फोर्ट कोच्चि – अतीत से साक्षात्कार

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

स्टीमर से समन्दर पार करने के बाद फोर्ट कोच्चि पहुँचने पर बाईं तरफ चलते हुए आप किले की ओर बढ़ते हैं। फोर्ट कोच्चि में सोलहवीं सदी के कई निशान देखे जा सकते हैं। कई पुराने चर्च हैं यहाँ। मेटेनचेरी की सड़क पर चलते हुए आपको एंटिक वस्तुओं की सैकड़ों दुकानें दिखायी देती हैं। इनके ग्राहक खास तौर पर विदेशी नागरिक होते हैं।

पुराना भोंपू (लाउड स्पीकर) और अन्य वस्तुएँ खूब बिकती हैं। अगर आप फोर्ट कोच्चि का आनन्द लेना चाहते हैं तो सबसे शानदार तरीका पैदल घूमना है। चलते-चलते आगे बढ़िए और इतिहास का साक्षात्कार करें। चलते थक जाएँ तो नारियल पानी पी लें। यहाँ नीलगिरी आयल समेत केरल के मसालों की बड़ी बड़ी दुकानें हैं। वहीं मसाले जिनके दम पर हमने कभी रोम को भी खरीद लिया था।

मेटेनचेरी में 15वीं सदी का बना राजा का किला है। कोचीन के इस किले का निर्माण 1503 में हुआ था। 1538 में इसे और मजबूत स्वरूप प्रदान किया गया। इसे मैटनचेरी पैलेस भी कहते हैं। यह किला कभी पुर्तगालियों का हुआ करता था और यह कोचीन के महाराजा और पुर्तगाली के शासक (जिसके नाम पर इस किले का नाम पड़ा) के बीच हुए सहयोगात्मक गठबंधन का प्रतीक है। बाहर से ये किला घर की तरह लगता है। लेकिन अन्दर से काफी भव्य है। लकड़ी की छतें और राजपरिवार की तस्वीरों और उपयोग की जाने वाली सामग्री का शानदार संकलन। किले का रख-रखाव भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग करता है। इसका प्रवेश टिकट 5 रुपये का है। मेटेनचेरि पैलेस को भारत सरकार ने 1951 में संरक्षित स्मारक घोषित किया। 

मेटेनचेरि महल को 1555 में पुर्तगालियों ने राजा वीर केरल वर्मा को दोस्ती के नाते सौंपा। बाद में यह महल डच जो पुर्तगालियों के बाद भारत आये थे उन्हें सौंपा गया। उस दौर में यह महल डच महल कहलाने लगा। महल में लकड़ी के छत और फूलों की सजावट खास तौर पर आकर्षित करती है। महल में 57 शानदार भित्तिचित्र बनाये गये हैं। दीवारों पर पेंटिंग बनाने के लिए प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल किया गया है। महल के कमरों में यूरोपीय शिल्प कला देखी जा सकती है। पर इन पेंटिंग में रामायण की पूरी कहानी देखी जा सकती है। यहाँ टीपू सुल्तान का एक दुर्लभ रेखाचित्र भी देखा जा सकता है। महल में भित्तिचित्र 17वीं और 18वीं सदी में बनाये गये हैं।मेटेनचेरि पैलेस में एक मंदिर भी है। यहाँ लिखा गया है कि भक्तजनों से निवेदन है कि वे लूंगा, बनियान, बारमूडा आदि पहन कर मन्दिर में प्रवेश ना करें। साथ प्रवेश केवल हिन्दू लोगों के लिए ही है। किले के बगल में ही जेविस लोगों का चर्च है और आगे जेविस लोगों की मजार भी है।

कोच्चि का चाइनीज फिशिंग नेट 

फोर्ट कोच्चि में अरब सागर का अथाह विस्तार देख सकते हैं। यहाँ समंदर में मछली मारने के लिए बड़े-बड़े जाल लगे हुए हैं। इन जाल को कुबलई खान के आदेश पर 13वीं सदी में लगवाया गया था। चायनीज फिशिंग नेट अब कोचीन शहर का लैंडमार्क बन चुके हैं। यहाँ फुटपाथ पर समन्दर से पकड़ी गयी मछलियों का बाजार भी है। सुबह पहुँचे तो मछुआरों को जाल फेंकते हुए भी देख सकते हैं। वैसे से शाम गुजारने के लिए भी अच्छी जगह है। फोर्ट कोच्चि में भी रहने के लिए होटल और गेस्ट हाउस हैं। अगर आप शहर से दूर वक्त गुजारना चाहते हैं तो अच्छी जगह है।

(देश मंथन 28 जुलाई 2015)

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