तौबा मचा रही है। पर देश में एक ऐसा पर्वतीय शहर है जहाँ डीजल या पेट्रोल चलित किसी भी वाहन का प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित है। महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में है हिल स्टेशन माथेरन जहाँ किसी तरह का वाहन शहर के अंदर नहीं जाता। शहर की प्राकृतिक आबोहवा को बचाये रखने के लिए इस तरह का फैसला बहुत साल पहले लिया गया था।

माथेरन शहर की सीमा से बाहर अमन लाज के पास पार्किंग में वाहनों को पार्क करके आगे का सफर पैदल करना पड़ता है। माथेरन एशिया का एकमात्र हिल स्टेशन है जहाँ पर सिर्फ पद यात्रा करके ही चल सकते हैं। इसलिए इसे सैलानी जीरो पल्यूशन हिल स्टेशन कहते हैं। यहाँ तक की साइकिल भी यहाँ नहीं चलती। सामान ढुलाई के लिए घोड़े हैं ना। मुंबई से इस हिल स्टेशन की दूरी 100 किलोमीटर है। यहाँ स्थानीय लोग भी किसी तरह का डीजल-पेट्रोल चलित वाहन नहीं रख सकते। इमरजेंसी के लिए सिर्फ शहर में दो एंबुलेंस हैं। अगर कोई नेता या वीआईपी भी शहर में आता है तो वह भी पद यात्रा ही करता है। बूढे और बीमारों के लिए हाथ रिक्शा का विकल्प मौजूद है। सामान ढोने के लिए लोग महिला और पुरुष कुलियों की सेवाएँ लेते हैं।

हालाँकि शहर के बीचों-बीच बाजार तक खिलौना ट्रेन आती है। उसमें डीजल इंजन लगा है। पर्यावरणविद काफी समय से तर्क दे रहे हैं कि इस ट्रेन को बिजली या फिर सीएनजी इंजन से चलाया जाए, जिससे माथेरन में कोई डीजल लोको भी प्रवेश नहीं कर सके। अगर रेलवे ये सुझाव मान लेता है तो आने वाले दिनों में यहाँ डीजल लोको का आना भी बंद हो सकता है।

वास्तव में हमें इस नन्हें से शहर से सीख लेने की जरूरत है ताकि हम अपने शहर की आबोहवा बचा सकें। वरना हम आने वाली पीढ़ी को क्या जवाब देंगे।

डीजल ईंजन या जनरेटर से जो धुआँ निकलता है उसमें बारीक से बारीक ऐसे ऐसे तत्व होते हैं जो आपकी सांस की नली से होते हुए फेफड़े को खराब कर देते हैं।  दिल के आस पास दौड़ने वाली धमनियों को कमजोर कर देते हैं, दिमाग की कोशिकाओं को बेकार कर देते हैं। कैंसर, पार्किंसन, अलझाईमर, हार्ट अटैक, सांस की तकलीफ, बिना बात की खाँसी, आँखों में जलन जैसी बीमारियाँ डीजल प्रदूषण से हो सकती है।

बढ़ता खतरा 

80 हजार से भी ज्यादा डीजल वाले ट्रक दिल्ली में रोज रात को प्रवेश करते हैं और इसकी हवा खराब कर जाते हैं। 

16 गुना ज्यादा हो गयी है दिल्ली में डीज़ल की खपत बढ़ने से रेस्पिरेपल सस्पेंडेट पर्टिकुलेट मैटर की मात्रा तय मानकों से।

2020 तक सभी डीजल कारों को बैन कर दिया जाएगा फ्रांस की राजधानी पेरिस में

2019 तक हटा देने की कवायद हो रही है हांगकांग में यूरो फोर डीजल गाड़ियों को। 

मनाली के आगे डीजल वाहन नहीं

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश के मुताबिक पहली मई 2015 से मनाली से रोहतांग जाने वाले डीजल इंजन पर्यटक वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया है। अब पहली मई के बाद केवल पेट्रोल इंजन वाहनों में ही पर्यटक रोहतांग जा सकेंगे। एनजीटी ने यह आदेश रोहतांग दर्रे के आसपास बढ़ते हुए प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए जारी किये हैं।

हिमाचल प्रदेश का पर्यटक सीजन भी मई और जून में यौवन पर रहता है। उस समय मैदानी इलाकों की भीषण गर्मी से राहत पाने के लिए पर्यटक पहाड़ों का रुख करते हैं। एनजीटी के आदेशों से कुल्लू-मनाली के पर्यटन कारोबारियों में हड़कंप मच गया है। कुल्लू में 80% पर्यटक वाहन डीजल इंजन हैं और 20% पेट्रोल इंजन हैं। अकेले मनाली में ही पर्यटक वाहनों की संख्या आठ सौ के करीब है। मई व जून में रोजाना रोहतांग के लिए मनाली से ढाई से तीन हजार पर्यटक वाहन आते-जाते हैं। इन आदेशों के बाद डीजल इंजन वाहन संचालकों की चिंता बढ़ गयी है।

(देश मंथन, 28 अप्रैल 2015)

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