बू अली शाह कलन्दर – दमादम मस्त कलन्दर

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

पानीपत का कलन्दर शाह की दरगाह हिन्दुओं और मुसलमानों के लिए समान रूप से श्रद्धा का केन्द्र है।

सूफी सन्त बू अली शाह कलन्दर की दरगाह 700 साल पुरानी है। दरगाह पर पर बैठ कर कव्वाली सुनते हुए मन को बड़ी शान्ति मिलती है। ये दरगाह अजमेर शरीफ, हजरत निजामुद्दीन की तरह सम्मानित है।

बू-अली शाह कलन्दर की स्मृति में बनवाया गया था ये मकबरा। कलन्दर शाह का वास्तविक नाम शेख शर्राफुद्दीन था। उनके पिता शेख फखरुद्दीन अपने समय के एक महान सन्त और विद्वान थे। कलन्दर शाह 1190 ई. में पैदा हुए और 122 साल की उम्र में 1312 ई. में उसका निधन हो गया था। कलन्दर शाह के जीवन के शुरुआत के 20 साल दिल्ली में कुतुब मीनार के पास गुजरे। उसके बाद वे पानीपत आ गये। कुछ विद्वान कहते हैं कि वे इराक से आये थे और पानीपत में बस गये। उनके नाम के साथ कलन्दर जोड़ दिया गया, जिसका अर्थ है – वह व्यक्ति जो दिव्य आनन्द में इतनी गहरायी तक डूब चुका है कि अपनी सांसारिक संपत्ति और यहाँ तक कि अपनी मौजूदगी के बारे में भी परवाह नहीं करता। उन्होंने पारसी काव्य संग्रह भी लिखा था, जिसका नाम दीवान ए हजरत शरफुद्दीन बु अली शाह कलन्दर है। वे सूफी सन्त ख्वाजा कुतुबद्दीन बख्तियार काकी के शिष्य थे।

बू-अली शाह कलन्दर महान सूफी सन्त थे। कहा जाता है सूफी सन्त लोग भीख नहीं माँगते हैं, लेकिन अपने प्रशंसकों और भक्तों द्वारा स्वेच्छा से जो कुछ भी दिया जाता है,  उसी पर अपना जीवन निर्वाह करते रहते हैं। 700 साल पुराना मकबरा अला-उद्-दीन खिलजी के बेटों, खिजि़र खान और शादी खान ने बनवाया था।

कलन्दर शाह का यह मकबरा पानीपत में कलन्दर चौक पर स्थित है जो उसी के नाम पर है। इस मकबरे के मुख्य द्वार के दाहिनी तरफ प्रसिद्ध उर्दू शायर ख्वाजा अल्ताफ हुसैन हाली पानीपती की कब्र भी है। सभी समुदायों के लोग हर गुरुवार को प्रार्थना करने और आशीर्वाद लेने के लिए यहाँ आते हैं।

मन्नत माँगने वाले लगाते हैं ताला 

कलन्दर शाह की दरगाह पर बड़ी संख्या में लोग मन्नत माँगने आते हैं। मन्नत माँगने वाले लोग दरगाह के बगल में एक ताला लगा जाते हैं। कई बार इस ताले के साथ लोग खत लिख कर भी लगाते हैं। दरगाह के बगल में हजारों ताले लगे देखे जा सकते हैं। वैसे कलन्दर शाह की दरगाह पर हर रोज श्रद्धालु उमड़ते हैं। पर हर गुरुवार को दरगाह पर अकीदतमन्दों की भारी भीड़ उमड़ती है।

कैसे पहुँचे 

कलन्दर शाह की दरगाह शहर के तंग गलियों के बीच गाँधी उद्यान के पास स्थित है। पानीपत बस स्टैंड से रिक्शा से कलन्दर चौक के पास तक पहुँच सकते हैं। वहीं आप जीटी रोड से इंसार बाजार, मेन बाजार, हलवाई हट्टा होते हुए पैदल पैदल भी दरगाह तक पहुँच सकते हैं।

(देश मंथन 28 मई 2015)

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