राष्ट्रीय रेल कन्हेरी – 109 गुफाओं में बुद्ध

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

अगर आप अजंता एलोरा की गुफाओं का भ्रमण कर चुके हैं तो आपको मुंबई के बोरिवली इलाके में स्थित कन्हेरी की गुफाएँ जरूर देखनी चाहिए। अगर अजंता एलोरा नहीं गये तो भी कन्हेरी जरूर जाएं। यह काफी कुछ अजंता एलोरा जैसा ही है।

भले ही कन्हेरी को यूनेस्को की विश्वदाय स्मारकों की सूची में नहीं शामिल किया गया है। पर ये उसकी प्रबल दावेदार हो सकती हैं। अगर देश के सात अजरजों की बात की जाए तो इसमें कन्हेरी का नाम जरूर आना चाहिए।

मराठी में इन्हें कन्हेरी लेणी कहते हैं। यह भारत की गुफाओं में विशालतम हैं, क्योंकि यहाँ गुफाओं की संख्या अजंता और एलोरा से ज्यादा है। कन्हेरी में कुल 110 गुफाएँ हैं। कहीं कहीं ये संख्या 109 बताई जाती है। ये सभी बौद्ध गुफाएँ हैं। यानी आपको सारी गुफाएँ देखने के लिए पूरा स्टेमिना और इसके साथ ही समय भी चाहिए। साथ ही उबड़-खाबड़ पहाड़ी रास्तों पर ट्रैकिंग करने का इल्म भी। अगर आप सारी गुफाएँ नहीं घूम सकते तो 3, 11, 34, 41, 67 और 87 जरूर देख लें। ये ज्यादा महत्व की हैं। वैसे कोशिश करें की सारी देखें।

गुफाओं में बुद्ध

कन्हेरी गुफाओं का निर्माण ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी से लेकर 11 शताब्दी के बीच में हुआ है। यानी 2200 साल से ज्यादा पुरानी हैं इन गुफाओं की कलाकृतियाँ। शुरुआत की गुफाओं में बुध्द की  कई अलग-अलग मूर्तियाँ है। आगे की गुफाएँ जो चढ़ाई चढ़ने के बाद आती हैं वे ज्यातर बौद्ध भिक्षुओं और साधकों का निवास प्रतीत होती हैं। ज्यादातर गुफाओं में यहाँ मूर्तियाँ नहीं है। कई गुफाओं में दो-दो कमरे भी बने हुए हैं। बारिश के दिनों में यहाँ पहाड़ों से कई जल स्रोत निकलते हैं। कन्हेरी को देश के 15 रहस्यमयी गुफाओं में शुमार किया जाता है।

गुफाओं की कई बुद्ध मूर्तियाँ खंडित हो गयी हैं। पर इसके बावजूद इनका सौंदर्य महसूस किया जा सकता है। ज्यादातर बुद्ध मूर्तियाँ खड़ी अवस्था में हैं। माना जाता है कि कन्हेरी बौद्ध शिक्षा के अध्ययन का बड़ा केंद्र हुआ करता था। जो समान्य गुफाएँ हैं वे हीनयान संप्रदाय की मानी जाती हैं, जबकि अलंकरण वाली गुफाएँ महायान संप्रदाय की हैं। कन्हेरी में सबसे ऊँची बुद्ध मूर्ति 25 फीट की है। कुछ गुफाओं तक पहुँचने के लिए चट्टानों को काट कर सीढ़ियाँ भी बनायी गयी हैं। पहाड़ी रास्ते पर चढ़ाई करते समय सुंदर जलधारा भी दिखायी देती है। सारे गुफाओं पर नंबर अंकित किए गये हैं, इसलिए घूमने में कोई दिक्कत नहीं आती। 

बुद्ध की प्रतिमाओं में स्थानाक बुद्ध, मानुषी बुद्ध, बोधिसत्व के संग तारा आदि को प्रदर्शित किया गया है। कुछ प्रतिमाओं में सर्वानंद अवलोकितेश्वर, बोधिसत्व और मुचालिंद को भी प्रदर्शित किया गया है। भारतीय पुरात्व सर्वेक्षण की नजर इन गुफाओं पर काफी देर से पड़ी। कन्हेरी को 26 मई 2009 को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया गया।

कैसे पहुँचे

संजय गांधी नेशनल पार्क से कन्हेरी गुफाओं की दूरी 7 किलोमीटर है। ये गुफाएँ सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक खुली रहती हैं। यहाँ का प्रवेश टिकट सिर्फ 5 रुपये का है। कन्हेरी गुफाओं की रख-रखाव भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के हवाले है। अगर पार्क और गुफाएँ दोनों एक दिन में घूमना चाहते हैं तो पहले गुफाएँ ही घूमने जाएँ।

बस और साइकिल सेवा

मुख्य द्वार से गुफा तक के लिए बस सेवा चलती है। इसमें एक तरफ का किराया 44 रुपये है इस 7 किलोमीटर के सफर के लिए। आपके पास निजी वाहन है तो प्रवेश टिकट देने के बाद निजी वाहन से भी जा सकते हैं। बस वन विभाग चलाता है। पर ये मिनी बस भरने पर ही चलती है। यहाँ दो बसें सेवा में हैं।

आप साइकिल किराये पर लेकर भी कन्हेरी के प्रवेश द्वार तक जा सकते हैं। कन्हेरी के प्रवेश द्वार के पास एक कैंटीन भी है। यहाँ आप बड़ा,  चाय काफी आदि ले सकते हैं। लेणयाद्रि की गुफाओं की तरह यहाँ भी बड़ी संख्या में बंदर भी हैं। उनसे थोड़ा सावधान रहें। 

हरी सौंफ

कन्हेरी जाने वाली बस में हमें एक मुंबई की महिला फोटोग्राफर मिलती हैं। उनकी हाथों में हरी सौंफ का गुच्छा है। आमतौर पर हम खाने के बाद सौंफ खाते हैं। पर हरी हरी सौंफ का स्वाद पहली बार लिया। यहाँ कन्हेरी उद्यान में कई जगह हरी सौंफ बिकती है। पाँच रुपये में एक गुच्छा। 

(देश मंथन, 06 मई 2016)

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