विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
तमिलनाडु का स्टेट हाइवे नंबर 49 ईस्ट कोस्ट रोड के नाम से मशहूर है। वैसे तो लोग इसे ईसीआर के नाम से बुलाते हैं। इसीआर पर सफर करना ऐसा आनंदित करता है मानो ये सफर कभी खत्म न हो।
एक तरफ लहलहाते खेत दूसरी तरफ बंगाल की खाड़ी – समंदर से आती ठंडी हवायें। सफर का आनंद कई गुना बढ़ जाता है। जिधर नजर डालिए प्रकृति अपनी अप्रतिम सुषमा बिखेरती नजर आती है। पर नजर है कि ठहरती नहीं। दृष्टि में कोई नया वितान आ जाता है। सफर चलता रहता है। ईसीआर तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई को वाया पुडुचेरी कुडुलुर से जोड़ता है।
अब ईसीआर विस्तार थुतुकुडी तक हो गया है और कुल लंबाई है 690 किलोमीटर। आगे इसे कन्याकुमारी तक जोड़ने पर काम चल रहा है। इस सड़क का निर्माण 1998 में तमाम ग्रामीण सड़कों को बेहतर रूप देते हुए किया गया। चेन्नई से पुडुचेरी के बीच करीब 160 किलोमीटर के मार्ग में इस रोड पर कई बीच हाउस और बोट हाउस बने हुए हैं, जहाँ सैलानी आराम फरमाते हैं। ईसीआर की शुरुआत चेन्नई शहर के थिरुवन्नमयूर से मानी जाती है।
गोल्डेन बीच और महाबलीपुरम जैसे शहर इस रोड पर आते हैं। 80 फीट चौड़े से सड़क पर दिन रात वाहन फर्राटा भरते नजर आते हैं। भले ही ये नेशनल हाईवे नहीं है पर राज्य सरकार द्वारा प्रबंधित की जाने वाली यह सड़क किसी भी एनएच से कहीं से भी कम नहीं है। हालाँकि अब इस सड़क को केंद्र सरकार भारत माला परियोजना के तहत विकसित करने को तैयार है।
ईसीआर पर आडयार से 23 किलोमीटर आगे मुटुकुडु बोट हाउस पड़ता है जो सैलानियो की प्रिय जगह है। वहीं महाबलीपुरम से 5 किलोमीटर पहले ईसीआर पर टाइगर गुफा भी पड़ती है। पहले दिन गोल्डेन बीच से महाबलीपुरम तक हमने ईसीआर पर सफर किया। महाबलीपुरम तक चेन्नई की लोकल बसें भी आती हैं। हमारा ईसीआर पर दूसरे दिन का सफर शुरू हुआ महाबलीपुरम से। महाबलीपुरम बाइपास से पुडेचेरी की बसें मिलती हैं। हर 10 मिनट पर एक बस आ जाती है। जगह नहीं होने पर हमने तमिलनाडु रोडवेज की बस छोड़ दी। तुरंत पीछे से पीआरटीसी (पुडुचेरी रोड ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन की बस आयी। हमें आगे जगह मिल गयी।
महाबलीपुरम से पुडुचेरी का 100 किलोमीटर का किराया 60 रुपये। वहीं सांबर राइस, कर्ड राइस 30 रुपये में। यह कई राज्यों की बसों की तुलना में कम है। बस सरपट ईसीआर पर भागने लगी। एक से बढ़ कर एक नजारें। सड़क के दोनों तरफ हरियाली और झूमते खेत। अक्तूबर के महीने में भी धान की खेती हो रही थी। तमाम सैलानी बाइक किराये पर लेकर ईसीआर पर फर्राटे भरना पसंद करते हैं। जहाँ मरजी हो रूक जाओ फिर चलते बनो।
दो घंटे में 100 किलोमीटर का सफर करके पुडुचेरी में प्रवेश कर गयी। रास्ते में एक ढाबे पर रूकी। वहाँ खाने की दरें काफी वाजिब थीं। फुल मील (तमिल भोज) 60 रुपये का। कोई ड्राइवर कमिशन का चक्कर नहीं। चटख दुपहरिया में हमारी बस पुडुचेरी के न्यू बस स्टैंड में प्रवेश कर गयी। पूछने पर पता चला कि हमारा होटल 5 मिनट के पैदल चलने की दूरी पर है। तो हम चले पड़े अपने ठिकाने की ओर।
(देश मंथन, 09 नवंबर 2015)