शिव ओम गुप्ता :
इतिहास में ऐसे प्रसंग बहुत कम ही देखने को मिलते हैं जब किसी सजायाफ्ता कैदी पर जेल प्रशासन इस कदर मेहरबान हुआ हो, जैसा महाराष्ट्र के यरवदा का जेल प्रशासन अभिनेता संजय दत्त पर मेहरबान है।
1993 मुंबई बम धमाकों में दोषी फिल्म अभिनेता संजय दत्त को 5 वर्ष की सजा सुनायी गयी है, जिसके बाद से वह यरवदा जेल में सजा काट रहे हैं, लेकिन 5 वर्ष की सजा में शेष बचे डेढ़ वर्ष की सजा से पूर्व ही फर्लो के जरिए संजय कई बार जेल से 15-20 दिनों के लिए बाहर आ चुके हैं।
जेल प्रशासन संजय दत्त की चाल-चलन को आधार बना कर फर्लो के तहत छुट्टियाँ देती आयी है, लेकिन सवाल उठता है कि यरवदा जेल प्रसाशन ऐसी सुविधा क्या सभी कैदियों को देती है या यह खास मेहरबानी सिर्फ संजय दत्त के लिए हैं।
क्योंकि ऐसा बहुत कम सुनने को मिला हैं जब किसी सजायाफ्ता कैदी के प्रति देश का कोई जेल प्रशासन की इतनी खास दया-दृष्टि देने की खबर चर्चा में रहा हो। कहीं ऐसा तो नहीं कि यरवदा जेल के अधीक्षक अपने मुन्नाभाई के अव्वल दर्जे का फैन हो।
खबर है 24 दिसंबर, 2014 को 14 दिनों की छुट्टी पर घर पहुँचे संजय दत्त ने एक बार फिर फर्लों पर छुट्टी की ख्वाहिश जाहिर की है, जिसकी मंजूरी देने के लिए यरवदा जेल प्रशासन खुशी-खुशी तैयार है और मुंबई पुलिस की हरी झंडी का इंतजार कर रही है।
इससे पहले, 55 वर्षीय संजय दत्त पत्नी मान्यता की बीमारी के नाम पर महीने भर की छुट्टी ली थी, लेकिन पत्नी मान्यता बीमारी की पोल तब खुल गयी जब मीडिया में पार्टी कर रही तस्वीरों ने सुर्खियों में आ गयीं।
एक तरफ जहाँ संजय दत्त पर यरवदा जेल प्रशासन की खास उदारता से सभी हैरान है, वहीं देश के अन्य जेलों में कैद सजायाफ्ता कैदी भी सोचने पर मजूबर हैं कि काश उनकी किस्मत भी संजय दत्त जैसी होती और उनका जेल प्रशासन उन्हें भी फर्लो के तहत फुर्र होने की छुट्टी देता।
हालाँकि मीडिया में संजय दत्त को मिल रही बार-बार की छुट्टियों को लेकर हो-हल्ला होता रहता है, लेकिन अब महाराष्ट्र की फड़नवीस सरकार ने इस पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। महाराष्ट्र के गृह राज्यमंत्री ने ऐलान किया कि राज्य सरकार इसकी जाँच कराएगी कि संजय को इतनी जल्दी और इतनी आसानी से फर्लो कैसे मिल जाता है?
समाजसेवी और वकील आभा सिंह ने भी संजय दत्त की छुट्टी पर सवाल उठाए हैं कि आखिर संजय को बार-बार कैसे छुट्टी मिल जाती है, जबकि जरूरतमंद कैदियों को फर्लो के तहत बाहर आने की छुट्टी नहीं मिलती।
इंतजार इस बात का नहीं है कि महाराष्ट्र सरकार जाँच करायेगी और उसका क्या परिणाम निकलेगा? इंतजार इस बात का है कि वह दिन कब आयेगा जब देश के जेलों में बंद जरूरतमंद कैदियों को भी फर्लों पर छुट्टियाँ मिलनी शुरू हो जायेंगी।
(देश मंथन, 7 जनवरी, 2015)