गंगा सागर बार बार

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

सारे तीरथ बार बार गंगा सागर एक बार। बुजुर्गों से ये कहावत बचपन से सुनते आए हैं। आखिर क्या है इस कहावत का राज। एक बुजुर्ग ने ही बताया कि कभी गंगासागर की यात्रा इतनी मुश्किल हुआ करती थी लोग यहाँ अंतकाल में ही जाने की सोचते थे। अगर नहीं लौटे रास्ते में ही ऊपर वाले का बुलावा आ जाए तो भी कोई बात नहीं। पर अब हालात बदल चुके हैं। रास्ता सुगम है और गंगा सागर की यात्रा बार-बार और सालों भर की जा सकती है।

हालाँकि परंपरा के मुताबिक हर साल मकर संक्रांति के समय गंगा सागर स्नान के लिए देश भर से लाखों श्रद्धालु यहाँ पहुँचते हैं। तब गंगा सागर में विशाल मेला लगता है। लेकिन तमाम सरकारी इंतजाम के बावजूद जनसैलाब इतना होता है कि श्रद्धालुओं को काफी मुश्किल आती है। इसलिए आस्थावान लोगों को साल के किसी भी महीने में गंगा सागर की यात्रा करनी चाहिए। 

गंगा सागर पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में है। कोलकाता से गंगा सागर तीर्थ की कुल दूरी 120 किलोमीटर है। कोलकाता से आपकी यात्रा टुकड़ों में होती है। कोलकाता से काकद्वीप, काकद्वीप से फेरी से मूरीगंगा नदी पार कर कुचुबेड़िया और कुचुबेड़िया से 30 किलोमीटर का सफर फिर बस से।

गंगा सागर जाने वाली बस

कोलकाता से गंगा सागर के लिए एस्प्लानेड ( धर्मतल्ला) से सरकारी और प्राइवेट बसें चलती हैं। ये बसें धर्मतल्ला में शहीद मीनार के ठीक पास स्थित सीएसटीसी के बस पड़ाव से मिलती हैं। धर्मतल्ला सेनामखाना जाने वाली बस में काकद्वीप तक की यात्रा 80 किलोमीटर की है। सरकारी बस का किराया 46 रुपये है। टू बाई टू बस में सीट का आरक्षण हो जाता है, जिससे यात्रा सुगम हो जाती है। बस का अलीपुर, बेहाला रोड को पार करते हुए डायमंड हारबर रोड पर सरपट दौड़ती है। सड़क का नाम डीएचरोड यानी डायमंड हारबर रोड है। नेशनल हाईवेसड़क की स्थित अच्छी है। रास्ते में ठाकुर पुकुर, जोका, अमतला बाजार, सरिशा, हाटुगंज, कुलपी, करंजली बाजार, निश्चिंदपुर जैसे छोटे पड़ाव आते हैं। 40 किलोमीटर बाद आता है डायमंड हारबर जहाँ आपको समंदर के दर्शन होते हैं। ये कोलकाता के पास का महत्वपूर्ण समुद्री व्यापार का केंद्र है। गंगा सागर जाने वाले लोगों को काकद्वीप शहर से ठीक पहले नूतन रास्ता स्टाप पर उतर जाना चाहिए।

रेलमार्ग का विकल्प मौजूद 

गंगा सागर के लिए काकद्वीप तक रेल मार्ग से भी पहुँचा जा सकता है। सियालदह से हर घंटे सुबह से शाम तक काकद्वीप नामखाना लाइन के लिए लोकल ट्रेनें खुलती हैं। सियालदह से काकद्वीप की 95 किलोमीटर दूरी का किराया 20 रुपये है, समय लगता है 2 घंटे 40 मिनट। 

अगर काकद्वीप की सीधी ट्रेन न मिले तो सियालदह से लक्ष्मीकांतपुर वाली लोकल ट्रेन में बैठे वहाँ से काकद्वीप की दूसरी ट्रेन आसानी से मिल जाएगी।

रेल मार्ग सियालदह, गडिया, जादवपुर, बारुईपुर जंक्शन होकर जाता है। सियालदह साउथ से नामखाना लाइन की लोकल ट्रेनें खुलती हैं। पहली ट्रेन सुबह 4 बजे मिलती है। आप सियालदह से डायमंड हार्बर तक भी ट्रेन से जा सकते हैं। वहाँ से आगे काकदीप का 40 किलोमीटर का सफर बस से किया जा सकता है। ये रेल मार्ग अभी सिंगल लाइन का है। इस पर कोई एक्सप्रेस ट्रेन नहीं चलायी जाती है। काकद्वीप से वापसी के लिए सुबह 6.20, 7.40, 8.40, 10.45, 12.40, 1.47, 3.17, 4.40, 5.55, 7.55, 9.20 बजे सियालदह के लिए लोकल ट्रेन उपलब्ध है। 

गंगा सागर का तीर्थ सुंदरवन क्षेत्र में आता है। सुंदरवन विश्व का सबसे बड़ा मुहाना वन एवं डेल्टा क्षेत्र है। पश्चिम बंगाल के अंतिम सिरे पर स्थित यह वन कच्छ वनस्पतियों एवं विशाल पंकिल भूमि से घिरा हुआ है। सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान को रॉयल बंगाल टाइगर के लिए भी जाना जाता है। यह राष्ट्रीय उद्यान मैंग्रोव (सुंदरी) जंगल से घिरा है। यहाँ नमकीन पानी में रहने वाले मगरमच्छ भी मिलते हैं।

(देश मंथन, 06 मार्च 2016)

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