आँखों से सितारा बनते देखा

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संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :

आज मैं दिल्ली के उस लड़के से फिर मिलूँगा जो लाखों-करोड़ों लोगों के लिए एक काल्पनिक संसार बन गया है। मैं उससे जब भी मिलता हूँ, यह सोच कर मन ही मन हैरान होता हूँ कि अगर वो वो नहीं होता तो क्या होता? 

आप समझ गये होंगे कि आज मैं शाहरुख खान से मिलूँगा। 

मेरे लिए शाहरुख खान दिल्ली वाला वो लड़का है, जिसके विषय में मैं आज भी सोचता हूँ कि अगर वो इतना बड़ा सितारा नहीं बनता तो क्या बनता?

कुछ सवाल मेरे मन में अक्सर उठते हैं। जैसे, अमिताभ बच्चन के विषय में मैंने सुना है कि वो किसी बैंक में नौकरी करने कोलकाता गये थे। पर वो वहाँ रह नहीं पाए। सोचिए, क्या आपको लगता है कि जिस आदमी का नाम अमिताभ बच्चन हो, वो किसी बैंक के काउंटर पर बैठ कर नोट गिन सकता था? मैं तो नहीं सोच पाता कि ऐसा हो सकता था। 

ऐसे ही मैं आज यह कल्पना नहीं कर पाता हूँ कि शाहरुख खान नामक वो लड़का जो पत्रकारिता की पढ़ाई दिल्ली के जामिया इंस्टीट्यूट से कर रहा था, वो हाथ में माइक लिए किसी का इंटरव्यू कर रहा हो। जिन दिनों मैं इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन में पढ़ रहा था, उन्ही दिनों शाहरुख खान ने जामिया में दाखिला लिया था। उन्हीं दिनों उन्हें फौजी सीरियल में काम मिला था। उन दिनों मैं भी फौजी के निर्माता कर्नल कपूर और फौजी की हीरोइन मंजुला अवतार के संपर्क में था। मंजुला तब मेरे साथ मेरी क्लास में पढ़ती थीं और इस तरह हमारे लिए फौजी की शूटिंग तक पहुँचना बहुत आसान था। 

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जिन दिनों फौजी की शूटिंग चल रही थी, मैं पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहा था, उन दिनों मैं जनसत्ता में नौकरी भी कर रहा था। मैं इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन में इकलौता ऐसा विद्यार्थी था, जो उस नौकरी को पहले पा चुका था जिसे पाने के लिए लोग वहाँ पढ़ रहे थे। जनसत्ता बहुत बड़ा और नामी अखबार था। उन दिनों टीवी चैनल नहीं थे और हिंदी पत्रकारों के लिए जनसत्ता में नौकरी पाना किसी ख्वाब से कम नहीं था। 

मैं अक्सर शूटिंग पर जाता। शूटिंग देखना मुझे अच्छा लगता था। 

मंजुला फौजी की हीरोइन थीं और शाहरुख हीरो। 

हीरोइन मेरी दोस्त थी। 

शूटिंग में कई लोग शामिल हुआ करते थे। पर मैं देखता था कि शाहरुख नाम का वो लड़का गजब की ऊर्जा से भरा रहता था। शूटिंग के दौरान वो लोगों को खूब हंसाता, खुश रखता, खुश रहता। अपने एक-एक शॉट के लिए वो भरपूर मेहनत करता। उसने उस सीरियल को एक मौके की तरह लिया था। 

मेरी अक्सर उससे वहाँ बात होती। बात 1988 की है। तब कोई यह सोच ही नहीं सकता था साढ़े पाँच फीट का यह लड़का एक दिन आसमान में धूमकेतु की तरह चमकने लगेगा। 

मैंने जनसत्ता अखबार के लिए मंजुला का एक इंटरव्यू किया। 

शाहरुख ने मुझसे कहा कि तुमने मेरा इंटरव्यू नहीं लिया। 

मैंने तब कहा था कि दुनिया तुम्हारा इंटरव्यू लेगी। 

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मैं सही था। मैंने टीवी सीरियल फौजी का पहला इंटरव्यू मंजुला का छापा था। मैंने इंटरव्यू में कर्नल कपूर के सिवा किसी और कलाकार का नाम नहीं लिया था। शाहरुख से फौजी के सेट पर किसी ने पूछा भी था कि तुम्हारा इंटरव्यू क्यों नहीं छपा। शाहरुख ने कहा था, “संजय ने कहा है कि दुनिया मेरा इंटरव्यू लेगी। उसने कहा है, सच ही कहा होगा।”

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बहुत कम लोगों के नसीब में ऐसा होता है जब वो अपनी आँखों से सितारा बनते देखते हैं। मैंने देखा है।    

(देश मंथन, 15 दिसंबर 2015)

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