जय माँ कैला देवी में डाकू भी आते हैं मन्नत माँगने

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

राजस्थान के करौली जिले में शक्ति की देवी कैला देवी का मन्दिर सुन्दर है। इस मन्दिर के प्रति राजस्थान, मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश के लोगों में अगाध आस्था है। यहाँ तक की चंबल के क्षेत्र में सक्रिय डाकू भी इस मन्दिर में माँ की आराधना करने आया करते थे।

कैला देवी को  जादौन राजपूत लोग अपनी कुल देवी मानते हैं। कैला देवी का मन्दिर ये कैला देवी गाँव में कालीसिल नदी के तट पर बना है। त्रिकूट की मनोरम पहाड़ियों की तलहटी में स्थित इस मन्दिर का निर्माण राजा भोमपाल ने 1600 ई. में करवाया था। मुख्य मन्दिर संगमरमर से बना हुआ है । मन्दिर पूरब मुख का है।  कैला देवी मन्दिर में चांदी की चौकी और सोने की छतरियों के नीचे दो प्रतिमाएँ हैं। इनमें एक बायीं ओर उसका मुँह कुछ टेढ़ा है, वही कैला देवी हैं।

मान्यतानुसार कैला देवी माँ द्वापर युग में कंस की कारागार में उत्पन्न हुई कन्या है, जो राक्षसों से पीड़ित समाज की रक्षा के लिए एक तपस्वी द्वारा यहाँ बुलाई गयी थीं।  एक कथा के अनुसार करौली के राज्य पर एक दानव बहुत अत्याचार करता था। वहाँ के राजा दो भाई थे। दोनों भाई दानव से परेशान थे। तो दोनों भाईयो ने माँ कैला देवी की पूजा की ओर करोली में आकर दानव से मुक्ति के लिए प्रार्थना की। माँ कैला देवी बाड़ी  से करोली पर आयी और दानव का संहार किया। जिसका प्रमाण कलिशील नदी के किनारे माँ और दानव के पैरों के चिन्ह आज भी देखे जा सकते हैं।

लंबी पदयात्रा करके दर्शन

राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कई जिलों के लोग लंबी पदयात्रा करके कैला देवी का दर्शन करने के लिए चैत महीने में आते हैं। लोग कैला देवी से संतान, लंबी उम्र की दुआ माँगते हैं। कहते हैं माँ सबकी सुनती हैं। चैत्र और आश्विन नवरात्रि के इन दोनों अवसरों पर इस क्षेत्र से लाखों श्रद्धालु कैला देवी के करौली स्थित मन्दिर के दर्शन करने पहुँचते हैं। इस मौके पर विशाल मेला लगता है। मेले के समय आसपास के शहरों से कैला देवी के लिए 24 घंटे बसें चलती हैं।

डकैत भी आते हैं दर्शन करने 

माँ कैला देवी के इस मन्दिर में डकैत वेश बदल कर आते हैं और माँ कैला देवी की साधना करते हैं। लक्ष्य की साधना के लिए माँ से मन्नत माँगते हैं। मजे की बात इसकी जानकारी जासूसों के माध्यम से पुलिस को मिल जाती है। पर पुलिस लाख कोशिश कर मन्दिर परिसर में उन्हें पकड़ नहीं पाती।

कहाँ ठहरें 

कैला देवी मन्दिर से पहले आधा किलोमीटर लंबा बाजार है। इसमें दोनों तरफ प्रसाद की दुकानें और भोजनालय है। कैला देवी में रात्रि विश्राम के लिए अतिथि गृह और धर्मशालाएँ भी मौजूद हैं। एक विशाल धर्मशाला करौली के राजघराने द्वारा निर्मित है। मन्दिर परिसर में भी एक भोजनालय है,  जहाँ रियायती दरों पर भोजन और नास्ता उपलब्ध रहता है।

कैसे पहुँचे 

रेल मार्ग से जाने पर हिंडौन सिटी या फिर गंगापुर सिटी रेलवे स्टेशन उतर कर कैला देवी बस से जा सकते हैं। आप हिंडौन सिटी से बस से करौली पहुंचे। ( 33 किलोमीटर) करौली शहर से कैला देवी की दूरी 23 किलोमीटर है। हर आधे घंटे पर बसें और जीप मिलती हैं। सवाई माधोपुर जिले के रेलवे स्टेशन गंगापुर सिटी से भी अपने वाहन से कैला देवी पहुँच सकते हैं। गंगापुर सिटी से कैला देवी की दूरी 34  किलोमीटर है। वैसे बेहतर होगा कि आप जिला मुख्यालय करौली में रूकें और यहाँ से कैला देवी के दर्शन करने जाएँ। करौली बस स्टैंड के पास रहने के लिए रियायती और बेहतर जगह है जगदंबा लॉज। अगर थोड़ा बेहतर और महँगी जगह में ठहरना हो तो होटल करौली अजय विकल्प हो सकता है। करौली अजय के साथ भोजनालय भी है।

(देश मंथन, 17 सितंबर 2015)

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