झूमते बाजरे के साथ चलता सफर

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार : 

श्रीमहाबीर जी से करौली जाना चाहता हूँ। छोटे से बस स्टैंड पर बसें कम आती हैं। लोग बताते हैं कि आप जीप से खेड़ा तक चले जाओ वहाँ से बसें मिल जाएँगी। खेड़ी की जीप में बैठता हूँ। रेलवे स्टेशन श्री महाबीर जी के पास जाकर जीप थोड़ी देर के लिए रूक जाती है। मैं सुबह के नाश्ते में कचौड़ियाँ खाता हूँ। जीप खेड़ा गाँव में पहुँचा देती है। पर वहाँ पता चलता है चौक से गली होकर मुख्य सड़क पर जाइए वहाँ से साधन मिल सकेगा। पैदल चलकर हिंडौन करौली हाईवे पर पहुँचता हूँ। एक जीप वाले मिलते हैं वे करौली ले जाने को तैयार हैं। जीप में बैठ जाता हूँ। सड़क के दोनों तरफ खेतों में बाजरे की फसल झूम रही है। 

सहयात्री बताते हैं राजस्थान के भरतपुर करौली आदि जिलों में बाजरे की खेती बड़े पैमाने पर होती है। यह गेहूँ से सस्ता बिकता है पर कम पानी में तैयार हो जाता है। इसलिए इसकी खेती इधर मुफीद है। बाजरा, मिलेट) मोटा अनाज माना जाता है। सूखे में उग जाता है। भीषण गरमी झेल लेता है। ज्वार की तरह इसकी बुआई गर्मियों में होती है।

बाजरा को सरदी आने से पहले काट लिया जाता है। जहाँ मक्का और गेहूँ नहीं होता वहाँ भी बाजरा शान से उपज देता है। कहते हैं बाजरा का जन्म स्थान अफ्रीका है। बाजरे की रोटी सरदियों में बल वर्धक और पुष्टिकारक मानी जाती है। सहयात्री बताते हैं कि मंडी में बाजरा का भाव गेहूँ से हमेशा 200 से 300 रुपये क्विंटल कम रहता है। बाजरे की तासीर गरम होती है। आयुर्वेद में बाजरा को स्त्रियों में काम शक्ति बढ़ाने वाला माना गया है। बाजरे से बीयर भी बनती है।

जीप आगे बढ़ रही है। सुंदर पहाड़ी रास्ता है। पंचना नदी आती है। उसपर बना बाँध आता है। बाँध के बाद करौली शहर दिखाई देने लगता है। अगले दिन करौली से वापसी के लिए पता करता हूँ। होटल जगदंबा के मैनेजर ने बताया कि भरतपुर की सीधी बस आपको यहाँ से देर से मिलेगी पर सुबह  4.30  बजे ही अलवर की बस मिलेगी। उससे आप महवा उतर जाएँ। वहाँ से भरतपुर की बस ले लें। मैं सुबह  4. 30  से पहले बस स्टैंड पहुँच जाता हूँ। अलवर वाली बस में महवा का टिकट लेता हूँ। बस रात अंधेरे चलकर उजाला होने पर हिंडौन सिटी में रुकती है।

हिंडौन से एक घंटे चलकर महवा पहुँचा देती है। कुछ लोग इसे महुआ भी कहते हैं। यह दौसा जिले की तहसील है। ये राजस्थान का विधानसभा क्षेत्र भी है। वैसे हमारे देश में दो और महुआ नाम के शहर हैं। 

एक महुआ तो बिहार के वैशाली जिले में दूसरा महुआ गुजरात के भावनगर जिले में है। पर राजस्थान के दौसा जिले का यह कस्बा महवा है। यहाँ से मेहंदीपुर बाला जी की दूरी 17 किलोमीटर है। मुझे थोड़ी देर बाद भरतपुर के लिए एक शेयरिंग टैक्सी मिल जाती है।

सरपट दौड़ती हुई यह टैक्सी एक घंटे में भरतपुर बस स्टैंड पहुँचा देती है। दूरी 55 किलोमीटर है। सुबह के नौ बजे हैं। नास्ते का समय हो गया है। पर मुझे तो केवलादेव पक्षी उद्यान जाने की जल्दी है। इसलिए रास्ता पूछता हूँ। लोगों ने बताया यहाँ से 4 किलोमीटर है केवलादेव। ऑटो से काली बगीची तक जाएँ वहाँ से आगे पैदल। चल पड़ता हूँ पक्षियों का कलरव सुनने के लिए।

(देश मंथन, 23 सितंबर 2015)

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