दुर्गयाणा मंदिर में नन्हे लंगूर

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विद्युत प्रकाश :

(पहियों पर जिंदगी 21 ) 

18 अक्तूबर 1993 – रात्रि एक बजे हमारी ट्रेन अमृतसर रेलवे स्टेशन पहुँच चुकी थी। सुब्बराव जी के स्वागत में रेलवे के डीआरएम और अन्य अधिकारी पहुँचे।

रात को जो नौजवान जगकर बाहर आये उन्हें फिर कोल्ड ड्रिंक पिलायी गयी। आनंद भाई साहब ने रेलवे अधिकारियों को शिकायत दर्ज करायी। हम लोग कोल्ड ड्रिंक से होने वाली हानि के खिलाफ लोगों को जागरूक करते हैं फिर हमें कोल्ड ड्रिंक क्यों। हमारी शिकायत सुनी गयी। आगे से हमें दूध पिलाई जायेगी।

सुबह अमृतसर के स्थानीय एमएलए फकीरचंद शर्मा और नेहरू युवा केंद्र संगठन के लोग स्वागत के लिए पहुँचे। नास्ते के बाद हमारी रैली दुर्ग्याणा मंदिर पहुँची। बड़े से सरोवर के बीचों बीच दुर्ग्याणा मंदिर है। सरवोर के चारों कोने में भी मंदिर हैं। यहां रंगबिरंगी टोपियाँ बिक रही थीं। गगन ने एक टोपी खरीद कर मुझे गिफ्ट किया। मैं टोपी पहन कर खुश हो रहा हूं। नवरात्र शुरू हो चुका है और दुर्गायाणा मंदिर में चहल पहल बढ़ी हुई है। यहाँ पर बच्चे हमें लंगूर का रूप धारण किए मंदिर परिसर में चहल कदमी करते नजर आये। पता चला कि पंजाब में लोग मनौतियाँ माँगते हैं। अगर मन्नत पूरी हो गयी, तो अपने बच्चों को लंगूर बनाकर मंदिर में घुमाते हैं। तो हमें जगह जगह लंगूर दिखायी दिये। 

बंगलूरू से आयी मुस्लिम युवती सलमा और उनकी सहेलियों को भी दुर्गायाणा मंदिर परिसर का माहौल काफी पसंद आया। दोपहर में हमारी रैली दूसरे मार्ग से रेलवे स्टेशन लौट आयी। इसके बाद हमलोग बसों से भारत पाकिस्तान की सीमा अटारी बार्डर के लिए चल पड़े। अटारी अमृतसर से 26 किलोमीटर है। अटारी सीमांत रेलवे स्टेशन का नाम है जबकि बार्डर का नाम वाघा है। अटारी से पाकिस्तान के शहर लाहौर के लिए ट्रेन जाती है। वाघा सीमा पर शाम को प्रतिदिन भारत और पाकिस्तान के झंडे उतारने की रस्म अदा की जाती है। दोनों देशों के सैनिक झंडा उतारने से पहले अपनी अपनी राष्ट्र धुन बजाते हैं। इस दौरान सैनिक एक दूसरे से रस्मी मुलाकात करते हैं। दोनों तरफ से सीमा से 20 फीट की दूरी पर दोनों देशों के नागरिकों की भारी भीड़ जुटती है। दोनों देशों के नागरिक एक दूसरे के अभिवादन में हाथ उठाते हैं। पर ये हाथ मिल नहीं पाते हैं। पाकिस्तान का शहर लाहौर यहाँ से बहुत निकट है।

सीमा पर हमलोगों की छोटी सी सभा भी हुई। आते समय बस में नये रेल यात्रियों से परिचय हुआ। मैं अटारी के लिए गयी अलग बसों में से एक बस का प्रभारी था। संगरूर से आयी गुरप्रीत सैनी और वीना बंसल वाघा सीमा पर सैनिकों की परेड देखकर काफी खुश थीं। सीमा पर फौजियों की ये परेड देश भर से आये लोगों में राष्ट्र भक्ति का नया जोश भरती है। हमने भारत पाकिस्तान सीमा के बीच नो मेन्स लैंड भी देखा।

रात के भोजन के बाद ट्रेन में पहुँचने के बाद मुझे देर रात तक जग कर काम करना पड़ा। क्योंकि अमृतसर रेल यात्रियों का ज्वाएनिंग और रिलिविंग स्टेशन है। यहाँ पर सौ नये लोग आये और सौ पुराने लोग गये। पुराने लोगों को प्रमाण पत्र, टीए बिल आदि जारी करना और नये लोगों का पंजीयन और उन्हे आईकार्ड आदि जारी करना बहुत जिम्मेवारी का काम है।

(देश मंथन, 26 अगस्त 2014)

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