खजियार से पुखरी गाँव की सैर

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

खजियार ग्राउंड के आसपास देवदार के घने जंगल हैं। इन जंगलों में ट्रैकिंग करने का अपना मजा है। अगर आपके पास समय है तो घूमने के लिए वक्त निकालें। एक सुबह हमलोग टहलने निकले। यह खजियार ग्राउंड में पीडब्लूडी गेस्ट हाउस के पीछे का इलाका था। इस सड़क पर चलते हुए आगे कोई गाँव आता है। पर गाँव से पहले रास्ते में दो चार होटल हैं। ये होटल ऐसे हैं जहाँ आप कोलाहाल से दूर प्रकृति की गोद में कुछ वक्त गुजार सकते हैं।

इस रास्ते में सेब के बाग हैं पर इस बार सेब की फसल अच्छी नहीं हुई है। हमें सेब के बाग में एक घोड़े वाले मिलते हैं। उनके घोड़े का नाम लकी है। वे 20 एकड़ के सेब के बाग में छोटा सा आशियाना बनाकर रहते है। बाग चंडीगढ़ के किसी अमीर का है जो अब इसे बेचना चाहता है। हो सकता है अगली बार आने पर यहां कोई स्कूल या रिजार्ट बना हुआ दिखाई दे। घोड़े वाले बता रहे हैं कि लकी को लेकर दिन भर सैलानियों को घुमाते हैं। एक दिन में ढाई से तीन हजार कमाई हो जाती है। पर साल के छह महीने यहाँ सैलानी नहीं आते तब कमाई शून्य हो जाती है।

पुखरी गाँव की ओर…

दोपहर के बाद हमने पुखरी गाँव जाने को तय किया। कई लोगों ने घोड़े से जाने की सलाह दी। पर तीन किलोमीटर का सफर हमने पैदल चलने को ही तय किया। कुछ लोगों से रास्ते की जानकारी ली और मैं और अनादि चल पड़े। होटल मिनी स्विस के रास्ते पर चल पड़े। रास्ते में स्कूल से आ रही नन्ही स्नेहा और उसके भाई मिले जो छुट्टी के बाद बस्ता संभाले अपने घर जा रहे थे। उन्होने पुखरी गाँव का रास्ता बताया। होटल मिनी स्विस से थोड़ा आगे बढ़ने पर एक हनुमान जी की विशाल मूर्ति नजर आई। यह एक मोटर चलने वाली सड़क है पर यहीं से एक पगडंडी ऊपर जंगलों में जाती है। यह रास्ता पुखरी गाँव जा रहा है। इस पगडंडी पर हमलोग चल पड़े। रास्ते में कुछ पेड़ के ठूंठ नजर आए जो किसी बाघ या फिर किसी पक्षी के आकार में बन गये थे। निर्जर रास्ते पर हमारे अलावा कोई नहीं था और हम चले जा रहे थे। थोड़ी दूर चलने पर एक मंदिर आया। हमने वहाँ सिर झुकाया और आगे बढ़े। 

कोई ढाई किलोमीटर चलने के बाद पुखरी गाँव हम पहुँच गये। यह गाँव खजियार से भी ऊंचाई पर है। यानी 2000 मीटर से ज्यादा ऊंचाई पर। गाँव से रावी नदी बल खाती हुई नजर आती है तो चंबा शहर भी नजर आता है। मौसम साफ है तो हमें बर्फ से ढकी मणिमहेश पर्वत की चोटी भी नजर आई। गाँव के लोगों ने कहा कि आप किस्मत वाले हैं कि आपको कैलाश के दर्शन हुए। ये हर रोज दिखाई नहीं देते। गाँव कुल 10 से 15 घर हैं। गाँव में एक दुकान है जहाँ बिस्कुट, चिप्स, कोल्ड ड्रिंक आदि मिल जाती है। प्रिंट से 5 रुपये ज्यादा माँगते हैं क्योंकि सामान खच्चरों पर लाद कर लाना पड़ता है। गाँव में कुछ लोग आरगेनिक तरीके से उत्पादित लहसुन और धनिया बेच रहे हैं। हम आगे बढ़ते हैं।

अमर चंद शर्मा का सेब बगान

गाँव में अमरचंद शर्मा ने अपना निजी सेब बगान बना रखा है जिसे सैलानी देखने आते हैं। उन्होंने अपने बाग में टूरिस्ट समूह के लिए प्रवेश की फीस रखी हुई है 10 के समूह के लिए 100 रुपये। बगान के अंदर ही उनका सुंदर सा घर है। घर के प्रांगण में गुलाबों के सुंदर फूल खिले हैं। शर्मा जी हमें सेब के बाग दिखाते हैं। सेब अभी हरे-हरे हैं। उन्होने खुरमानी (APRICOT )  बादाम, अखरोट (NUT) भी लगा रखे हैं। सेब बेचकर वे हर साल अच्छी कमाई करते हैं। शर्मा हिमाचल में राजकीय सेवा से रिटायर कर चुके हैं। 

शर्मा जी ने हमें घर की बनी काफी बेहतरीन चाय पिलाई। हम वापस लौटने वाले थे कि उनके दो पोते पोतियाँ स्कूल से लौटे। वे पास के अंगरेजी स्कूल में पढ़ते हैं। पर खजियार से तीन किलोमीटर पैदल चल कर घर तक पहुँचते हैं। अनादि को यहाँ हरी-हरी घास पर खरगोश मिले जिनके साथ वे खेलने लगे। वापस लौटने की तो इच्छा नहीं हो रही थी। पर खजियार ग्राउंड में माधवी हमारा इंतजार कर रही थीं। सो हम उसी रास्ते से वापस चले। एक सपनों सा गाँव है पुखरी। पर सर्दियों में बर्फ से ढक जाता है पूरा गाँव। अमर चंद शर्मा – 88945 65927 , 98162 54569  कभी आप पुखरी जाएं तो अमरचंद जी से मिल सकते हैं।

(देश मंथन 02 जुलाई 2016)

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