किसी और में खुद को देख पाना ही प्रेम है

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संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

आप में से बहुत से लोग इंग्लैंड गये होंगे। मैं भी गया हूँ। 

पर आज कहानी न तो आपकी लिखी जा रही है, न मेरी। आज कहानी लिख रहा हूँ उस नौजवान की, जिसे अंग्रेजी नहीं आती थी पर उसे इंग्लैंड जाना था। उसका पासपोर्ट बन चुका था, वीजा लग चुका था। अब बस उड़ना भर बाकी था। 

नौजवान से किसी ने कह दिया कि तुम इंग्लैंड जा तो रहे हो, पर वहाँ तुम बात कैसे करोगे? 

“क्यों? क्या वहाँ के लोग बोल नहीं पाते? या फिर सुन नहीं पाते?”

“अरे बाबा, बोल भी पाते हैं और सुन भी पाते हैं। पर वहाँ के लोग अंग्रेजी बोलते हैं और तुम्हें तो अंग्रेजी न बोलनी आती है, न तुम समझते हो।”

“ओह! तो ये बात है। मतलब मुझे अंग्रेजी सीखनी पड़ेगी।”

“बिल्कुल।”

जिस मेरे भाई को इंग्लैंड जाना था, वो अपने एक दोस्त के पास पहुँचा और उसने कहा कि तुम मुझे अंग्रेजी सिखा दो क्योंकि मुझे इंग्लैंड जाना है।

दोस्त ने कहा कि अंग्रेजी बोलना कोई बड़ी बात नहीं। मैंने बहुत-सी फिल्में देखी हैं, जिनमें अंग्रेज हिंदुस्तानियों से अंग्रेजी में बात करते हैं और हिंदुस्तानी उसे समझते भी हैं। बस इतना ध्यान रखना कि अंग्रेज ‘त’ को ‘ट’ बोलते हैं। जैसे तुम कहाँ जा रहे हो को एक अंग्रेज कहेगा, “टुम कहाँ जाटा?”

इंग्लैड जा रहा मेरा भाई समझ गया कि अंग्रेजी क्या होती है।

बस फिर क्या था!!

वो विमान से उड़ा और पहुँच गया लंदन।

लंदन में उसने एक टैक्सी वाले को बुलाया और पूछा, “टुम कोई होटल जानटा है?”

इत्तेफाक से टैक्सी वाला भी यहीं से वहाँ गया था। 

उसने उससे कहा, “यस सर, हम जानटा है। हम यहाँ के बहुट से होटलों के बारे में जानटा।”

आदमी खुश हो गया। वो टैक्सी में बैठ गया और उस टैक्सी वाले से बहुत बातें करता रहा। बातचीत में टैक्सी वाले ने बताया कि वो भी कुछ साल पहले हिंदुस्तान से यहाँ आया है। 

यह सुन कर आदमी बहुत खुश हो गया। कहने लगा कि टुम टो मेरा भाई है। टुम एकडम मेरे जैसा है। फिर टुम क्यों अंग्रेजी में बोल रहा? हम टुम टो हिंडी में बाट कर सकटा है। हम डोनो भाई-भाई।”

टैक्सी वाले ने कहा, “यस, हम डोनो हिंडी जानटे है। फिर टो हमें हिंडी में ही बाट करना माँगटा।

और फिर दोनों हिंदी में बात करने लगे।

***

ये तो चुटकुला है। पर संजय सिन्हा अगर चुटकुला भी लिखें टो इसका कोई न कोई अर्ठ होगा।

ओह! मैं भी अजीब हूँ। आज अंग्रेजी लिखते-लिखते मैं भी हिंदी की जगह अंग्रेजी लिखने लगा। पर आज मैं इस छोटी-सी कहानी से आपको एक बात बताना चाहता हूँ। 

बात ये है कि मैं जब भी प्रेम पर कोई पोस्ट लिखता हूँ तो मेरी वाल पर कम, मेरे संदेश बॉक्स में ज्यादा धमाल मच जाता है। कई लोग मुझसे पूछते हैं कि प्रेम क्या है? कई लोग कहते हैं कि प्रेम दरअसल कुछ होता ही नहीं। कई लोग एक लड़का और लड़की की दोस्ती को प्रेम मानते हैं। प्रेम पर सबके अपने-अपने अनुभव होते हैं। 

पर मैंने कहीं पढ़ा था या किसी से सुना था –

“तुम किसी और की आँखों में झाँको। किसी की भी। तुम्हें उसकी आँखों में अगर अपनी आत्मा नज़र आए, तो तुम एक पायदान ऊपर चढ़ गये हो।”

और यह एक पायदान ऊपर चढ़ना ही प्रेम होता है। 

प्रेम की परिभाषा बहुत दुरूह नहीं। प्रेम जिसके भीतर होता है, वो दूसरों में अपना अक्स देखने लगता है। जब दूसरों में आपको अपने जैसा कोई नजर आ जाए, तो इसका अर्थ ये हुआ कि आप उसकी खुशी और उसकी पीड़ा को समझ सकते हैं। प्रेम यही है। प्रेम इतना ही है। किसी को समझ पाना, किसी और में खुद को देख पाना ही प्रेम है। 

जब हम दूसरों में खुद की तलाश करना सीख जाएँगे, जब हम दूसरों के सुख-दुख को समझना सीख जाएँगे, तो हम कह सकेंगे कि हमें प्रेम हो गया है। 

आज तो नहीं, पर कभी और मैं और विस्तार में आपको प्रेम के संसार में ले चलूँगा। पर आज इतना ही कहता चलूँगा कि मेरा जो भाई इंग्लैंड गया था, उसने टैक्सी वाले की आँखों में झाँक कर वहाँ खुद को पाया था।

(देश मंथन 28 जुलाई 2016)

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