मिनट भर में जिंदगी धुआँ हो गयी

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संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 

कल सुबह दफ्तर के लिए निकला। कार में बैठा, कार ड्राइवर चला रहा था। कार में बैठते ही मैंने मोबाइल पर मेल देखना शुरू कर दिया।

सबसे उपर जो मेल था वो मुझे परेशान करने के लिए काफी था। मेल में लिखा था, ‘शिवा’ का अचानक निधन हो गया है। शिवा को आप नहीं जानते इसीलिए बता देता हूँ कि शिवा हमारे दफ्तर के विज्ञापन विभाग में शेड्यूलिंग का काम देखता था। दो दिन पहले ही मुलाकात हुई थी। एकदम मस्त, फक्कड़ और बात-बात पर सिगरेट फूँकने वाला शिवा।

ज्यादा से ज्यादा 38-40 साल का शिवा नहीं रहा, ये मानने को दिल तैयार ही नहीं हुआ। मैंने उसके दोस्त अरुण को फोन किया। अरुण एकदम रुँआसा होकर बोलता गया कि सर कल रात घर में शिवा को सीने में दर्द हुआ और वो मर गया। पहली बार ही दिल का दौरा पड़ा था, और वो खत्म हो गया। 

अरुण उसके आगे क्या बोल रहा था मुझे सुनाई नहीं दे रहा था। मुझे याद आने लगी वो फोन कॉल जो पिछले साल 2 अप्रैल को मेरे पास आयी थी। और उसमें छिपी थी खबर, मेरे भाई की मौत की।

मेरा भाई भी उतनी ही उम्र का था। मेरा भाई भी मस्त था, फक्कड़ स्वभाव का था, वो भी बात-बात पर सिगरेट फूँकता था। मेरे भाई के सीने में भी दर्द हुआ और मिनट भर में सब कुछ खत्म हो गया। 

क्या आप जानते हैं कि शिवा और मेरा भाई दोनों की मौत दिल का दौरा पड़ने से नहीं हुई। यकीनन आप नहीं जानते। आप यही जानते हैं कि सीने में दर्द होता है, साँस लेने में मुश्किल आती है और इसे दिल का दौरा कहते हैं। नहीं, बिल्कुल नहीं। ये दिल का दौरा नहीं होता, ये होता है हार्ट का फेल हो जाना। यकीन न हो तो इंटरनेट पर जाकर ‘सडेन कार्डियक अरेस्ट’ के बारे में विस्तार से पढ़ लीजिए।

इसके लिए ना तो कोई पहले से संकेत मिलता है, ना कोई पुरानी बीमारी ही इसका कारण है। इसके लिए कई कारण हो सकते हैं, लेकिन जिन दो कारणों की मैं चर्चा करने जा रहा हूँ, उसमें अहम है तनाव और सिगरेट पीने की आदत। 

अगर आप में से कोई एक भी तनाव को जीता है, और सिगरेट पीने की आदत का भी शिकार है, तो ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि वो इससे जितनी जल्दी मुमकिन हो मुक्ति पा ले। तनाव और सिगरेट का मेल आपको ‘स्वर्णिम 30 मिनट’ की वह मोहलत नहीं लेने देता जो आम तौर पर दिल का दौरा पड़ने वाले मरीज को मिलते हैं। अगर दिल का दौरा पड़ा हो और आप आधे घंटे के भीतर अस्ताल पहुँच जायें, तो विश्वास कीजिए जान बच जाती है। लेकिन अगर किसी का ‘हार्ट फेल’ हो जाये तो मरने से बचने के लिए आपके पास सिर्फ एक मिनट का समय होता है।

एकदम बोलचाल की भाषा में समझाऊँ तो यही समझा सकता हूँ कि दिल का दौरा पड़ना एक तरह से ‘बाथरूम में नल खराब’ होने की तरह है, तो हार्ट फेल होना ‘बिजली का फ्यूज’ उड़ जाने की तरह होता है। और सबसे ज्यादा ये होता है तनाव से, साथ ही ये होता है सिगरेट पीने से।

मैं खुद को शायद कभी माफ नहीं कर पाउँगा कि मैंने दोस्त बने हुए अपने भाई को थप्पड़ मार कर सिगरेट पीने से क्यों नहीं रोका? उल्टे यही कहता कि मेरा भाई मेरा दोस्त है, और सिगरेट मेरे सामने पीता है तो मुझे बुरा नहीं लगता।

काश मुझे बुरा लगा होता! काश मुझे ‘शिवा’ का सिगरेट पीना भी बुरा लगता! काश मैं दोनों को समझा पाता कि जब किसी का ‘हार्ट फेल’ हो जाता है तो सिर्फ उनका हार्ट ही फेल नहीं होता, उनके सारे रिश्ते भी फेल हो जाते हैं। बारह साल की बेटी ‘बिन बाप’ की हो जाती है। उससे बड़ा उसका भाई जीते जी जिंदगी की हर गतिविधि में फेल हो जाता है। उसकी भाभी की आँखों की नमी सूखती ही नहीं। उसके सारे दोस्त सिर्फ तड़प कर रह जाते हैं।

जब दिल के किसी कोने में दर्द होता है तो सिगरेट बनाने वाली कंपनियों का कुछ नहीं जाता। चला जाता है उनका जो उन सिगरेट को अपनी गाढ़ी कमाई से खरीद कर हर फिक्र को धुएँ में उड़ाने का दंभ भरते हैं। 

‘शिवा’ मर गया। मेरा भाई भी मर गया। इसलिए आज मैं इस पोस्ट के जरिए सिर्फ इतनी गुजारिश करता हूँ आपसे कि आपका ‘शिवा’ या आपका कोई ‘भाई’ अगर कश लगाता दिख जाये तो एक थप्पड़ मेरी तरफ से लगाइयेगा, और कहियेगा कि पहले अपने भाई, अपनी भाभी और अपनी बेटी हत्या कर दे, अपने दोस्तों से रिश्ता तोड़ ले, फिर जितनी चाहे सिगरेट पी ले। क्योंकि वे, जो बीच सफर में यूँ चले जाते हैं, वे तो फूलों की माला गले में डाल कर ‘देवता’ बन जाते हैं, लेकिन उनके पीछे जो रह जाते हैं, वे नर्क भुगतते हैं जिंदगी भर के लिए, जो मैं और मेरी पत्नी भुगत रहे हैं। और तब तक भुगतेंगे, जब तक हम खुद नहीं चले जाते।

(देश मंथन, 21 मार्च 2014)

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