आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
सरकार चाहती है कि सोने में भारतीय लेडीज की दिलचस्पी कम हो। इसलिए इन दिनों गोल्ड बांड के इश्तिहार आ रहे हैं, आशय यह कि गोल्ड के चक्कर में ना पड़ों कुछ ब्याज कमा लो। सोना सरकार को दे दो, वहाँ ज्यादा काम आयेगा। यह चाहना कुछ इस किस्म का चाहना है कि मानो महाराष्ट्र में शिव सेना के उध्दव ठाकरे चीफ मिनिस्टर कुर्सी की चाह खत्म कर दें। सोने को लेकर सरकार की योजना है कि पुराने सोने को लेकर बांड जारी कर दिये जायें और पब्लिक को प्रोत्साहित किया जाये कि सोना ना खरीदो- सोने के बांड खरीद लो, उस पर ब्याज भी मिलेगा।
मैं भी महिलाओं-बालिकाओं को समझाता रहता हूँ कि सोने में इनवेस्टमेंट बेकार है, शेयर-सेनसेक्स में लगाओ।
पर एक बार मेरी एक चार्टर्ड एकाऊंटेंड छात्रा तक ने मुझे ये पूछकर मुझे बेहोश कर दिया- शेयर सर्टिफिकेट का हम नेकलेस बनवा कर गले में डाल सकते हैं क्या, जिससे हमें क्रमश पड़ोसन, देवरानी, जेठानी, भाभी और ननद को जला सकें। शेयर-सेनसेक्स का नेकलेस बना कर जेठानी को कैसे जलायें, इस सवाल ने मुझे बेहोश कर दिया।
मेरी छात्रा सीए बालिका ने जिस दिन यह ज्ञान मुझे दिया, उस दिन से मैंने सोने की ताकत पर शक करना छोड़ दिया।
जिससे जलाया ना जा सके, जिसे खुलेआम, सरेआम फुलटू जोर से दिखाया ना जा सके, उसके होने या ना होने का क्या फायदा। पुरुष आम तौर पर बड़ी कार, महँगी घड़ियों से जला लेते हैं। आठ लाख की घड़ी की वैल्यू घड़ी में निहित नहीं है, इस बात में निहित है कि उससे कितने लोग किस लेवल पर जल पायेंगे। कई महँगे आइटम उनकी ज्वलनशील क्षमताओं के चलते ही खरीदे जाते हैं।
महँगे इनरवीयर बेचने-खरीदनेवाले इसीलिए परेशान रहते हैं कि हाय किसे बतायें और कैसे बतायें कि हमारावाला तो उतना महँगा ब्रांड है। इसके लिए नयी तरकीब खोजी गयी है कि पैंट से ऊपर-बाहर झाँकती इनरवीयर की इलास्टिक पर ब्रांड का नाम मोटे-मोटे अक्षरों में दर्ज किया जाता है, ताकि सब देख लें कि ………….।
ज्वलनशीलता खास तत्व है। जिसकी वजह से लोग परेशान रहते हैं। शेयर, इनरवीयर इन सबको लेकर नयी व्यवस्थाएँ आनी चाहिए। भारतीय ज्वलनशील कौंसिल बनायी जाये, जो हर बंदे को ज्वलनशील पाइंट्स का प्रमाणपत्र जारी करे कि एक से दस के स्केल पर इसके पास सात ज्वलनशील पाइंट हैं या एक ज्वलनशील पाइंट है। ताकि सबको समझ में आ जाये कि इससे इतना जलना है।
तो खैर सरकार समझ ले कि सोने के बजाय सोने के बांड की स्कीम तब ही कामयाब होगी, जब भारतीय ज्वलनशील कौंसिल अपना काम सुचारु तौर पर शुरू कर देगी।
(देश मंथन 29 जुलाई 2016)