आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
जी मैं पुराने स्कूल का हूँ, कई महिला मित्र फेसबुक पर प्रोफाइल पिक अपडेट करती हैं, पर मैं उन्हे लाइक नहीं करता, मतलब लाइक करने का मन हो तो भी लाइक के सिंबल को क्लिक ना करता। सुंदर, बहुत स्मार्ट लिखने का दिल करता है, पर, पर उन्ही महिला मित्रों को बाक्सर भाई भी मेरे मित्र हैं, जो बरसों यह उद्घोषणा करते आ रहे हैं कि उनकी बहन की ओर आँख उठाकर भी किसी ने देखा तो उसे खल्लास कर देंगे। किसी महिला मित्र की फोटो को लाइक करने की इच्छा की क्षणों में वह बाक्सर भाई यह कहता दिख जाता है-अच्छा बेट्टे, मेरी बहन की तरफ ना सिर्फ तूने आँख उठाकर देखा, बल्कि उसे लाइक तक किया, आज निकलियो घर से।
बाक्सरों, पहलवानों को छोड़ दें, तो फेसबुक देख कर पता चलता है कि भारतीय समाज उदार हो रहा है।
किंचित-घूंघटनशीं, अर्ध-घूंघिटाएं भी करवा-चौथ पर अपनी करवा-चौथी फोटुएं फेसबुक पर लोड कर रही थीं और सैकड़ों पराये मर्दों द्वारा लाइक हो कर मुस्कुरा रही थीं।
एक बुजुर्ग से इस पर मेरी चर्चा हो रही थी-तो मैंने निवेदन किया कि ठीक है कि पराये मर्दों ने लाइक किया मिसेज करवा-चौथ को, पर मतलब उस सेंस में लाइक नहीं किया है, जिस सेंस में आप या कोई और समझ सकता है।
उस सेंस में नहीं किया-यह हर छिछोरे का सूत्र -वाक्य होता है- बुजुर्गवार ने यह बयान देते हुए मेरे निवेदन को कतई लाइक नहीं किया।
ऐसे पहलवानों (जो फेसबुक पर नहीं हैं) को समझाने में उन पराये मर्दों को बहुतै दिक्कत आ सकती है, जिन्होने पहलवानों की बहू-बेटियों को फेसबुक पर लाइक किया है। इस संबंध में एक (गैर-फेसबुकी) पहलवान ने मेरी बात पूरे सुने ही घोषणा कर दी, हाथ-पैर तोड़ दूँगा उसके, जिसने मेरी बहन को फेसबुक पर लाइक किया।
इस पहलवानी घोषणा को सुनने के बाद मैं अपनी उस महिला-मित्र की फेसबुक वाल पर करवा-चौथी दिनों में कतई ना गया, जिसके पति एक(गैर-फेसबुकी) शूटर हैं।
इस मुल्क में अब फेसबुकी-पब्लिक और गैर-फेसबुकी पब्लिक के आचार-विचार पर बात करने का वक्त आ गया है। फेसबुकी लाइक को कुछ और समझता है, गैर-फेसबुकी लाइक को कुछ और समझ सकता है। कोई दस करोड़ भारतवासी फेसबुकी हो चुके हैं, यानी एक तिहाई अमेरिकन आबादी जितनी आबादी तो भारत में फेसबुकी है।
खैर मसला यह है कि इस मुल्क को अभी समझना-समझाना है कि लाइक किस सेंस में। यूएस में आमतौर पर लोग लाइक को दिल पे ना लेते, इंडिया में कई फेसबुकी सुंदरियों के लाइक को दिल पे जाते हैं। एक लाइक पर सपनों की मल्टी-स्टोरी बिल्डिंग तान देते हैं।
कोई फेसबुक पर दस बजे लाइक करके दस बजकर सात मिनट पर अनलाइक कर सकता है। कई नौजवान किसी सुंदरी के सात मिनट के लाइक पर ही सात जन्मों का बंधन बांधने को तैयार हो सकते हैं।
इंडिया में होना यह चाहिए कि जैसे ही कोई सुंदरी फेसबुक पर किसी को लाइक करे, फौरन एक मैसेज स्क्रीन पर उभरे-दिल पे मत ले यार, बी कूल।
(देश मंथन 11 जुलाई 2016)