विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार:
शिलांग से चेरापूंजी के रास्ते में आप कई खूबसूरत झरने देखते हुए आगे बढ़ते हैं। वाहकाबा फाल्स में जैसे झरने आपने देखे उसका बड़ा रूप इको पार्क में देखने को मिलता है।
चेरापूंजी शहर पहुँचते ही आपका दीदार इको पार्क के साथ होता है। वास्तव में यह कई प्राकृतिक झरनों का समूह है। इसे मेघालय टूरिज्म ने काफी सुंदर ढंग से व्यवस्थित कर दिया है।
इको पार्क सैलानियों को कई घंटे तक आनंदित होने का मौका देता है। मीठे-मीठे झरनों के बीच लंबी चौड़ी ट्रैकिंग, थक गये तो झूले पर झूलिए। सी सॉ जैसे गेम का आनंद उठाये। अपने बचपन के दिनों याद कर उसमें खो जाइए। आखिर क्यों नहीं, आखिर दिल तो बच्चा है जी…
इको पार्क वास्तव में चेरापूंजी का मावसमाई क्षेत्र में स्थित है। इसका विस्तार एक किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्र में है। इसे मेघायल टूरिज्म की ओर से इस तरह डिजाइन किया गया है कि यहाँ सैलानी कुछ घंटे चहलकदमी करते हुए प्रकृति के सुंदर नजारों का आनंद ले सकें। पार्क के अंदर आपका साक्षात्कार कई जलधाराओं से होता है।
चेरापूंजी के बारे में एक बात और अब इसका आफिसियल नाम सोहरा हो गया है। स्थानीय लोग भी इसी नाम से जानते हैं। मार्च से अक्तूबर तक सोहरा क्षेत्र में 98% बारिश होती है। बारिश के दिन में इको पार्क का सौंदर्य और भी निखर जाता है।
इको पार्क के प्रवेश द्वार पर आप कुछ झरने देख सकते हैं इनका नाम मिसिंग फाल्स दिया गया है। इको पार्क का विकास शिलांग एग्रो हार्टिकल्चर सोसाइटी की ओर से किया गया है। यहाँ आपको कई तरह के फूल और पौधे भी देखने को मिल सकते हैं। पर सबसे बड़ा आकर्षण झरनों की अलग-अलग धाराएं दिखाई देती हैं। पानी पहाड़ों के साथ रोमांस करता हुआ आगे बढ़ता है। पर पर ऊंचाई से गहराई में पानी को गिरते हुए देखना बड़ा सुखकर लगता है। पर आपको सलाह है कि काफी किनारे जाकर इन झरनों के न देखें। अगर सेल्फी लेने की कोशिश में पाँव फिसला तो बचने की कोई उम्मीद नहीं है। झरने का सौंदर्य निहारने के लिए एक व्यू प्वाइंट का निर्माण किया गया है। इस व्यू प्वाइंट ने सिर्फ झरना दिखाई देता है बल्कि बादल आपसे नीचे पहाड़ों की खाई में टहलते हुए नजर आते हैं।
झरने को एक पुल से पार करके आप कुछ एक किलोमीटर तक आगे घूमते हुए जा सकते हैं। आगे कुछ झूले और सी-सा नजर आते हैं। अनादि और मैं भी मचल गया। हमने देर तक झूले का आनंद लिया। और थोड़ा आगे बढ़े। एक दफ्तर नजर आता है। अगर आसमान साफ हो तो यहाँ से बांग्लादेश की सीमा और बांग्लादेश के गाँव को नंगी आँखों से देखा जा सकता है।
पर इको पार्क का मौसम ऐसा है कि हर दस मिनट पर यहाँ मौसम नया रंग दिखाता है। विशाल झरने से नीचे गिरता हुआ पानी बादल बढ़ जाने के बाद दिखाई देना बंद हो गया।थोड़ी देर पहले बांग्लादेश दिखाई दे रहा था पर अब उसे बादलों ने ढक लिया…
हालांकि पिछले दो सालों से चेरापूंजी में बारिश थोड़ी कम हुई है पर फिर भी यहाँ साल के आठ महीने बारिश कभी भी हो सकती है। पर झरनों का पानी और बारिश का ज्यादातर पानी जो चेरापूंजी में दिखाई देता है वह बांग्लादेश को के सिलहट जिले को जाकर आबाद करता है। यानी इन पहाड़ों का पानी बांग्लादेश के काम आता है।
साल 2004 से इको पार्क को सैलानियों के लिए सजाया संवारा गया है। यहाँ पर रहने के लिए गेस्ट हाउस भी उपलब्ध है। हालांकि काफी सैलानी पार्क के अंदर निर्देशों की अवहेलना करके गंदगी फैलाते नजर आते हैं। पर हमें याद रखना चाहिए कि इको पार्क के खूबसूरत झरनों जैसी धरोहर हमें देश में बहुत कम देखने को मिल सकती है, तो इसे सुंदरता को बचाए रखना हमारा पुनीत दायित्व बनता है…
इको पार्क के मुख्य द्वार पर पार्किंग, पे एंड यूज टायलेट, छोटा सा शापिंग सेंटर आदि की सुविधाएँ उपलब्ध हैं। पार्क के अंदर भी तीन प्रस्तर के बने विजय स्तंभ देखे जा सकते हैं।
(देश मंथन, 22 मार्च 2017)