हिन्दू, बौद्ध और जैन विरासत का संगम है एलोरा

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

अगर आप देश का इतिहास, विरासत, संस्कृति से साक्षात्कार करना चाहते हों तो एलोरा से अच्छी कोई जगह नहीं हो सकती।

यहाँ एक साथ हिन्दू, बौद्ध और जैन संस्कृति की समृद्ध परंपरा का दीदार किया जा सकता है। ये गुफाएँ अद्भुत और अकल्पनीय हैं।  औरंगाबाद शहर से 30 किलोमीटर आगे मनमाड मार्ग पर वेरुल गाँव में स्थित हैं एलोरा की गुफाएँ। ये गुफाएँ 7वीं से नौवीं सदी के बीच बनी हैं।  

एलोरा में कुल 100 के करीब गुफाएँ हैं, जिनमें से 34 गुफाएँ सुप्रसिद्ध हैं। इन गुफाओं में से 1 से 12 गुफाएँ बौद्ध धर्म से संबंधित है, 13 से 19 गुफाएँ ब्राह्मण धर्म से जुड़ी हैं। वहीं 30 से 34 गुफाएँ जैन धर्म से संबंधित हैं।

कैलाश मन्दिर 

विशाल कैलाश (गुफा 16) का श्रेय कृष्णाफ- I (लगभग 757-83 ई॰) को जाता है जो दन्ती दुर्ग का उत्तगराधिकारी एवं चाचा था। कैलाश मन्दिर मे अति विशाल शिवलिंग देखा जा सकता है। मन्दिर में एक विशाल हाथी की प्रतिमा भी है जो खंडित हो चुकी है। एलोरा की ज्यादातर गुफाओ में प्राकृतिक प्रकाश पहुँचता है, लेकिन कुछ गुफाओं को देखने के लिए बैटरी वाले टार्च की जरूरत होती है। यहाँ पुरातत्व विभाग के कर्मचारी आपकी मदद के लिए मौजूद होते हैं।

अजन्ता् से भिन्ना, एलोरा गुफाओं की विशेषता यह है कि अलग-अलग एतिहासिक कालखंड में व्‍यापार मार्ग के अत्यतन्ती निकट होने के कारण इनकी कभी भी उपेक्षा नहीं हुई। इन गुफाओं को देखने के लिए उत्सा‍ही यात्रियों के साथ-साथ राजसी व्यइक्ति नियमित रूप से आते रहे।

10वीं सदी ईसवी के अरब भूगोलवेत्ताि, अल-मसूदी को एलोरा का सर्वप्रथम आगन्तु क माना जाता है। 19वीं सदी के दौरान इन गुफाओं पर इन्दौलर के होल्कुरों का नियन्त्रण हो गया था, जिन्होंतने पूजा के अधिकार के लिए इनकी नीलामी की तथा धार्मिक और प्रवेश शुल्क् के लिए इन्हेंन पट्टे पर दे दिया। होल्कीरों के बाद, इनका नियन्त्रण हैदराबाद के निजाम को अंतरित कर दिया गया, जिसने भारतीय पुरातत्वय सर्वेक्षण के मार्ग दर्शन में अपने विभाग के माध्यम से गुफाओं की व्यासपक मरम्मवत एवं रख-रखाव करवाया। 

कैसे देखें 

यदि आपके के पास तीन से चार घण्टेय हैं तो गुफा संख्याष 10 (विश्वकर्मा गुफा) 16 (कैलाश), 21 (रामेश्वसर) एवं 32 तथा 34 (जैन धर्म गुफा समूह) को अवश्य देखें। इन गुफाओं का भ्रमण कर कोई भी व्य1क्ति् बौद्ध धर्म, ब्राह्मण धर्म एवं जैन धर्म की झलक पा सकता है। यदि सारा दिन समय है तो बौद्ध धर्म की गुफा संख्या  2, 5, 10, एवं 12, ब्राह्मणी समूह गुफा संख्या 14, 15, 16, 21 एवं 29 तथा जैन धर्म गुफा संख्याु 32 से 34 को देखें।

जैन गुफाओं की दूरी मुख्य गुफा के प्रवेश द्वार से एक किलोमीटर आगे है। यदि आप औरंगाबाद से गाड़ी आरक्षित करके आये हैं तो गाड़ी वाला आपको वहाँ तक ले जायेगा। अन्यथा आपको पैदल या स्थानीय वाहन से जाना होगा।

प्रवेश शुल्क 

भारतीय नागरिक और सार्क देशों के लोग 10/-रुपये प्रति व्यक्ति। अन्य देश के लिए – 250/- रुपये प्रति व्यक्ति , 15 साल तक के बच्चे  – नि:शुल्क। कार पार्किग – 20 रुपये। याद रखें हर मंगलवार को एलोरा की गुफाएँ बंद रहती हैं।

बारिश में शबाब पर होता है सौन्दर्य 

वैसे तो एलोरा की गुफाएँ सालों भर देखी जा सकती हैं। पर अगर आप यहाँ बारिश के दिनों में पहुँचे तो अद्भुत हरितिमा के बीच एलोरा का सौंदर्य कई गुना बढ़ जाता है। पास में बहने वाली एलगंगा नदी मानसून के मौसम में अपने पूरे यौवन पर होती है। जब महिषमती के निकट की प्रतिकूल धारा में बैराज के ऊपर से बहने वाला पानी धमाके से गिरने वाले जलप्रताप के रूप में गुफा नंबर 29 के निकट ‘सीता की नहानी’ पर पहुँच जाता है तब का नजारा देखने लायक होता है।

(देश मंथन, 29 अप्रैल 2015)

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