विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
मुम्बई के गेटवे ऑफ इन्डिया से करीब 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एलीफैंटा की गुफाएँ दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं।
एलीफैंटा की गुफाएँ मुम्बरई महानगर के पास होने के कारण पर्यटकों के लिए बड़े आकर्षण केन्द्र हैं।
एलीफैंटा हिन्दू और बौद्ध गुफाओं का संगम है। अरब सागर के टापू पर स्थित एलिफैंटा में कुल सात गुफाएँ हैं, जिनमे पाँच हिन्दू और दो बौद्ध हैं। एलीफैंटा की सबसे महत्वपूर्ण शिव की त्रिमूर्ति है। एलीफैंटा रागढ़ जिले के उरण तालुका में पहाड़ियों पर स्थित है। इस गुफा संकुल को यूनेस्कोा द्वारा विश्व विरासत का दर्जा 1987 में दिया गया।
इसका एलीफैंटा नाम पुर्तगालियों द्वारा यहाँ पर बने पत्थर के हाथी के कारण दिया गया था। यहाँ हिन्दू धर्म के अनेक देवी-देवताओं कि मूर्तियाँ हैं। ये मन्दिर पहाड़ियों को काटकर बनाये गये हैं। यहाँ भगवान शंकर की नौ बड़ी-बड़ी मूर्तियाँ हैं। किंवदंतियों के अनुसार जिसका कालखन्ड महाभारत काल तक आँका गया है ।
अनूठे महादेव
यहाँ शिव की कई मूर्तियाँ नृत्य मुद्रा में है। एलीफैंटा का पुराना नाम घारापुरी था। यह कोंकणी मौर्य की द्वीप राजधानी थी। यह तीन शीर्ष वाली महेश यानी शिव की मूर्ति की भव्यीता के लिए भी जाना जाता है, इसमें से प्रत्येीक में एक अलग रूप नजर आता है। गुफा में बने भगवान शिव को समर्पित मन्दिर को राष्ट्र कूट राजाओं द्वारा लगभग आठवीं शताब्दीा के आसपास खोज कर निकाला गया था।
राष्ट्रकूट राजाओं ने 757 ईश्वी से 973 ईश्वी के बीच इस क्षेत्र पर राज्यट किया। एलिफैंटा की गुफाएँ सात गुफाओं में से सबसे महत्व9पूर्ण मानी जाती है महेश मूर्ति गुफा। गुफा के मुख्यद हिस्सेओ में पोर्टिकों के अलावा तीन ओर से खुले सिरे हैं और इसके पिछली ओर 27 मीटर का चौकोर स्था्न है और इसे 6 खम्भों की कतार से सहारा दिया जाता है। गुफा के बाहर द्वार पाल की विशाल मूर्तियाँ भी अत्य न्त प्रभावशाली हैं। इस गुफा में शिल्प कला के कक्षों में अर्धनारीश्वरर, कल्या ण सुन्दर शिव, रावण द्वारा कैलाश पर्वत को ले जाने, अन्धकारी मूर्ति और नटराज शिव की छवियाँ भी दिखायी गयी हैं।
कैसे पहुँचे
एलीफैंटा द्वीप महाराष्ट्र राज्यर के मुम्बाई में गेटवे ऑफ इन्डिया से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गेटवे आफ इन्डिया से एलीफैंटा के लिए स्टिमर सेवा चलती है। इसका जाने और आने का किराया 160 रुपये प्रति व्यक्ति है। स्टिमर एक घंटे समय लगाती है। समुद्र में ये सफर बड़ा ही रोमांचकारी होता है। धीरे-धीरे आप अरब सागर में मुम्बई से दूर चलते जाते हैं। इसी तरह वापसी में भी काफी आनंद आता है जब आप गेट वे ऑफ इन्डिया की ओर आ रहे होते हैं। एलीफैंटा टापू पर पहुँचने के बाद समुद्र तट से गुफा तक जाने के लिए टाय ट्रेन सेवा चलायी गयी है। आप इसका आनन्द ले सकते हैं या फिर पैदल भी जा सकते हैं। हर सोमवार को गुफा बन्द रहती है।
(देश मंथन, 19 मई 2015)