राजगीर में गुरुद्वारा शीतल कुंड में पहले गुरु की स्मृतियाँ हैं

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

राजगीर अपने ऐतिहासिक कारणों से प्रसिद्ध है। पर बहुत कम लोगों को ही जानकारी होगी कि राजगीर में सिखों के पहले गुरु गुरुनानक जी ने प्रवास किया था। यहाँ उनकी स्मृति में एक गुरुद्वारा भी है। पहले गुरु ने इस ऐतिहासिक स्थल पर 1506 ई. विक्रम संवत में प्रवास कर इस जगह को धार्मिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण बना दिया।

गुरुनानक ने अपने प्रवास के दौरान गर्म कुंड को अपने यश से शीतल किया, जिसे आज हम लोग गुरुनानक शीतल कुंड के नाम से जानते हैं।  गुरुद्वारे में एक कुंड है, जिसके बारे में कहा जाता है कि गुरुनानक देव जी ने धरती पर तीर मारकर यहाँ से पानी की धार निकाली थी। बड़ी संख्या में सिख श्रद्धालु भी राजगीर पहुँचते हैं और शीतल कुंड गुरुद्वारा में मत्था टेकते हैं। राजगीर में गर्म जलकुंड के पास ही स्थित है गुरुद्वारा शीतल कुंड।

कहा जाता है कि रजौली से भागलपुर जाने के क्रम में गुरु जी राजगीर में रुके थे। ऐसा माना जाता है कि बौद्ध और जैन संतों के साथ चर्चा के लिए गुरुनानक देव जी यहाँ रुके थे। पिछले 40 सालों में भाई अजायब सिंह के प्रयासों से इस गुरुद्वारे का सौंदर्यीकरण किया गया है। यहाँ श्रद्धालुओं के लिए 10 आवासीय कमरे भी बनवाये गये हैं।

सिख धर्म के संस्थापक एवं प्रवर्तक गुरु नानक जी ने अपनी उदासियों (यात्राओं) के क्रम में बिहार के कई शहरों में प्रवास किया था। कहा जाता है कि प्रथम गुरु नानक देव जी ने 20 साल में 40 हजार मील से ज्यादा यात्राएँ की थीं। 1506 में वे पहली उदासी के क्रम में बिहार में पहुँचे। सिख इतिहास के लेखक डाक्टर  त्रिलोचन सिंह के मुताबिक प्रथम गुरु वाराणसी से गया पहुंचे। अलग-अलग सिख इतिहासकारों के मुताबिक वे बिहार में गया, रजौली ( नवादा)  राजगीर, पटना, मुंगेर, भागलपुर, कहलगाँव आदि स्थानों पर रुके थे।

बिहार में सिख इतिहास से जुड़े गुरुद्वारे

–          तख्त श्री हरिमंदिर साहिब, गायघाट गुरुद्वारा, पटना। गुरु का बाग, मालसलामी (कभी नवाब करीमबक्श रहीम बक्श का बाग हुआ करता था)  कंगन घाट गुरुद्वारा। बाल लीला गुरुद्वारा, पटना।

–          हांडी साहिब, दानापुर ( पंजाब जाने के क्रम में पहली बार गुरु गोबिंद सिंह जी यहाँ रुके थे)

–          नानकशाही गुरुद्वारा, लालगंज (वैशाली)

–          फतुहा गुरुद्वारा ( गुरुनानक देव जी और कबीर की यहाँ हुई थी मुलाकात)

–          सासाराम – गुरुद्वारा चाचा फग्गू मल,  गुरुद्वारा गुरु का बाग और गुरुद्वारा टकसाली संगत।

–           नानकशाही संगत अकबरपुर, रजौली संगत, नवादा

–          राज्य के भागलपुर, कटिहार, गया और मुंगेर में भी हैं ऐतिहासिक गुरुद्वारे। 

(देश मंथन, 24 अप्रैल 2015)

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